वजीरगंज : हिन्दी - मगही साहित्यिक मंच में कविताओं से उठी श्रमिकों की टीस
हिन्दी - साहित्यिक मंच वजीरगंज की मासिक बैठक रविवार को दखिनगांव में हुई। इसमें नए और पुराने रचनाकारों ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की। डॉ. बालेंदु कुमार ने श्रमिकों की महत्ता पर कविता सुनाई। अन्य सदस्यों...

हिन्दी - साहित्यिक मंच वजीरगंज की मासिक बैठक रविवार को दखिनगांव में आयोजित की गई। बैठक में नये - पुराने रचनाकार, लेखक व कवियों ने अपनी - अपनी रचनाओं को पढ़कर खूब वाहवाही व तालियां बटोरी। मगही के शान कहे जाने वाले जयराम बाबु के ज्येष्ठ पुत्र डॉ0 बालेंदु कुमार उर्फ बमबम ने भी मंच से जुड़कर अपनी रचनाएं सुनाई। उन्होंने श्रमिकों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए अपनी कविता जीवन का संगीत अमर है, श्रमिकों की सासों की लय से, जेठ दुपहरी खटता रहता, योगी सच्चा पुरूष प्रबल है, श्रमिकों की सासों की लय से जीवन का संगीत अमर है---------- के माध्यम से देश और समाज में उनका महत्वपूर्ण योगदान के बारे में बताया।
मौके पर मंच के संरक्षक कृष्ण चन्द्र चौधरी, बच्चु शर्मा, अध्यक्ष पंकज कुमार, मंच सदस्य सह सरपंच महेश कुमार सुमन ने भी अपनी - अपनी रचनाओं के माध्यम से नशा मुक्ति, शिक्षा नीति, बेरोजगारी एवं भ्रष्टाचार, प्रकृति से छेड़छाड़ और उसके दुष्प्रभाव विषय को निशाना बनाया। मंच सदस्य सह पंसस आनंद मिलिंद ने मगही द्वैमासिक संदेश पत्रिका का वितरण भी किया, जिसमें क्षेत्र के दर्जनों मगही रचनाकरों का संकलन प्रकाशित किया जाता है। फरवरी माह में तीन मगही रचनाकारों का जन्म दिवस मनाया गया है, जिनमें डॉ0 श्रीकांत शास्त्री, पं0 सतीश कुमार मिश्र एवं श्री रामानाथ सिंह की रचनाएं विशेष रूप से छापी गयी है।
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