बिहार में साइबर ठगी का पाकिस्तानी कनेक्शन, ठग पाकिस्तान के नंबर से आपस में करते हैं कॉल और चैटिंग
बिहार में साइबर ठगी से जुड़े मामले की जांच में सामने आया है कि साइबर ठगों की आपसी बातचीत पाकिस्तानी नंबरों से ही होती थी। वे पाकिस्तानी नंबर पर वॉट्सएप एक्टिव कर उसके माध्यम से कॉल व चैटिंग करते थे।दूसरी तरफ से अकाउंट नंबर भेजा जाता था

बिहार में हो रही साइबर ठगी में पाकिस्तान कनेक्शन सामने आया है। राज्य में सक्रिय साइबर अपराधी गिरोह ऑनलाइन ठगी के साथ ही उसकी राशि को ठिकाने लगाने में पाकिस्तानी नंबरों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे उनके लोकेशन और एक्सेस की गोपनीयता बनी रहती है। पिछले दिनों पूर्वी चंपारण (मोतिहारी) जिले में नेपाल बॉर्डर के पास ऐसे गिरोह का पता लगने के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए बिहार पुलिस एक्टिव हुई है।
इस नेटवर्क को खंगालने में जुटी है। इस गिरोह का दायरा चंपारण के साथ सीमांचल तक फैला बताया जाता है। गिरफ्तार अपराधी के पास दो पाकिस्तानी नंबर मिले थे, जबकि वह आधा दर्जन अन्य पाकिस्तानी नंबरों के साथ संपर्क में था। इसके साथ ही उसने 200 से अधिक बैंक खातों की भी जानकारी दी, जिसके माध्यम से ठगी के पैसों का लेन-देन हुआ।
पाकिस्तानी नंबर से आपस में होती थी बातचीत
मामले की जांच में सामने आया है कि साइबर ठगों की आपसी बातचीत पाकिस्तानी नंबरों से ही होती थी। वे पाकिस्तानी नंबर पर वॉट्सएप एक्टिव कर उसके माध्यम से कॉल व चैटिंग करते थे।दूसरी तरफ से अकाउंट नंबर भेजा जाता था, जिसके आधार पर पूर्वी चंपारण से गिरफ्तार अपराधी एटीएम के माध्यम से उन पैसे की निकासी करते थे। बातचीत में अपराधी ने कई वर्षों से इस तरह से अपराध किए जाने की बात स्वीकार की।
उसके पास अलग-अलग बैंकों के नौ एटीएम कार्ड और चार बैंक पासबुक भी बरामद हुए। बताया कि साइबर ठगी के लिए गिरोह के पास 200 से अधिक बैंक अकाउंट हैं। गिरफ्तारी के समय मिले मोबाइल से चार-पांच दिन का वाट्सअप चैट और कॉल डेटा मिला, जिससे 15 बैंक अकाउंट की जानकारी मिली।
एक बार से अधिक नहीं किया जाता था बैंक अकाउंट का इस्तेमाल
बिहार पुलिस को आशंका है कि साइबर ठग गिरोह बड़ी संख्या में खोले गये अवैध बैंक अकाउंट का इस्तेमाल साइबर ठगी या अन्य पैसों के ट्रांसफर में इस्तेमाल करता था। हवाला के जरिए भी एक जगह से दूसरी जगह पैसा भेजने की आशंका जताई जा रही है। फिलहाल पूर्वी चंपारण पुलिस के साथ ही आर्थिक अपराध इकाई भी तकनीकी सहयोग देकर इस गिरोह को खंगालने में जांच में जुटी है। गिरफ्तार हुए गिरोह के सदस्य ने बताया कि पकड़े जाने से बचने के लिए एक बैंक अकाउंट का इस्तेमाल एक बार से अधिक नहीं किया जाता था, जिनके नाम पर बैंक खाते खोले जाते थे, उनको भी कमीशन दिया जाता था।
● सतर्कता और जागरूकता : ऑनलाइन गतिविधियों के दौरान सतर्क रहें। संदिग्ध लिंक, अनजान ईमेल या मैसेज पर क्लिक न करें।
● सुरक्षित वेबसाइट्स का इस्तेमाल: ऑनलाइन खरीदारी या बैंकिंग के लिए हमेशा विश्वसनीय और सुरक्षित वेबसाइट्स का ही इस्तेमाल करें। यूआरएल में ‘https’ और ताले का निशान जांचें
● दो-कारक प्रमाणीकरण (2FA): अपने ऑनलाइन खातों में 2FA सक्षम करें, जिससे अतिरिक्त सुरक्षा स्तर मिलता है।
● सॉफ्टवेयर अपडेट रखें: अपने डिवाइस के ऑपरेटिंग सिस्टम, ब्राउजर और सुरक्षा सॉफ्टवेयर को नियमित रूप से अपडेट करें।
● मजबूत पासवर्ड का इस्तेमाल करें: मजबूत और अद्वितीय पासवर्ड का इस्तेमाल करें और उन्हें नियमित रूप से बदलें।
● सार्वजनिक वाई-फाई से बचें: सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क पर संवेदनशील लेन-देन करने से बचें, क्योंकि ये असुरक्षित हो सकते हैं।
संदिग्ध कॉल्स और मैसेज से सावधान: कोई भी संस्थान आपकी व्यक्तिगत जानकारी या ओटीपी फोन पर नहीं मांगता. ऐसे कॉल्स या मैसेज को नजरअंदाज करें।
साइबर अपराध की रिपोर्टिंग: अगर आप ठगी का शिकार होते हैं, तो तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें या स्थानीय साइबर सेल में शिकायत दर्ज करें।