रोज रात को बच्चों को कुछ मीठा खिलाकर सुलाएं
एईएस यानी चमकी की बीमारी को लेकर अपर मुख्य सचिव ने जारी किया प्रोटोकॉल बच्चे

भागलपुर, वरीय संवाददाता बच्चों को एईएस (एक़्यूट इंसेफेलाइटिस सिड्रोम) यानी चमकी की बीमारी से बचाने को लेकर सूबे के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने प्रोटोकॉल जारी करते हुए कहा कि शून्य दिन से लेकर छह साल तक के बच्चों में अप्रैल से मई महीने के बीच चमकी की बीमारी या एईएस होने का खतरा रहता है। जिसका प्रमुख कारण बच्चों में ग्लूकोज की कमी को बताया जाता है। ऐसे में रोज रात को अपने-अपने बच्चों को कुछ मीठा जैसे कि खीर, हलवा आदि को खिलाकर ही सुलाएं। साथ ही यदि किसी बच्चे में सुस्ती या अचानक बेहोशी का लक्षण दिखे तो तत्काल नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाएं।
अपर मुख्य सचिव मंगलवार को जिले के सभी डीएम, सिविल सर्जन व मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के अधीक्षकों के साथ आनलाइन बैठक कर रहे थे। उन्होंने कहा कि चूंकि भागलपुर में एक भी चमकी बुखार या एईएस का का मामला नहीं पाया गया है, बावजूद अग्रिम बचाव के तहत इस बीमारी का प्रचार-प्रसार व पीएचसी-सीएचसी में एईएस के प्रोटोकॉल के अनुसार तैयारी पूरी रखने का निर्देश दिया। बैठक की समाप्ति के बाद डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी ने मायागंज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. हेमशंकर शर्मा, सिविल सर्जन डॉ. अशोक प्रसाद को उनके अधीन अस्पतालों की इमरजेंसी में एईएस, चमकी बुखार के मरीजों को तत्काल इलाज सुनिश्चित करने व इसके प्रचार प्रसार करने का निर्देश दिया। साथ ही सिविल सर्जन को निर्देश दिया गया कि प्रखंड अस्पतालों को चमकी बुखार के इलाज के अनुरूप तैयार करें। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया कि अगर दस साल तक का बच्चा चमकी बुखार के साथ आता है तो इमरजेंसी में उसका इलाज किया जाए न कि रेफर के नाम पर उसे टरकाया जाये। उन्होंने अधीक्षक, जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल को इसे अपने अस्पताल में लागू करवाने को कहा। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के जो क्वेक चिकित्सक होते हैं वे भी आकस्मिक समय में काफी मददगार साबित होते हैं। कोरोना काल में यह देखा गया। उन्हें भी अनौपचारिक प्रशिक्षण दें, ताकि उनकी कुशलता में वृद्धि हो सके।
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