Tariff Impact on Bhagalpur s Katarni Rice and Chura Export Farmers Demand Government Support बोले भागलपुर: टैरिफ से बचने के लिए कतरनी के किसानों को पैकेज दे सरकार, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले भागलपुर: टैरिफ से बचने के लिए कतरनी के किसानों को पैकेज दे सरकार

भागलपुर के कतरनी चावल और चूड़ा को जीआई टैग मिला है, लेकिन अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने से किसान संकट में हैं। टैरिफ के कारण निर्यात में कमी आएगी, जिससे किसानों को उचित मूल्य नहीं मिलेगा। किसान सरकार से...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरSat, 5 April 2025 11:47 PM
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बोले भागलपुर: टैरिफ से बचने के लिए कतरनी के किसानों को पैकेज दे सरकार

देश और विदेश में भागलपुर के कतरनी चावल और चूड़ा की अलग पहचान है। कतरनी को जीआई टैग मिला हुआ है। अनोखा स्वाद, सुगंधित और छोटे दाना वाला चावल और चूड़ा कतरनी की पहचान है। देश के विशिष्ट लोगों को सीजन के अनुसार भागलपुर से जर्दालू आम के अलावा कतरनी चावल और चूड़ा सौगात के रूप में भेजा जाता है। अपनी विशिष्टता के बावजूद कतरनी धान के उत्पादकों को संकट का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने से कतरनी उत्पादकों को बड़ा झटका लगा है। किसानों का कहना है कि टैरिफ लगने से सबसे बुरा असर कतरनी चावल और चूड़ा के निर्यात पर पड़ेगा। अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने से भागलपुर के कतरनी उत्पादकों को बड़ा झटका लगा है। किसानों का कहना है कि टैरिफ से बहुत नुकसान होगा। सबसे बुरा असर कतरनी चावल और चूड़ा के निर्यात पर पड़ेगा। बाजार में मांग कम होने पर किसानों को उपज की उचित कीमत नहीं मिल पाएगी। इससे किसान हतोत्साहित होंगे और इसका सीधा असर कतरनी धान के उत्पादन पर पड़ेगा।

किसान चाहते हैं कि टैरिफ से बचने के लिए सरकार कतरनी धान के किसानों को बड़ा पैकेज दे ताकि आर्थिक नुकसान की भरपाई करते हुए किसान अधिक से अधिक धान का उत्पादन कर सकें। कतरनी धान की खेती मुख्य रूप से भागलपुर जिले के जगदीशपुर, गोराडीह, सुल्तानगंज और शाहकुण्ड प्रखंडों में होती है। जिले के जगदीशपुर प्रखंड की पहचान कतरनी से जुड़ा हुआ है। सबसे अधिक कतरनी धान का उत्पादन जगदीशपुर में होता है। इसके अलावा बांका के रजौन और मुंगेर जिले के तारापुर के कुछ हिस्सों में कतरनी धान की खेती होती है। धान की खेती में बढ़ते खर्च और कम होती आय से किसान चिंतित हैं। रही-सही कसर अमेरिका द्वारा लागू टैरिफ निकाल रहा है। कतरनी धान के उत्पादकों का कहना है कि टैरिफ से होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए सरकार आगे आए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो किसान कतरनी धान की खेती करने से परहेज करने लगेंगे।

भागलपुर कतरनी उत्पादक संघ के सचिव सह जगदीशपुर निवासी राज कुमार पंजियारा ने बताया कि 2018 में बीएयू के सहयोग से भागलपुर कतरनी उत्पादक संघ का गठन किया गया। तब से संघ कतरनी धान के उत्पादन को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है। किसानों को कतरनी धान की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। कतरनी चावल को जीआई टैग मिला हुआ है। लेकिन उचित मूल्य नहीं मिलने से किसान कतरनी का खेती कम करने लगे हैं। अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने से कीमत बढ़ेगी और उसका असर कतरनी चावल और चूड़ा के निर्यात पर पड़ेगा। निर्यात कम होने से बाजार में कतरनी चावल और चूड़ा की मांग कम होने लगेगी। किसानों को उचित कीमत नहीं मिलेगी तो उनका कतरनी धान की खेती के प्रति उत्साह कम होगा। कतरनी धान की खेती किसान कम करने लगेंगे। अभी भी किसानों को उत्पादन का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। पिछले साल रेट कम होने के चलते इस बार किसानों ने कतरनी धान की कम खेती की है। यहां के पानी और मिट्टी की विशेषता है कि कतरनी धान सुगंधित होने के साथ मुलायम होता है। ऐसा दूसरी जगह नहीं होता है।

भागलपुर कतरनी उत्पादक संघ के सदस्य सह देसरी निवासी सखीचंद विश्वास ने कहा कि टैरिफ लगने से होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए सरकार किसानों को उचित पैकेज देने की घोषणा करे। तभी किसान कतरनी धान की खेती करने के प्रति आकर्षित होंगे। कतरनी धान लंबी अवधि में तैयार होता है। सिंचाई की सुविधा नहीं होने से किसानों को काफी परेशानी हो रही है। पटवन का अन्य साधन नहीं है। बारिश पर किसानों को निर्भर रहना पड़ता है। बालू खनन के चलते चांदन नदी गहरी हो गयी है। पानी खेतों तक नहीं पहुंच रहा है। चेक डैम बनाने के लिए डेढ़ साल पहले बिहार के जल संसाधन मंत्री से मिला। आश्वासन मिला लेकिन आज तक सिंचाई की व्यवस्था नहीं हुई।

किसान मन्नु यादव ने कहा कि टैरिफ से कतरनी धान के किसानों को काफी नुकसान होगा। सिंचाई के लिए चार चेकडैम बनाना जरूरी है। इसके लिए 30 सालों से प्रयास किया जा रहा है। पूर्व मुखिया घनश्याम मंडल ने कहा कि टैरिफ लगाने से निर्यात कम होगा। कतरनी चावल और चूड़ा की मांग कम होने लगेगी। बाजार पर भी इसका असर पड़ेगा। टैरिफ से होने वाले नुकसान की भरपाई सरकार करे। किसान बजरंगी यादव ने बताया कि कतरनी चावल और चूड़ा को बढ़ावा देने के लिए सरकार किसानों को आर्थिक सहयोग करे।

टैरिफ से चूड़ा-चावल के निर्यात में आएगी कमी

भागलपुर। भागलपुर कतरनी उत्पादक संघ के सचिव राजकुमार पंजियारा ने बताया कि टैरिफ से कतरनी धान के किसानों को काफी नुकसान होगा। विदेशों में चूड़ा और चावल का निर्यात कम होगा। इसका असर स्थानीय बाजार पर पड़ेगा। किसानों को उचित कीमत नहीं मिल पाएगी। कतरनी का उत्पादन बढ़ाने के लिए भी सरकार को पहल करनी चाहिए। जगदीशपुर क्षेत्र में सिंचाई की बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए। गंगा के पानी को लिफ्ट करके खेतों में पहुंचाने के लिए सरकार को योजना बनानी चाहिए। सिंचाई की सुविधा होने पर कतरनी के उत्पादन में वृद्धि होगी। कई सालों से सिंचाई की व्यवस्था करने की मांग जनप्रतिनिधियों से की जा रही है। लेकिन अभी तक किसानों को कोई लाभ नहीं मिल पाया है।

कतरनी धान उत्पादकों को मिले आर्थिक मदद

भागलपुर। किसान बजरंगी यादव ने बताया कि टैरिफ से कतरनी धान के उत्पादकों को नुकसान होने की संभावना है। नुकसान से राहत पहुंचाने के लिए सरकार किसानों को आर्थिक मदद करे। कतरनी धान का उत्पादन बढ़ाने पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए। चांदन नदी के गहरा होने के चलते पानी खेतों तक नहीं पहुंच रहा है। पर्याप्त पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होने से यहां के किसान अच्छी क्वालिटी के कम लागत में अधिक कतरनी धान का उत्पादन कर सकते हैं। अधिक पैदावार होने से किसानों को खेती करने में लाभ होगा। अभी लाभ से अधिक खर्च खेती करने में हो जाता है। सरकार को कतरनी के नाम पर दूसरे चावल और चूड़ा में मिलावट कर बेचने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करनी चाहिए।

किसानों को संसाधन उपलब्ध कराना जरूरी

भागलपुर। किसान सुभाष पासवान ने बताया कि अमेरिका द्वारा टैरिफ लागू करने से भागलपुर की कतरनी ही नहीं बल्कि अन्य उत्पादों के निर्यात पर भी व्यापक असर पड़ेगा। केन्द्र सरकार को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए। कतरनी धान की उचित कीमत नहीं मिलने से किसान पहले से ही परेशान हैं। टैरिफ लगने से आर्थिक परेशानी और बढ़ जाएगी। खेतों में सिंचाई की बेहतर व्यवस्था नहीं है। इस पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है। अधिक खर्च होने के चलते किसान कतरनी धान की खेती कम करने लगे हैं। बाजार में धान का रेट कम रहता है। सरकार को कतरनी धान बेचने के लिए बाजार की व्यवस्था करनी चाहिए। ताकि किसानों को फसल की उचित कीमत मिल सके। बाजार के साथ किसानों को भी खेती से संबंधित संसाधन उपलब्ध कराना जरूरी है।

नदी में चेकडैम बनने से सिंचाई में होगी सुविधा

भागलपुर। भागलपुर कतरनी उत्पादक संघ के सदस्य सह किसान सखीचंद विश्वास ने बताया कि कतरनी चावल को जी आई टैग प्राप्त है। यह कतरनी धान के उत्पादकों के लिए गौरव की बात है। चांदन नदी के किनारे की जमीन और पानी में विशेषता है। जिससे चावल और चूड़ा में सुगंध रहने के साथ मुलायम होता है। टैरिफ लगने से कतरनी धान के किसानों को नुकसान होगा। विदेशों में चावल और चूड़ा की मांग कम हो जाएगी। बाजार में मांग कम होने से चूड़ा और चावल का रेट कम हो सकता है। सरकार को किसानों के हित में निर्णय लेना चाहिए। सिंचाई की व्यवस्था कमजोर होने के चलते किसानों की रुचि कतरनी धान की खेती में कम होने लगी है। इसका असर उत्पादन पर पड़ रहा है। किसानों को उत्पादन की उचित कीमत दिलाने की जिम्मेदारी किसानों की है।

इनकी भी सुनिए

कतरनी धान उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार को जरूरी पहल करनी होगी। जिससे अमेरिकी टैरिफ लागू होने से उत्पन्न होने वाली समस्या का निदान हो सके। सरकार किसानों को पैकेज दे। ताकि किसानों के नुकसान को कम किया जा सके।

-घनश्याम मंडल, पूर्व मुखिया

अमेरिका द्वारा टैरिफ लागू किए जाने का बुरा असर भागलपुर के कतरनी धान के उत्पादकों पर पड़ेगा। अधिक मात्रा में कतरनी का उत्पाद विदेश में नहीं भेजा जा सकेगा, जिससे मुनाफा भी काफी कम हो जाएगा। सरकार को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए।

-सुनील यादव, कोला खुर्द

कतरनी धान के उत्पादन में दिन-ब-दिन कमी होती जा रही है। जिसका कारण यहां की मिट्टी का प्रदूषित हो जाना है। कतरनी उत्पादन के लिए सरकार को जगदीशपुर क्षेत्र में पानी की सुविधा के साथ जमीन की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए जरूरी पहल करनी होगी।

-रणवीर सिंह, कोला खुर्द

कतरनी चावल और चूड़ा सिर्फ भागलपुर ही नहीं बिहार की पहचान बन चुका है। सुगंध और स्वाद के कारण देश के विभिन्न राज्यों के अलावा विदेशों में भी इसकी काफी मांग होती है। टैरिफ लागू होने से कतरनी के उत्पादन पर असर पड़ेगा।

-सीताराम सिंह, किसान, कोला खुर्द

भारत और अमेरिका के बीच का व्यवसाय किसी भी स्तर पर प्रभावित होता है तो इसका व्यापक असर पड़ता है। केन्द्र सरकार को अमेरिका से बात कर समस्या का समाधान करना चाहिए। टैरिफ से होने वाले नुकसान की भरपाई की व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए।

-शशिकांत पाठक, फतेहपुर

भागलपुर जिले के जगदीशपुर की पहचान कतरनी चावल और चूड़ा को लेकर विश्व में हो गया है। लेकिन उचित कीमत नहीं मिलने से किसान चिंतित हैं। धान के उत्पादन में काफी खर्च होता है। टैरिफ लागू होने से किसानों को और नुकसान होगा।

-मनोज कुमार झा, कोला नारायणपुर

पानी के प्राकृतिक स्रोत की कमी और सिंचाई की व्यवस्था नहीं होने से किसान पहले से काफी परेशान हैं। इसके कारण कतरनी धान का उत्पादन प्रभावित हो रहा है। टैरिफ की समस्या उत्पन्न होने से विदेशों में उत्पादों की आपूर्ति में काफी कमी आएगी।

-मन्नू यादव, जगदीशपुर

टैरिफ से होने वाले नुकसान का आकलन कर भारत सरकार को राहत देनी चाहिए। कतरनी धान के किसानों को इससे नुकसान होगा। विदेशों में चावल और चूड़ा की मांग कम हो जाएगी। सरकार को पैकेज की घोषणा करनी चाहिए।

-बिहारी यादव, अध्यक्ष, सरपंच संघ, जगदीशपुर

जगदीशपुर प्रखंड को प्रकृति ने ऐसा वरदान दिया है, जिसके कारण यहां की भूमि कतरनी धान के उत्पादन के लिए उपयुक्त मानी जाती है। लेकिन पानी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने और प्राकृतिक संसाधनों पर लगातार पड़ रहे प्रभाव के कारण उत्पादन घटता जा रहा है।

-फुलेश्वर सिंह, कोला खुर्द

कतरनी धान के उत्पादन में कमी आने के पीछे कई कारण हैं। पोखर, नदी, नहर, तालाब और डाढ़ का अतिक्रमण हो जाने के कारण जल स्रोत प्रभावित हो गया है। बालू उठाव के कारण भी नदियां लगभग सूख गई हैं। सरकार को इस दिशा में प्रयास करना चाहिए।

-राजेंद्र पंडित, कोला खुर्द

सरकार को कतरनी धान के उत्पादन को बढ़ाने की व्यवस्था करनी चाहिए। ताकि किसानों को खेती में नुकसान नहीं हो सके। टैरिफ से होने वाले नुकसान की भरपाई की भी सरकार को व्यवस्था करनी चाहिए। केन्द्र सरकार को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए।

-रूपेश कुमार, जगदीशपुर

खेतों में नाइट्रोजन का अधिक उपयोग करने से भूमि की उत्पादन क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। सिंचाई की सुविधा नहीं मिल पाती है। ऊपर से टैरिफ की नई समस्या उत्पन्न हो गई है। इससे किसान और कतरनी के व्यवसाय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना तय है।

-अजीत कुमार, जगदीशपुर

शिकायतें

1. टैरिफ लागू होने से कतरनी चावल और चूड़ा का निर्यात कम होगा। बाजार में मांग कम होने से किसानों को नुकसान होगा।

2. कतरनी धान की बाजार में सही कीमत नहीं मिलती है, जिसके कारण कतरनी चावल और चूड़ा का व्यापार प्रभावित हो रहा है।

3. सिंचाई के लिए पानी की पर्याप्त व्यवस्था उपलब्ध नहीं होने के कारण फसल उत्पादन प्रभावित हो रहा है।

4. कतरनी धान की खेती के लिए चांदन और कोकरा नदी में चेकडैम नहीं बनने के कारण सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पाता है।

5. जगदीशपुर क्षेत्र में भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है, जिसके कारण खेती के साथ पेयजल की भी समस्या हो रही है।

सुझाव

1. चांदन नदी और कोकरा नदी पर चेकडैम बनाया जाय, जिससे खेती के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध हो।

2. कतरनी धान के उत्पादन में लगने वाले खर्च के मुताबिक किसानों को कीमत मिले, इसके लिए बाजार उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

3. अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ से होने वाले नुकसान से राहत दिलाने के लिए भारत सरकार को पहल करने की जरूरत है।

4. सरकार को किसानों के हितों में हर खेत तक पानी पहुंचाने की योजना पर काम करना होगा, इससे उत्पादन बढ़ेगा और नुकसान कम होगा।

5. कतरनी चावल और चूड़ा के व्यवसाय को बेहतर करने के लिए उत्पादन बढ़ाने के साथ मिलावट करने वालों पर रोक लगनी चाहिए।

बोले जिम्मेदार

कतरनी के क्षेत्र विस्तार योजना से उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विभागीय स्तर से काम हो रहा है। आत्मा के स्तर से कतरनी की ब्रांडिंग और प्रोमोशन का भी काम हो रहा है। इसका लाभ निश्चित रूप से किसानों को मिलेगा। कतरनी की मांग को देखते हुए ही उत्पादन बढ़ाने की कवायद हो रही है।

प्रभात कुमार सिंह, उप परियोजना निदेशक आत्मा।

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