प्रदूषण से निपटने के लिए वृक्षारोपण व जल संरक्षण जरूरी
दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग ने 'वायु प्रदूषण के वैदिक समाधान' विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया। प्रो. विजय कुमार कर्ण ने प्रकृति के प्रति श्रद्धा और प्रदूषण से निपटने...
दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के स्कूल ऑफ अर्थ, बायोलॉजिकल एंड एनवायर्नमेंटल साइंसेज (एसईबीईएस) के अंतर्गत संचालित पर्यावरण विज्ञान विभाग ने 'वायु प्रदूषण के वैदिक समाधान' विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया। कार्यक्रम में नव नालंदा महाविहार, नालंदा के संस्कृत विभाग के प्रो. विजय कुमार कर्ण ने अतिथि व्याख्यान दिया। सत्र की शुरुआत पर्यावरण विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. प्रधान पार्थ सारथी ने अतिथि वक्ता का परिचय दिया। प्रो. विजय कुमार कर्ण ने भारतीय सनातन दर्शन में ध्वनि को पदार्थ का एक रूप माना जाता अथर्ववेद के श्लोक माता भूमिः पुत्रोहम् पृथिव्याः का हवाला देते हुए उन्होंने वैदिक ग्रंथों में प्रकृति के प्रति ईश्वरीय श्रद्धा को दर्शाया। उन्होंने प्रदूषण से निपटने के लिए वृक्षारोपण, जल संरक्षण, गौ रक्षा और सात्विक जीवनशैली जैसे प्रकृति-केंद्रित मूल्यों की ओर लौटने की वकालत की। प्रो. कर्ण ने भारतीय सांस्कृतिक अवधारणा अभ्युदय पर भी जोर दिया, जहां संसाधनों का उपयोग वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए संतुलित है। उन्होंने महात्मा गांधी के चरखे को आत्मनिर्भरता और स्वदेशी की भावना के प्रतीक के रूप में संदर्भित किया। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि वसुधैव कुटुम्बकम (दुनिया एक परिवार है) की वैदिक भावना आधुनिक पर्यावरणीय चुनौतियों के लिए स्थायी समाधान प्रदान कर सकती है। कार्यक्रम में एसईबीईएस के डीन प्रो. रिजवानुल हक, प्रो. राम कुमार, प्रो. राकेश कुमार, डॉ. राजेश कुमार रंजन, डॉ. नीतीश कुमार, डॉ. कृष्ण प्रकाश, डॉ. एनएल देवी, डॉ. सोमा गिरी, सहित शोधार्थी और स्नातकोत्तर छात्र उपस्थित रहे।
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