गंगा नदी में दो बेटों को तैरना सिखा रहे थे पिता, एक-एक कर डूब गए तीनों; कैसे हुआ हादसा
राजा अपने दोनों बेटे अंबर और युवराज के साथ स्नान करने गंगा नदी में गए थे। वे अपने दोनों बच्चों को ट्यूब की मदद से तैरना सिखा रहे थे। तभी ट्यूब गंगा नदी में बह जाने से दोनों बच्चे डूबने लगे। बचाने में तीनों डूब गए।

बिहार में पिता और उनके दो बेटे एक दूसरे को बचाने में डूब गए। घटना बाढ़ के चोंदी धोबिया गंगा घाट की है। डूबने से पिता और दो मासूम पुत्रों की मौत हो गई। घटना रविवार को घटी। मृतकों में चोंदी निवासी राजाबाबू पाण्डेय (38) और उनके दो पुत्र युवराज (8) और अंबर (5) शामिल है। घटना के बाद परिवार में कोहराम मच गया। पुलिस ने सभी शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराया और आवश्यक कानूनी कार्रवाई कर रही है।
एनटीपीसी थर्मल परियोजना में कार्यरत राजाबाबू पाण्डेय चोंदी धोबिया घाट के बगल में अपने नवनिर्मित मकान में परिवार के साथ रहते थे। प्रतिदिन की तरह रविवार को राजाबाबू अपने दो पुत्रों के साथ गंगा घाट पर स्नान करने गए थे। हालांकि उन्होंने स्थान बदल दिया था। गंगा में नहाने के दौरान युवराज डूबने लगा। उसे बचाने के लिए छोटे बेटे अंबर को छोड़कर राजाबाबू उसकी तरफ बढ़े। इसी दौरान राजाबाबू गहरे पानी में चले गए और एक-एक कर तीनों डूब गए। आसपास के लोगों ने तीनों को डूबते देखा तो शोर मचाने लगे।
इसके बाद स्थानीय गोताखोरों ने युवराज को निकालकर बाढ़ अनुमंडल अस्पताल में लेकर गए, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इसके बाद गोताखोरों ने कई घंटों की मशक्कत के बाद गंगा नदी से राजाबाबू और अंबर का शव बाहर निकाला। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराकर सौंप दिया।
ट्यूब की मदद से दोनों बेटों को तैराकी सिखा रहे थे राजाबाबू
राजा अपने दोनों बेटे अंबर और युवराज के साथ रोज की तरह रविवार को स्नान करने गंगा नदी में गए थे। स्थानीय लोगों ने बताया कि वे अपने दोनों बच्चों को ट्यूब की मदद से तैरना सिखा रहे थे। तभी ट्यूब गंगा नदी में बह जाने से दोनों बच्चे डूबने लगे। पिता ने दोनों को बचाने का प्रयास किया। लेकिन वे भी बह गए। डूबने की जानकारी मिलते ही स्थानीय लोगों ने गंगा से युवराज को बाहर निकाल लिया और बाढ़ अनुमंडल अस्पताल में लेकर गए, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
एक दिन पहले ही पैतृक गांव से अनाज लेकर आए थे बाढ़
राजाबाबू पाण्डेय शनिवार को अपने पैतृक गांव भदौर थाने के पितौझिया से मसूर लेकर बाढ़ आया था। उनके पिता ने शनिवार को अनाज लेकर आने के लिए बेटे को फोन किया था। पैतृक घर से खाने की सामग्री लाने के लिए बातचीत हुई थी। यह कॉल राजाबाबू और उसके बेटों के लिए मौत का परवाना साबित हुआ। इस हादसे में राजा का पूरा वंश ही खत्म हो गया।
गंगा घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं
स्थानीय लोगों का आरोप है कि बाढ़ में बदहाल और जानलेवा गंगा नदी घाटों पर कोई भी प्रशासनिक स्तर पर सुरक्षात्मक और अन्य बचाव संकेत उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। लिहाजा लगातार लोगों की डूबने की घटनाएं हो रही है। प्रशासनिक उपेक्षा के कारण मौत का सिलसिला जारी है। बिडम्बना है कि हादसे के बाद खोखले वादे तो किए जाते हैं जो बदलते वक्त के साथ कभी पूरे नहीं होते।