पारा चढ़ा तो शहर में चापाकल हांफने लगे, प्याऊ तो ढूंढ़ने से भी नहीं मिलता
जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, शहर में पेयजल संकट गहरा रहा है। लोग पानी के लिए परेशान हैं और जलस्तर घटने से चापाकल सूख रहे हैं। नगर निगम की व्यवस्था भी असामान्य है, जिससे ग्रामीणों को बोतलबंद पानी खरीदना...
तापमान बढ़ते ही शहर में पेयजल संकट गहराने लगा है। कामकाजी लोग पानी के लिए भटकने लगे हैं। लोगों का कहना है कि चापाकल व सामान्य मोटर पंप धीरे-धीरे सूख रहे हैं। इस वजह से पानी की किल्लत हो गई है। लोग पानी के लिए सार्वजनिक सबमर्सिबल या वाटर टैंकर पर निर्भर हैं। इस स्थिति में कामकाजी लोगों की दिनचर्या पटरी से उतर गई है। इसके अलावा नगर निगम की ओर से शहर में प्याऊ की समुचित व्यवस्था नहीं की गयी है। इससे खासकर ग्रामीण इलाकों से शहर आने-वाले लोगों की परेशानी बढ़ गयी है। प्यास लगने पर उन्हें दुकान से बोतलबंद पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है। जानकारों का कहना है कि शहरी क्षेत्र के अधिकतर हिस्सों में पेयजल का संकट गहरा गया है। इससे पानी के कारोबार की रफ्तार तेज हो गई है। लोग बताते हैं कि निगम के वाटर टैंकर या सबमर्सिबल के पानी का उपयोग नहाने-धोने में करते हैं। पीने और खाना बनाने के लिए पानी का जार खरीदना पड़ता है। लोग बताते हैं कि अप्रैल महीने में ही यह स्थिति है तो मई, जून और जुलाई में और गर्मी बढ़ने पर दिक्कत बढ़ जाएगी।
जल संकट से व्यथित लोग इसके लिए बढ़ते शहरीकरण व निगम की कार्यप्रणाली को जिम्मेवार बताते हैं। लहेरियासराय के डॉ. वेदानंद मिश्र बताते हैं कि वर्षों से शहर में जल संकट की समस्या है। इसका दायरा हर साल बढ़ रहा है। इसके बावजूद निगम प्रशासन इसका स्थायी निदान नहीं ढ़ूढ़ पाया है। इसके चलते आम शहरी परेशान हैं। उन्होंने बताया कि पोखर, मन, चौर आदि क्षेत्रों में शहरीकरण के विस्तार से जल संकट उत्पन्न हुआ है। जलस्तर की रिचार्जिंग की प्राकृतिक व्यवस्था समाप्त हो गई है। इससे शहर में गर्मी आते ही जलस्तर कम जाता है और पानी की किल्लत समस्या बन जाती है। उन्होंने बताया कि इसके स्थायी निदान के लिए निगम प्रशासन को शहर के सभी भवनों को रेन वाटर हार्वेस्टिंग से लैस बनाने की पहल करनी चाहिए।
सार्वजनिक प्याऊ के अभाव से ग्रामीणों का बढ़ा खर्च : अप्रैल में ही चिलचिलाती धूप से लोगों के हलक सूखने लगे हैं। इस कारण शहर में पानी कारोबार तेज हो गया है। बिरौल से समाहरणालय आए पचकौरी यादव बताते हैं कि शहर के चापाकल सूखे हैं। होटल या चाय दुकानदार भी बोतलबंद पानी देकर पैसे मांगते हैं। इसके चलते दो बोतल पानी खरीदने में 40 रुपए खर्च हो गए हैं। उन्होंने बताया कि पहले होटल-चाय दुकान में पानी फ्री मिलता था, पर अब ऐसी जगह कम है। इसलिए सरकारी स्तर पर चौक-चौराहे पर प्याऊ की व्यवस्था होनी चाहिए। इससे गरीब लोगों को बेवजह पैसा खर्च नहीं करना पड़ेगा। पूर्व मुखिया हेमंत कुमार झा, सामाजिक कार्यकर्ता विकास पासवान, बबलू मिश्र, धीरज चौधरी उर्फ विनीत, ललन कुमार झा, वरुण कुमार आदि बताते हैं कि शहर के दिल्ली मोड़ बस स्टैंड से लहेरियासराय तक एकाध जगह पर ही प्याऊ की सुविधा है। वहां भी पानी देने वाले निगम के स्टाफ गायब रहते हैं। उन्होंने बताया कि शहर के सभी चौक-चौराहों पर दोनों तरफ से एक -एक प्याऊ की व्यवस्था निगम प्रशासन को अविलंब करना चाहिए।
हर घर में नल लगाने में विफल है बुडको
दरभंगा शहरी क्षेत्र में बुडको (बिहार अर्बन डेवलपमेंट एजेंसी) को हर घर नल योजना की जिम्मेवारी मिली हुई है। इसके लिए पिछले कई वर्षों से बुडको की ओर से काम किया जा रहा है। बबलू मिश्र बताते हैं कि फेज वन के बाद बुडको योजना के फेज दो का भी संचालन कर रहा है। फिर भी शहर के आधे हिस्से में पाइप तक नहीं बिछ पाई है। इसके चलते सरकारी राजस्व की हानि हो रही है। प्रतिवर्ष नए सबमर्सिबल बोरिंग और वाटर टैंकर से पानी सप्लाई में निगम का खर्च बढ़ रहा है।
सिकुड़ रहा नदियों का प्रवाह
दरभंगा जिले को नदियों को नैहर (मायका) कहा जाता है, लेकिन आधुनिक दौर में कई नदियों का वजूद मिट चुका है। साथ ही मौजूद नदियों के जलस्तर में लगातार कमी हो रही है। सामाजिक कार्यकर्ता धीरज चौधरी उर्फ विनीत, विकास पासवान, बबलू मिश्र आदि बताते हैं कि शहर से बागमती व कमला नदी गुजरती है। इन दोनों नदियों में पहले भरपूर पानी रहता था। इससे शहर का भूगर्भीय जलस्तर ठीक-ठाक था। फिर प्रदूषण और बांधों के निर्माण से दोनों नदियां सिकुड़ने लगी। इसके बाद शहर में जल संकट शुरू हो गया जो प्रति वर्ष बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि अगर यही हालात रहे हैं तो बारहों महीने लोगों को पानी की किल्लत सताएगी। इसमें सुधार के लिए नदी और पोखरों की सेहत सुधारने की पहल होनी चाहिए।
शहर में पेयजल की समस्या से निपटने के लिए नगर निगम की ओर से सभी मोहल्लों में पानी के टैंकर भेजे जाते हैं। इसके अलावा सभी जगहों पर सबमरसेबल मोटर पंप भी गड़वाये गए हैं। शहरी क्षेत्र में जगह-जगह प्याऊ की व्यवस्था भी की जाती है। जल संकट से निपटने को नगर निगम गंभीर है।
- रवि अमरनाथ, सिटी मैनेजर
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