बोले पूर्णिया : आरटीई का भुगतान समय पर हो, बकाया देकर ही छोड़ें स्कूल
जिले में 3000 से अधिक निजी विद्यालय हैं, जिनमें से 300 को प्रस्वीकृति प्राप्त नहीं है। अभिभावक सरकारी विद्यालयों की गुणवत्ता को लेकर चिंतित हैं, जिससे उनका झुकाव निजी विद्यालयों की ओर बढ़ रहा है। छोटे...
जिले में 3000 हजार से ऊपर निजी विद्यालय संचालित हो रहे हैं। इनमें करीब 300 विद्यालय को प्रस्वीकृति प्राप्त नहीं हैं। जिनमें 16 ने सीबीएसई से मान्यता ली है तो शेष निजी स्कूलों को बिहार सरकार की ओर से प्रस्वीकृति प्रदान की गई है। सरकार के लाख प्रयास के बावजूद सरकरी विद्यालयों में पढ़ाई की गुणवत्ता में सुधार नहीं दिख रहा है। यही कारण है कि अभिभावकों का झुकाव निजी विद्यालयों की ओर दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। बड़े एवं बिना निबंधन के चल रहे निजी विद्यालयों की बात भले ही अलग हो, परन्तु प्रस्वीकृति प्राप्त छोटे विद्यालयों के पास अनेक समस्याएं हैं। हिन्दुस्तान के साथ संवाद के दौरान जिले के निजी स्कूल के संचालकों ने अपनी समस्या बताई।
03 हजार से अधिक निजी विद्यालय हैं जिले में
03 सौ विद्यालयों को प्राप्त नहीं हुई है प्रस्वीकृति
16 निजी विद्यालयों को ही सीबीएसई से मान्यता
जिले में तीन हजार से ऊपर निजी विद्यालय संचालित हो रहे हैं। जहां से शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कार्यों में लगे करीब 30 हजार लोग रोजगार पा रहे हैं। इनमें करीब 245 निजी विद्यालयों का लेखा-जोखा सरकार के पास है। मसलन प्रस्वीकृति प्राप्त 245 विद्यालयों में 16 ने सीबीएसई बोर्ड से स्कूल चलाने की मान्यता प्राप्त की है, जबकि शेष बिहार सरकार की ओर से प्रस्वीकृति प्रदत विद्यालय हैं। सीबीएसई से एफलिएटेड एवं बिहार सरकार से मान्यता प्राप्त बड़े स्कूल के अलावा गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों की भले ही मौज है, परन्तु बिहार सरकार से मान्यता प्राप्त छोटे विद्यालयों के प्रबंधन के सामने अनेक समस्याएं खड़ी हो रही है। संचालकों ने कहा, आरटीई के तहत 25 प्रतिशत बच्चों के नामांकन के बाद उनके भुगतान को लेकर इन विद्यालयों के संचालकों को अधिकारों का निहौरा करने की मजबूरी बनी हुई है। विगत पांच सालों से आरटीई के तहत नामांकित बच्चों का भुगतान लंबित चल रहा है। जिसे लेकर अधिकारियों की ओर से कोई ठोस आश्वासन तक नहीं मिल रहा है। जो बच्चे आरटीई से मुक्त हैं, उनके शत-प्रतिशत भुगतान की भी गारंटी ऐसे स्कूलों को नहीं है। अमूमन स्कूलों के 25 प्रतिशत बच्चे विद्यालय का बकाया लेकर पलायन कर जाते हैं। जिसपर अंकुश लगाने की कोई ठोस पहल नहीं हो पा रही है।
बड़े स्कूलों में घट रही बच्चों की संख्या:
कुछ अभिभावकों के बच्चे निजी विद्यालय में पढ़ाई तो कर रहे हैं, परन्तु सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए सरकारी विद्यालयों में भी नामांकित हैं। इसके अलावा आरटीई लागू होने के साथ कक्षा एक से आठ तक की पढ़ाई के लिए भले ही विद्यालयों की प्रस्वीकृति को अनिवार्य तो कर दिया गया है, परन्तु इस पर कड़ाई नहीं होने से आज भी कुकुरमुत्ते की तरह गलियों में निजी विद्यालय खोलने का सिलसिला चल रहा है। प्रस्वीकृति नहीं लेने के कारण इनका लेखा-जोखा विभाग को नहीं रहता है। मानक विहीन खुल रहे इन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की सेहत एवं शिक्षा दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। छोटे स्कूलों की वजह से प्रस्वीकृति प्राप्त स्कूलों में बच्चों की संख्या घट रही है। आरटीई के भुगतान में विलंब के साथ कई स्थानों पर एक साथ बच्चों के नामांकन से कई छोटे निजी विद्यालय बंद होने के कगार पर हैं। कोरोना के बाद कई विद्यालय तो बंद भी हो गए हैं। सरकार के तमाम प्रयासों के बाद सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई की व्यवस्था में धीरे-धीरे सुधर रही है। हाजिरी के आधार पर एमडीएम से लेकर तमाम सरकारी सुविधा दी जाती है। हालांकि, पढ़ाई के लिए निजी विद्यालयों की ओर ही अभिभावकों का झुकाव रहता है। दोहरे नामांकन पर रोक लगाने के लिए सरकार ने अपार एवं बच्चों के पैन नम्बर की व्यवस्था की है।
शिकायत
1. आरटीई में नामांकन की हर साल मजबूरी है, परन्तु इसका भुगतान हर साल नहीं हो रहा है।
2. कई स्थानों पर एक साथ नामांकन पर रोक की व्यवस्था नहीं है।
3. कई अभिभावक विद्यालय का बकाया भुगतान किए बिना दूसरे विद्यालय में अपने बच्चों का नामांकन करा देते हैं।
4. हर रोज खोले जा रहे निजी विद्यालयों पर नकेल नहीं कसी जा रही है।
5. पहले से नामांकित बच्चों का आधार में दर्ज नाम से मिलान नहीं हो रहा है, जिससे यू डाइस अपलोड करने में समस्या आ रही है।
सुझाव
1. आरटीई के बकाए का भुगतान होने से स्कूल संचालन में सुविधा मिलेगी।
2. बिना एक स्कूल से अनापत्ति लिए, दूसरे स्कूल में नामांकन पर रोक लगना चाहिए।
3. कई स्थानों पर एक साथ नामांकन पर रोक लगाने के लिए त्वरित व प्रभावी नियम बनाया जाना चाहिए।
4. बिना प्रस्वीकृति के चल रहे विद्यालयों पर शिकंजा कसा जाना चाहिए।
5. यू- डाइस अपलोड करने में नाम संशोधन के लिए स्कूल को ऑप्शन होने से पूर्व से नामांकित बच्चों के नाम संशोधन में सहूलियत मिले।
हमारी भी सुनें
आरटीई के तहत विद्यालयों में 25 प्रतिशत नामांकन तो लिए जा रहे हैं, लेकिन निजी स्कूलों को इस एवज में किए जाने वाले अनुदान भुगतान में विभागीय सुस्ती बनी हुई है। वर्ष 2020 से जिले के प्राइवेट स्कूलों को अनुदान नहीं मिला है।
-राजेश कुमार झा
आरटीई भुगतान में विभागीय लापरवाही एवं अधिकारियों के बड़े नखरे होते थे। इसलिए हमने आरटीई का अनुदान लेने से मना कर दिया है। हालांकि नामांकन अब भी प्रावधान के अनुसार लिया जा रहा है।
-राजीव कुमार साह
सरकारी स्कूलों में तो पढ़ाई की व्यवस्था अब भी ठीक से नहीं हो रही है। निजी विद्यालयों में छोटे स्तर के विद्यालयों का रिजल्ट बेहतर रहता है। बावजूद अभिभावकों से लेकर विभाग तक छोटे स्तर के स्कूलों को सफर होना होता है।
-अनिल कुमार सिंह
एक स्कूल से बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र के दूसरे स्कूलों में बच्चे के नामांकन पर रोक को लेकर अभी कोई खास व्यवस्था नहीं है। इसलिए बकाया बढ़ने के साथ अभिभावक अपने बच्चों को दूसरे स्कूलों में दाखिला दिलवा देते हैं। इसका खामियाजा छोटे स्कूल को खास तौर पर भुगतना पड़ता है।
-दिलीप कुमार
एक ही बच्चे का नामांकन निजी एवं सरकारी स्कूलों में एक साथ होता है। जिसपर विभागीय अधिकारियों की नजर नहीं है। इसका खामियाजा निजी विद्यालयों को भुगताना पड़ता है।
-पंकज कुमार गुप्ता
पहले बच्चों का नामांकन बिना आधार कार्ड के लिया जाता था। अब जब बच्चे आधार कार्ड बना रहे हैं तो उनके नाम में अंतर आ रहा है। जिससे यू-डाइस अपलोड करने में परेशानी आ रही है। यू-डाइस में नाम एडिट करने का ऑप्शन स्कूल के पास होना चाहिए।
-विजयनाथ झा
निजी विद्यालयों की प्रस्वीकृति के रिन्युअल में समस्या आ रही है। इस समस्या को लेकर अधिकारियों को पहल करनी चाहिए। इसका विभाग को समाधान करना चाहिए।
-राजीव कुमार
छोटे स्कूलों के सामने बच्चों के परिवहन को लेकर समस्या होती है। टोटो-ऑटो से परिवहन पर रोक के बाद अभिभावकों सहित स्कूलों की समस्या को देखते हुए सुरक्षा मानक को ध्यान में रखते हुए छोटे वाहनों से परिवहन की सुविधा बहाल करने की अनुमति मिलना चाहिए।
-ई विनीत कुमार सिंह
बोले जिम्मेदार:
जिला पदाधिकारी के स्तर से कमिटी बनी हुई है। कमिटी की जांच रिपोर्ट आने के बाद आरटीई के अनुदान का भुगतान किया जाएगा। जहां तक नाम एडिट करने के ऑप्शन की बात है तो राज्य के स्तर से होता है।
-प्रफुल्ल कुमार मिश्र, डीईओ, पूर्णिया
बोले पूर्णिया असर
राहगीरों की बुझेगी प्यास, सार्वजनिक स्थानों पर प्याऊ की होगी व्यवस्था
पूर्णिया। गर्मी में राह चलते लोगों की प्यास बुझेगी। बोले पूर्णिया के तहत पेयजल की समस्या से संबंधित खबर प्रकाशित होने के बाद जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने इसका संज्ञान लेते हुए विभागीय अधिकारियों को दिशा निर्देश दिया है। जिला पदाधिकारी द्वारा सभी नगर निकायों को निर्देश दिया गया कि अविलम्ब सभी महत्वपूर्ण एवं सार्वजनिक स्थानों पर पेयजल हेतु प्याऊ की व्यवस्था करें। उन्होंने सभी शिक्षण संस्थाओ एवं आंगनबाड़ी केंद्रों पर ओआरएस घोल का पैकेट अनिवार्य रूप से रखने का निर्देश दिया है। पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता को निर्देशित किया गया कि बंद पड़े चापाकलों की अविलम्ब मरम्मती करायें। उन्होंने लगातार भू जलस्तर पर नजर रखे,आवश्यकता पड़ने पर टैंकलॉरी से भी पेयजल की आपूर्ति के लिए अभी से ही व्यवस्था करने का निर्देश दिया। इसके अलावा पशुओं के लिए पानी की कमी नहीं हो इसको लेकर जिला पशुपालन पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है। बता दें कि 10 अप्रैल के अंक में गर्मी से सूख रहे लोगों के हलक शीर्षक के तहत आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने बोले पूर्णिया में यह मामला उठाया था। बढ़ती गर्मी,तेज पछुआ हवा एवं संभावित हीटवेव से बचाव को लेकर जिलाधिकारी कुन्दन कुमार की अध्यक्षता में महानन्दा सभागार में बैठक की गयी। इसमें हीटवेव से बचाव को लेकर जिलाधिकारी द्वारा संबंधित अधिकारियों को कई आवश्यक दिशा निर्देश दिया है।
उन्होंने कहा कि सतर्कता, जानकारी एवं जागरूकता द्वारा ही हम हीट वेव से बचाव कर सकते हैं। हीट वेव से सुरक्षा हेतु लोगों को पूरी सावधानी बरतने एवं निर्धारित मापदंडों का पालन करवाने के लिए पंचायती राज विभाग, आईसीडीएस, शिक्षा, स्वास्थय सहित सभी संबधित विभागीय पदाधिकारी व्यापक जागरूकता कार्यक्रम चलाए। जिलाधिकारी ने सिविल सर्जन को सभी सरकारी अस्पतालों में सभी आवश्यक दवाओं सहित हीट वेव प्रभावित मरीजों के इलाज की विशेष व्यवस्था तथा पर्याप्त मात्रा में ओआरएस पैकेट, आईवीफ्लूड एवं जीवन रक्षक तथा सर्प दस्त की दवा इत्यादि की ससमय व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कहा है।गौरतलब हो कि गर्म हवा एवं लू का काफी प्रतिकूल प्रभाव हमारे शरीर पर भी पड़ता है, जो कभी-कभी घातक भी साबित हो सकता है। इस संबंध में थोड़ी से सावधानी एवं दिशा निर्देशों का पालन कर लू/गर्म हवाओं से तथा आगलगी के प्रभाव से बचा जा सकता है। इसको लेकर सभी सबंधित विभागों यथा नगर निकायों, स्वास्थ्य, पीएचईडी, शिक्षा, आईसीडीएस, जिला पशुपालन पदाधिकारी,पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, जिला पंचायती राज पदाधिकारी, ग्रामीण विकास विभाग, कार्यपालक अभियंता विद्युत, जिला परिवहन पदाधिकारी एवं संबंधित अधिकारियों को संभावित हीट वेव को लेकर सभी प्रकार की तैयारियां कर रिपोर्ट समर्पित करने का निर्देश दिया गया है। जिलाधिकारी ने कार्यपालक अभियंता विद्युत प्रमंडल पूर्णिया पूर्व एवं पश्चिमी को निर्देश दिया है कि जीर्ण-शीर्ण तारों की मरम्मती एवं आवश्यकता अनुसार तार बदलना सुनिश्चित करें। ताकि विद्युत से आगलगी की घटना एवं जीवन क्षति न हो सके। जिला पदाधिकारी द्वारा सभी संबंधित पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया कि अग्निकांड से प्रभावित परिवारों को अविलंब उसी दिन सहायता प्रदान करना सुनिश्चित करें।
लू लगने पर क्या करें:
लू लगे व्यक्ति को छांव में लिटा दें अगर उनके शरीर पर तंग कपड़े हो तो उन्हें ढीला कर दें अथवा हटा दें।
लू लगे व्यक्ति का शरीर ठंडा गीले कपड़े से शरीर पोंछे या ठंडे पानी से नहलाये।
उक्त के शरीर के तापमान को कम करने के लिए कूलर पंखे आदि का प्रयोग करें।
उसके गर्दन पेट एवं सिर पर बार-बार गिला तथा ठंडा कपड़ा रखें।
उस व्यक्ति को ओआर एस/नींबू पानी नमक चीनी का घोल छाछ या शरबत पीने को दें। जो शरीर के जल की मात्रा को बढ़ा सके।
लू लगे व्यक्ति की हाल में एक घंटे तक सुधार न हो तो उसे तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में ले जाएं
लू लगने पर क्या न करें:
जहां तक संभव हो कड़ी धूप में बाहर न निकलें।
अधिक तापमान में बहुत अधिक शारीरिक श्रम न करें।
चाय कॉफी जैसे गर्म पेय तथा जर्दा तंबाकू आदि का सेवन कम करें अथवा ना करें।
ज्यादा प्रोटीन वाले भोजन जैसे मांस अंडा एवं सूखे मेवे जो शारीरिक ताप को बढ़ाते हैं का सेवन कम करें अथवा न करें।
यदि व्यक्ति गर्मी या लू के कारण पानी की उल्टियां करें या बेहोश हो तो उसे कुछ भी खाने-पीने को न दें।
बच्चों को बंद वाहन में अकेला न छोड़ें।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।