गुठनी: 08 पैक्स में महज 05 क्विंटल गेहूं की हुई खरीदारी
गुठनी में सरकार ने किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए पैक्स इकाइयों को गेहूं खरीद का अधिकार दिया है। लेकिन चिताखाल में केवल पांच क्विंटल और आंदर में 15 क्विंटल गेहूं ही खरीदी गई है। किसानों ने...

गुठनी, एक संवाददाता। प्रखंड की सभी 08 पंचायतों में गठित पैक्स इकाई एवं व्यापार मंडल को गेहूं खरीद के लिए सरकार ने अधिकार दिया है। बावजूद अभी तक चिताखाल पैक्स इकाई पर महज पांच क्विंटल ही गेहूं की खरीद की गयी है। सरकार ने बड़ी उम्मीद के साथ किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए पंचायत स्तर पर पैक्स इकाइयों को गठित किया था। ताकि किसान सीधे तौर पर सरकार से जुड़कर अपने अनाज की बिक्री कर समय पर खेती कर उत्पादन को बढ़ावा देंगे। फिर भी, किसान मायूस नजर आ रहे हैं। सरकार के तरफ से समर्थन मूल्य 2425 रुपए तय किया गया है। बाजार में निजी साहूकार 2550 से 2700 रुपए प्रति क्विंटल तक गेहूं की खरीद कर रहे हैं। खरीफ फसल में भी अधिकतर किसानों ने अपना धान निजी साहूकार को ही बेचा था इसको लेकर सरकार ने गांव-गांव में जागरूकता अभियान चलाया था। फिर भी किसानों ने निजी साहूकार को ही बेचना उचित समझा। बीसीओ चिंतेश बैठा ने कहा कि इसके लिए तेजी से काम किया जा रहा है। किसानों को गेहूं खरीद के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। आंदर में दस पैक्स से महज 15 क्विंटल हुई गेहूं खरीद आंदर प्रखंड मुख्यालय के 10 पंचायत के टैक्स में सिर्फ 15 क्विंटल गेहूं की ही खरीद हुई है इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसान पैक्स और व्यापार मंडल से गेहूं बेचने में उदासीन है। इसका मुख्य कारण साहूकारों द्वारा नगद भुगतान कर गेहूं खरीद मुख्य कारण है। बीसीओ राजू कुमार ने बताया कि धीरे-धीरे गेहूं खरीद की रफ्तार बढ़ती जाएगी और किसानों को इसके लिए लगातार जागरूक किया जा रहा है। न्यूनतम मूल्य से बाजार का भाव मिल रहा है अधिक सहकारिता विभाग की ओर से प्रति क्विंटल गेहूं खरीद का न्यूनतम मूल्य 2425 निर्धारित किया गया है। जबकि बाजार में प्रति क्विंटल गेहूं का मूल्य 2500 से 2600 तक का है। किसानों को बाजार में बेची गई गेहूं का भुगतान नगद में तुरंत हो जाता है। ऐसे में किसान पैक्स को गेहूं नहीं बेचकर बाजार में बेचने की ओर सबसे अधिक आकर्षित हो रहे हैं। नकदी और जटिल प्रक्रिया बन रही हैं बाधक ============================= प्रखण्ड में गेहूं खरीद की धीमी रफ्तार ने जहां सहकारी समिति की पोल खोल दिया। वही गेहूं खरीद की रफ्तार भी काफी कम देखी गई। इसका सबसे बड़ा कारण किसानों द्वारा बिचौलियों से ही नकदी भुगतान करके गेहूं की बिक्री की जा रही हैं। हालांकि किसानो को उनके द्वारा 2500 से 2600 रुपए दिए जा रहे हैं। जिला सहकारी समितियों द्वारा समय पूर्व किसानो को जागरूक न करना भी इसका सबसे प्रमुख कारण हैं। किसानों की माने तो खराब मौसम, जटिल प्रक्रिया, समय से भुगतान न होने, दूर से पैक्स गोदाम तक लाने से किसान बच रहे हैं।
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