योजनाओं से जीवन में बदलाव की कहानी बता रहीं महिलाएं
बिहार सरकार द्वारा महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए उठाए गए कदमों का प्रभाव स्पष्ट हो रहा है। कई महिलाएं शिक्षक, पुलिस कर्मी, और उद्यमिता में काम कर रही हैं। महिला संवाद कार्यक्रम के तहत महिलाएं अपनी...

लहेरियासराय। बिहार सरकार की ओर से महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए उठाए गए कदमों का प्रभाव अब स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। इसका लाभ लेकर कई महिलाओं ने अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए हैं। कुछ महिलाएं शिक्षक और पुलिस कर्मी के रूप में काम कर रही हैं तो कई अन्य ने उद्यमिता की ओर कदम बढ़ाया है। मुख्यमंत्री उद्यमी योजना, सतत जीविकोपार्जन योजना और स्वरोजगार से जुड़ी अन्य पहलों ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महिला संवाद कार्यक्रम के जरिए महिलाओं को ऐसा मंच मिला है जहां वे अपनी इच्छाओं, समस्याओं और सुझावों को सरकार तक सीधे पहुंचा रही हैं।
इसमें महिलाएं अपने अनुभवों से यह भी बता रही हैं कि सरकारी योजनाओं ने उनके जीवन में किस प्रकार बदलाव लाया है। जिले में महिला संवाद के 16वें दिन शनिवार को विभिन्न ग्राम संगठनों की महिलाएं बड़ी संख्या में शामिल हुईं और उन्होंने अपनी मूलभूत जरूरतों को बेझिझक सामने रखा। स्वास्थ्य, शिक्षा और स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार की उपलब्धता को उन्होंने सबसे आवश्यक विषय बताया। कार्यक्रम के दौरान कई महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए। बेनीपुर की पिंकी देवी ने कहा कि गांवों में खेल मैदान की कमी के कारण बच्चे मोबाइल गेम में उलझे रहते हैं, जिससे उनकी आंखों और सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने सभी गांवों में खेल मैदान बनाए जाने की मांग की, ताकि बच्चे स्वस्थ माहौल में खेल सकें और उनकी शारीरिक और मानसिक विकास हो सके। कुशेश्वरस्थान की चमेली देवी ने बताया कि काम के अभाव में उनका अधिकतर समय बेकार चला जाता है। यदि कोई हुनर या स्वरोजगार का साधन होता तो वे अपने परिवार की आय में सहयोग कर सकती थीं। बहादुरपुर की उर्मिला देवी ने बताया कि जीविका से जुड़ने के बाद उन्हें किसी से कर्ज लेने से मुक्ति मिली है। अब छोटी-मोटी जरूरतों के लिए उन्हें किसी के सामने हाथ नहीं फैलाना पड़ता है, क्योंकि जीविका समूह के सहयोग से आसानी से आसान ब्याज दर पर ऋण मिल जाता है। अन्य महिलाओं ने भी मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी में बढ़ोतरी की मांग की। वहीं, विद्यालयों में काम करने वाली रसोइयों ने अपने मानदेय में सुधार की आवश्यकता जताई। साथ ही सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने की बात भी प्रमुखता से उठाई गई।
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