बस पड़ाव 03 : जिले का सबसे व्यस्त रामचंद्रपुर बस स्टैंड भी बदहाल, यात्री शेड तक नहीं
बस पड़ाव 03 : जिले का सबसे व्यस्त रामचंद्रपुर बस स्टैंड भी बदहाल, यात्री शेड तक नहींबस पड़ाव 03 : जिले का सबसे व्यस्त रामचंद्रपुर बस स्टैंड भी बदहाल, यात्री शेड तक नहींबस पड़ाव 03 : जिले का सबसे व्यस्त...

बस पड़ाव 03 : जिले का सबसे व्यस्त रामचंद्रपुर बस स्टैंड भी बदहाल, यात्री शेड तक नहीं पानी के लिए भी भटकना पड़ता है यात्रियों को पटना, रांची, टाटा, नवादा, गया समेत 40 जगहों के लिए खुलती हैं 300 से अधिक वाहन रोजाना 80 हजार से अधिक यात्रियों का है आना जाना बस स्टैंड में 2018 में बनाए गए थे 18 टर्मिनल, वहां एक दिन भी नहीं लगीं बसें कुर्सी व अन्य सुविधाएं हो चुकी हैं नदारद, बने रैनबसेरा ही एक मात्र सहारा फोटो : रामचंद्रपुर बस स्टैंड : बिहारशरीफ रामचंद्रपुर बस स्टैंड के टर्मिनल के पास बने प्रतिक्षालय में छायी वीरानी।
बिहारशरीफ, निज संवाददाता। जिले का सबसे व्यस्त बस पड़ाव रामचंद्रपुर बस स्टैंड है। यहां से पटना, रांची, टाटा, नवादा, गया समेत 40 जगहों के लिए 300 से अधिक वाहन खुलती हैं। रोजाना 80 हजार से अधिक यात्रियों का इस अकेले बस स्टैंड से अपने गंतव्य तक आना-जाना होता है। लेकिन, यह पड़ाव भी इन दिनों काफी बदहाल स्थिति में है। समय सारिणी और किराया चार्ट की छोड़िए, एक यात्री शेड तक नहीं है। एक बोतल पानी के लिए भी यात्रियों को भटकना पड़ता है। इस बस स्टैंड में 2018 में 18 टर्मिनल बनाए गए थे। वहां यात्रियों के लिए प्रतिक्षालय के साथ ही बेंच व कुर्सियां भी लगायी गयी थीं। लेकिन, वहां एक दिन भी बसें नहीं लगीं। अब तों वहां लगी कुर्सी व अन्य सुविधाएं भी नदारद हो चुकी है। फिलहाल वहां बना रैनबसेरा ही यात्रियों का एक मात्र सहारा है। रामचंद्रपुर बस स्टैंड कभी नहीं सोता है। दिनरात यहां यात्रियों की भीड़ लगी रहती है। रात 10 से 11 बजे तक टाटा, चक्रधरपुर समेत अन्य शहरों के लिए लंबी दूरी की एसी और नन एसी बसें खुलती हैं। जबकि, दो बजे के बाद से कोडरमा, रांची, टाटा से आने वाली बसों को आना शुरू हो जाता है। इस बीच में बस पड़ाव में दर्जनों बसों पर चालक व कंडक्टर भी रहते हैं। बीच-बीच में यात्रियों को लाने व ले जाने के लिए टेंपो व अन्य निजी वाहन भी चलते रहते हैं। यानि दिनरात चालू रहने वाला यह बस स्टैंड भी बुनियादी सुविधाओं से महरुम है। इस कारण यात्रियों को खासकर परिवार के साथ चल रहे लोगों को काफी परेशानी होती है। शौचालय नहीं रहने से महिला यात्रियों को सबसे अधिक परेशानी : बस पड़ाव में जीर्णोद्धार का काम चल रहा है। पहले से बने शौचालय को तोड़कर उसकी जगह आधुनिक व्यवस्था के साथ शौचालय निर्माण कराया जा रहा है। लेकिन, अब तक उसका निर्माण काम पूरा नहीं हो सका है। इस कारण महिला यात्रियों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है। अक्सर महिलाओं को शर्मसार होना पड़ता है। हनुमान मंदिर में बना चापाकल भी हो चुका है बेकार : परिसर में हनुमान मंदिर बना हुआ है। वहां भक्तों के लिए चापाकल लगाया गया है। लेकिन, वह भी दो हफ्ता से खराब पड़ा हुआ है। यह चापाकल अक्सर खराब ही रहता है। बनाने के बाद भी दो से तीन दिन तक ही यह चल पाता है। व्यवस्थापक संतोष कुमार शर्मा बताते हैं कि इस चापाकल से यात्रियों के साथ ही चालकों व कंडक्टरों की प्यास बुझती है। लेकिन, यह अक्सर खराब ही रहता है। इसमें सबमरसेबल मोटर लगाकर चलाने का प्रयास किया गया था। वह भी सफल नहीं हो सका है। बोरिंग कराने के लिए गत तीन साल से वे लगातार प्रयास कर रहे हैं। लेकिन, अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है। जबकि, चापाकल देखकर पानी लेने आए यात्री कई बार हमें ही भला बुरा कह देते हैं। इस परिसर में चौबिसों घंटे चलने वाला नल का जल लगाने की आवश्यकता है। रंगत और रौनक बदली, व्यवस्था वही पुरानी : स्मार्ट सिटी के तहत इस बस पड़ाव पर काफी काम हुए। पास के गंदे तालाब को भी सुंदर बनाया जा रहा है। पुराने जर्जर शौचालय की जगह आधुनिक भवन लगभग बनकर तैयार है। इस बस पड़ाव की रंगत और रौनक बदली, लेकिन व्यवस्था अभी भी वही पुरानी वाली है। यात्रियों की सुविधाओं का ख्याल नहीं रखा जा रहा है। हालांकि, यात्रियों की सुविधाओं को देखते हुए रैन बसेरा से सटे पश्चिम तरफ कुछ दुकानें बनायी गयी थीं। ताकि, यात्रियों को उचित मूल्य पर चाय पानी के साथ नाश्ता भी मिल सके। लेकिन, वे दुकानें एक दिन भी नहीं खुलीं। लंबी दूरी वाली बसों के संचालक टेबल पर टांगे हुए हैं समय सारिणी : इस बस पड़ाव से लंबी दूरी वाली दर्जनों बसें सुबह और शाम में खुलती हैं। ऐसे में उन निजी बस संचालकों ने फ्लैक्स पर अपने वाहनों के नाम, ठहरने का स्थान और समय सारणी को दर्शाया है। वे टेबल पर इसे टांगे हुए हैं। इससे यात्रियों को थोड़ी राहत मिल रही है। समय होने पर वहां लगी टेबल, कुर्सी पर ही किसी तरह यात्री अपनी बसों का इंतजार करते हैं। टाटा जा रहे दिनेश राम और मुकेश प्रसाद ने कहा कि वे दो दिन पहले आकर टिकट कटाए थे। रात में नौ बजे बस थी। आठ बजे परिवार के साथ आए। आसमान के नीचे ही सामान रखकर बसों का इंतजार किया। इस दौरान वहां बैठे कंडक्टर से बार-बार बसों के बारे में पुछते रहे। बाल बच्चों के साथ एक घंटा समय बिताना काफी कष्टकारी अनुभव रहा। स्मार्ट सिटी के इस व्यस्त बस पड़ाव पर यात्रियों के लिए सुविधाएं बहाल करने की मांग की। कहते हैं जिम्मेदार : इस बस पड़ाव को स्मार्ट बनाया जा रहा है। जल्द ही यह नए स्वरूप में यात्रियों के लिए उपलब्ध होगा। हम यात्रियों को सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए तेजी से काम चल रहा है। साकेश कुमार, नगर प्रबंधक
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।