जातीय जनगणना का बिहार और पहलगाम से है कनेक्शन? कांग्रेस ने टाइमिंग पर उठाया सवाल
कांग्रेस पार्टी ने इसकी जातीय जनगणना की टाइमिंग पर सवाल उठाकर इस बिहार विधानसभा चुनाव और पहलगाम की आतंकी घटना से जोड़ दिया है। कांग्रेस नेता राशिद अल्वी कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा है कि बीजेपी ने अपने फायदे के लिए जातीय जनगणना कराना स्वीकार किया है।

जातीय जनगणना के केंद्र सरकार के ऐलान के बाद बिहार समेत देश भर में सियासी पारा हाई है। हालांकि, यह एक रेयर केस है जब सरकार के फैसले पर विपक्ष भी जश्न मना रहा है। क्रेडिट लूटने की होड़ में बयानबाजी और पोस्टर वार के बीच कांग्रेस पार्टी ने इसकी टाइमिंग पर सवाल उठाकर इस बिहार विधानसभा चुनाव और पहलगाम की आतंकी घटना से जोड़ दिया है। कांग्रेस नेता राशिद अल्वी कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा है कि बीजेपी ने अपने फायदे के लिए जातीय जनगणना कराना स्वीकार किया है।
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा है कि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी लंबे समय से देश भर में जातीय जनगणना की मांग करते आ रहे हैं। यह देश के सभी वर्गों के विकास के लिए जरूरी है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी इसके लिए तैयार नहीं हो रही थी। लेकिन जब पूरा देश पहलगाम की घटना पर केंद्र सरकार के ठोस कदम का इंतजार कर रहा है तब जातीय जनगणना का ऐलान करके इस बड़े मामले से देश की जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि पहलगाम में 26 लोगों की मौत का बदला लेना सरकार की प्राथमिकता में होना चाहिए। लेकिन सरकार इस बड़े मुद्दे को दबाना चाहती है।
राशिद अल्वी ने कहा कि जब पीएम विदेश दौरे से लौटे तो देश उनके सख्त कदम का इंतजार कर रहा था। लेकिन मोदी जी बिहार में राजनीति करते हुए देखे गए। इससे जाहिर होता है कि केंद्र सरकार का फोकस बिहार चुनाव है। उन्होंने जातीय जनगणना के फैसले पर जश्न मनाने पर ऐतराज जताया। कहा कि जब देश के 26 परिवार और उनके संबंधी शोक में डूबे हैं तो बीजेपी के कार्यकर्ता मिठाई बांट कर खुशियां मना रहे हैं। यह उचित नहीं है।
इधर कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने कहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना कराने का ऐलान किया है। बीजेपी का पिछड़े समाज की भलाई से नहीं बल्कि वोट बटोरने से वास्ता है। उन्होंने मांग किया है कि 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा में ढील दिए जाने पर विचार किया जाना चाहिए। एससी एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों की सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति का विश्लेषण करते हुए प्राप्त तथ्यों के अनुसार उन्हें आरक्षण दिया जाना चाहिए।