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ट्रेड लाइसेंस घोटाला: जांच में आयी तेजी, पार्षदों से मांगे गए शपथ-पत्र आधारित साक्ष्य

17 मई तक साक्ष्य जमा करने की डेडलाइन थी, जो कई पार्षदों के लिए बीत

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरWed, 21 May 2025 05:57 AM
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ट्रेड लाइसेंस घोटाला: जांच में आयी तेजी, पार्षदों से मांगे गए शपथ-पत्र आधारित साक्ष्य

भागलपुर, वरीय संवाददाता। नगर निगम में कथित ट्रेड लाइसेंस घोटाला और वित्तीय अनियमितताओं की जांच ने एक बार फिर गति पकड़ ली है। आपदा प्रबंधन के अपर समाहर्ता ने इस मामले में आरोपों की लिखित पुष्टि और साक्ष्य शपथ-पत्र के माध्यम से उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। यह निर्देश उन पार्षदों को दिया गया है जिन्होंने इस घोटाले और अनियमितताओं के संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी। बता दें कि पार्षदों की ओर से दायर परिवाद पत्र में आरोप लगाया गया है कि नगर निगम के पदाधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से यह घोटाला हुआ है। पार्षदों का यह भी आरोप है कि घोटाले की जांच नगर निगम के ही कर्मियों को दे दी गई थी, जिसके कारण दोषियों पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

इसके अतिरिक्त, नगर निगम के खाते से ऐसे व्यक्तियों के खातों में राशि हस्तांतरित होने का मामला भी सामने आया है, जो वित्तीय अनियमितताओं की ओर इशारा करता है। डेडलाइन की समस्या: अपर समाहर्ता की ओर से पार्षद संजय कुमार सिन्हा, प्रसेनजीत कुमार सिंह, गोविंद बनर्जी, अभिषेक कुमार, निशा दूबे, यासमीन, अरशदी बेगम, सत्यनारायण प्रसाद, मोकिम चांद, शशि मोदी, साबरा और संजय तांती सहित कई पार्षदों से 17 मई तक शपथ-पत्र के माध्यम से साक्ष्य उपलब्ध कराने को कहा गया था। हालांकि, कुछ पार्षदों को यह पत्र समय पर मिल गया, लेकिन कई पार्षदों को यह डेडलाइन बीतने के बाद प्राप्त हुआ। पार्षद संजय सिन्हा ने बताया कि उन्हें 17 मई को ही मोबाइल पर पत्र मिला और उन्होंने कुछ साक्ष्य मोबाइल के माध्यम से भेजे हैं, जबकि बाकी बाद में जमा किए जाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि ज्यादातर पार्षदों को 17 मई के बाद ही पत्र प्राप्त हुए हैं। पार्षदों ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की है कि इस मामले में एक ऑपरेटर पर अब तक एफआईआर तक दर्ज नहीं कराई जा सकी है। जारी पत्र में स्पष्ट किया गया है कि यदि निर्धारित तिथि तक लिखित संपुष्टि और साक्ष्य शपथ-पत्र के माध्यम से उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो परिवाद पत्र को बंद कर दिया जाएगा। यह चेतावनी पार्षदों पर साक्ष्य प्रस्तुत करने का दबाव बढ़ा रही है।

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