गोला में गेहूं भीगने के मामले में जांच शुरू
Lakhimpur-khiri News - गोला गोकर्णनाथ में एफसीआई की टीम ने गेहूं के भीगने के मामले का निरीक्षण किया। बारिश के कारण गेहूं का स्टॉक भीगा था, लेकिन अधिक नुकसान नहीं हुआ। जिले ने गेहूं खरीद में प्रदेश में दूसरा स्थान प्राप्त...

गोला गोकर्णनाथ। गोला के रेलहेड पर गेहूं भीगने के मामले सोमवार को एफसीआई की एक टीम गोला पहुंची और रेलवे स्टेशन पहुंच गेहूं का स्टॉक देखा और संतोष जताया। गनीमत रही कि गेहूं अधिक नहीं भीगा है। रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी जाएगी। रविवार की शाम आए आंधी तूफान के साथ हुई बारिश से रामपुरा पूल से रेलवे रैक से आया हजारों कुन्तल गेहूं जिम्मेदारों की लापरवाही से गोला रेलहेड पर भीगता रहा था। बारिश को लेकर अलर्ट होने के बाद भी गेहूं न ढकने से यह स्थिति बनी थी। हिन्दुस्तान में खबर छपने के बाद सोमवार को एफसीआई के डिविजनल मैनेजर आरएस मीना ने निरीक्षण किया।
उसके बाद राजकीय भंडारण निगम के आरएम शिवम खत्री सहित कई अधिकारी मौके पर पहुंचे। जहां अधिकारियों के सामने अलग-अलग तर्क दिए गए। अंत में ठेकेदार की लापरवाही बताई गई। दावा किया गया कि बोरों की ऊपरी पर्त भीगी थी। गेहूं ज्यादा नहीं भीगा है। टीम ने रैक पर मौजूद जिम्मेदारों को हिदायत दी कि ऐसी व्यवस्था करें जिससे रैक से आने वाला कोई भी अनाज सुरक्षित रहे। गेहूं खरीद में प्रदेश में दूसरे स्थान पर पहुंचा जिला खीरी लखीमपुर। गेहूं खरीद में जिले ने प्रदेश स्तर पर दूसरा स्थान प्राप्त किया है। खीरी जिले में अब तक 4641 किसानों से 40513.89 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है। डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल ने बताया कि हमारा लक्ष्य यही है कि हर किसान को उसकी मेहनत का उचित मूल्य, समय से और बिना किसी बाधा के मिले। मोबाइल क्रय केंद्रों की शुरुआत इसी सोच का हिस्सा रही है, और इसका परिणाम हमारे सामने है। खरीद प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और सुलभ बनाने के लिए जिले में कुल 159 गेहूं क्रय केंद्र स्थापित किए गए हैं। इनमें खाद्य विभाग के 28, पीसीएफ के 59, यूपीसीयू के 40, यूपीएसएस के 15 तथा भारतीय खाद्य निगम के 17 केंद्र शामिल हैं। इन सभी केंद्रों को मोबाइल क्रय केंद्रों में परिवर्तित कर दिया गया है, जिससे अब गेहूं की खरीद किसानों के द्वार पर जाकर की जा रही है। किसानों को उनके आधार लिंक्ड बैंक खातों में 24 से 48 घंटे के भीतर भुगतान किया जा रहा है। इससे किसान समय पर अपनी जरूरतें पूरी कर पा रहे हैं और बाजार में उनकी क्रय शक्ति भी बढ़ी है।
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