नालंदा के समृद्ध इतिहास, धरोहरों और सांस्कृतिक विरासतों को समझने से वंचित हो रहे देशी-विदेशी पर्यटक
नालंदा के समृद्ध इतिहास, धरोहरों और सांस्कृतिक विरासतों को समझने से वंचित हो रहे देशी-विदेशी पर्यटक नालंदा के समृद्ध इतिहास, धरोहरों और सांस्कृतिक विरासतों को समझने से वंचित हो रहे देशी-विदेशी पर्यटक...

नालंदा के समृद्ध इतिहास, धरोहरों और सांस्कृतिक विरासतों को समझने से वंचित हो रहे देशी-विदेशी पर्यटक आधुनिकीकरण के नाम पर नालंदा संग्रहालय 14 माह से बंद पर्यटक मायूस हो लौट रहे वापस, लोगों में नाराजगी लोगों को भग्नावशेष के इतिहास की नहीं मिल पा रही जानकारी फोटो: 16नालंदा02 : निर्माणाधीन नालंदा पुरातत्व संग्रहालय। नालंदा, निज संवाददाता। सौ साल से भी अधिक पुरानी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संग्रहालय का काम 14 माह बाद भी अधुरा है। आठ मार्च 2024 से ही पर्यटकों के लिए यह संग्रहालय पूरी तरह से बंद है। चार महिना में तैयार कर जुलाई में पर्यटकों के लिए खोलने का लक्ष्य था। लेकिन, आधुनिकीकरण काम के नाम पर चार सौ दिन बाद भी यह अधूरा है। अधिकारी यह बताने के लिए तैयार नहीं हैं कि संग्रहालय पर्यटकों के लिए कब खोला जायेगा। यह संग्रहालय पर्यटकों के साथ आये बच्चों को विरासत के बारे जानकारी के देने लिए टेक्नोलॉजी से जोड़ा जाना है। संग्रहालय के बंद रहने से देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को बिना संग्रहालय देखे ही वापस लौटना पड़ रहा है। इससे सैलानियों में गहरी नाराजगी है। दिनेश रावत, मनोहर मंडल व अन्य पर्यटकों के अनुसार काफी उमंग के साथ विश्वधरोहर का अवलोकन करने आते हैं। धरोहर तो देख लेते हैं, लेकिन संग्रहालय देखने का सपना अधूरा रह जाता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक यदुवीर सिंह रावत जब आधुनिकीकरण का जायजा लेने आये थे, तब अधिकारियों ने उन्हें भरोसा दिया था कि चार माह में संग्रहालय की मरम्मत एवं सुसज्जित कर आम पर्यटकों के लिए खोल दिया जायेगा। लेकिन, आज भी संग्रहालय के मुख्य द्वार पर ताले लटके हैं। इस संग्रहालय में करीब चार हजार से ज्यादा मोमेंटों (धरोहर) हैं। बंद रहने के कारण पर्यटक इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं। रोटरी क्लब के पूर्व अध्यक्ष अमित कुमार ने कहा संग्रहालय के आधुनिकीकरण का कार्य चार माह में पूरा होना था। 14 माह से पर्यटक बिना संग्रहालय देखे मायूस लौट रहे हैं। पर्यटक नालंदा के समृद्ध इतिहास, विरासत और सांस्कृतिक विरासतों को समझने से वंचित हो रहे हैं। इससे नालंदा की छवि धुमिल हो रही है। पुरातत्व विभाग को भी राजस्व की हानि हो रही है। इसके बाद भी अधिकारियों को इसकी परवाह नहीं है। इसे जल्द पूरा कर पर्यटकों के लिए खोल देना चाहिए। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण पटना सर्किल के प्रभारी अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ. सुजीत नयन ने कहा कि आधुनिकीकरण का काम हमारे अधिन नहीं है। लेकिन, इसके बन जाने से पर्यटक प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय भग्नावशेषों के भ्रमण का लाभ डीजिटल तौर से ले सकेंगे। लोगों को भग्नावशेष के इतिहास की जानकारी भी दी जाएगी। इसका सबसे ज्यादा लाभ बच्चे एवं लाचार लोगों को मिलेगा। आधुनिकीकरण का काम धीमा है। पर्यटक के लिए यह सुविधा कब से शुरू होगा, हम कह नहीं सकते हैं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।