नवाचारी कृषि से जुड़ें युवा, श्री अन्न उगा कर बनें स्वावलंबी :पुरुषोत्तम कुमार
कमला राय कॉलेज में ‘नवाचारी कृषि एवं युवाओं के भविष्य’ पर सेमिनार का आयोजन किया गया। प्रांत मंत्री पुरुषोत्तम कुमार ने बताया कि भारत की प्राचीन कृषि पद्धतियों ने वैश्विक जीडीपी में 25 प्रतिशत योगदान...

कमला राय कॉलेज में ‘नवाचारी कृषि एवं युवाओं के भविष्य विषय पर सेमिनार का किया गया आयोजन प्रांत मंत्री ने कहा कि भारत की प्राचीन कृषि पद्धतियों ने कभी वैश्विक जीडीपी में दिया था 25 प्रतिशत तक योगदान गोपालगंज,हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एग्रीविजन प्रकल्प के तहत शनिवार को कमला राय कॉलेज में ‘नवाचारी कृषि एवं युवाओं के भविष्य विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन कॉलेज के प्राचार्य प्रो. डॉ. हरिकेश पांडेय, अभाविप प्रांत मंत्री पुरुषोत्तम कुमार, प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. विवेकानंद तिवारी, संघ के जिला प्रचारक जितेश कुमार, एग्रीविजन के प्रांत संयोजक अश्विनी सोनी और खेलो भारत के प्रांत संयोजक प्रिंस सिंह ने स्वामी विवेकानंद और मां सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर तथा दीप प्रज्जवलित कर संयुक्त रूप से किया। सेमिनार को संबोधित करते हुए प्रांत मंत्री पुरुषोत्तम कुमार ने कहा कि भारत की प्राचीन कृषि पद्धतियों ने कभी वैश्विक जीडीपी में 25 प्रतिशत तक योगदान दिया था। लेकिन अंग्रेजी शासन के दौरान गुलामी की मानसिकता ने हमारी उन्नत तकनीकों को हाशिये पर डाल दिया। आज दुनिया स्वास्थ्य के लिए श्री अन्न यानी मोटे अनाज की ओर लौट रही है, जबकि हम फास्ट फूड पर निर्भर होते जा रहे हैं। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि नवाचार और परंपरागत ज्ञान का समन्वय कर कृषि क्षेत्र को फिर से सशक्त बनाएं। प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. विवेकानंद तिवारी ने कहा कि कृषि क्षेत्र में कम आमदनी और अधिक मेहनत के कारण युवा इससे दूरी बना रहे हैं। अगर कृषि को लाभकारी बनाया जाए तो युवा इसमें रुचि लेंगे। संघ के जिला प्रचारक जितेश कुमार ने कहा कि यदि कृषि लागत में कटौती की जाए, खासकर उर्वरक और कीटनाशक के अत्यधिक उपयोग को सीमित कर, तो किसानों की आय दोगुनी करना संभव है। कॉलेज के प्राचार्य प्रो. डॉ. हरिकेश पांडेय ने कहा कि कम लागत में नवाचारी तरीके से खेती कर युवा अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। एग्रीविजन के प्रांत सहसंयोजक अश्विनी सोनी ने बताया कि जलकुंभी और बांस जैसे उत्पादों के माध्यम से आत्मनिर्भरता प्राप्त की जा सकती है, जिससे न केवल आय बढ़ती है बल्कि पर्यावरणीय लाभ भी होते हैं। कार्यक्रम में अभाविप के कई सदस्य, छात्र और कृषि क्षेत्र में रुचि रखने वाले युवा उपस्थित थे।
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