शिक्षाविदों, उद्योग और अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग जरूरी: वीसी
दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय के फार्मेसी विभाग ने औषधि खोज और विकास पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। सम्मेलन में...
दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के स्कूल ऑफ हेल्थ साइंस के अंतर्गत फार्मेसी विभाग की ओर से औषधि खोज, विकास और वितरण में प्रगति: चुनौतियां और अवसर (एनसीएडी4-2025) विषय पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन उद्घाटन सत्र के साथ शुरू हुआ। फार्मास्युटिकल विज्ञान में प्रगति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित इस सम्मेलन में फार्मेसी उद्योग के पेशेवर, संकाय सदस्य, शोधकर्ता और विद्यार्थी देशभर से जमा हुए हैं। सत्र का उद्घाटन के मौके पर कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने औषधि खोज और विकास में वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए शिक्षाविदों, उद्योग और अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग के महत्व पर जोर दिया। सम्मेलन में विशेषज्ञ सत्रों में सम्मेलन के विषय पर परिचर्चा शुरू हुई। सत्र की शुरुआत में सैन मेडिकेमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक सुमित अग्रवाल ने स्थानीय विनिर्माण से वैश्विक बाजारों तक: भारत फार्मा 2.0 का उदय पर बात की। प्रो. अरुण कुमार पांडे ने फार्मा (भारत और अंतर्राष्ट्रीय) में विकास और अवसर पर अपने विचार साझा किये।डीआईपीएएस-डीआरडीओ, नई दिल्ली के वैज्ञानिक डॉ. राजेश अरोड़ा ने मिशन-क्रिटिकल ऑपरेशन के लिए प्रोफिलो-थेरेप्यूटिक्स का उपयोग पर अपना वक्तव्य दिया। फार्मेसी प्रमुख प्रो. विवेक दवे, स्कूल ऑफ हेल्थ साइंस के डीन प्रो. सुब्रत के. भट्टामिसरा और पीसीआई में शिक्षा विनियमन के अध्यक्ष प्रो. दीपेंद्र सिंह ने अपनी बातें रखीं। उद्घाटन समारोह में प्रो. आशीष शंकर, प्रो. अमिया प्रियम, डॉ. अरुण कुमार, प्रो. किरण कुमारी, प्रो. राम प्रताप सिंह और प्रो. वेंकटेश सिंह शामिल थे। सम्मेलन के पहले दिन देश भर के छात्रों ने पोस्टर प्रस्तुतियां दीं, जिसमें नवीन शोध, ज्ञान के आदान-प्रदान और चर्चा को बढ़ावा दिया गया।
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