कभी शेड जैसा था आज,आज दिख रही जंक्शन की भव्य इमारत
थावे स्टेशन का विकास अद्भुत है। 30-40 साल पहले यहां की स्थिति साधारण थी, पर अब स्टेशन की सुंदरता और सुविधाएं अत्याधुनिक हैं। यात्रियों के लिए छांव, साफ-सफाई, और बैठने की व्यवस्था है। प्लेटफॉर्म चौड़े...

जुगुलकिशोर गुप्ता (उम्र 65 वर्ष) मैंने थावे स्टेशन को उस रूप में देखा है, जब यहां बस एक छोटा-सा यात्री शेड होता था । प्लेटफॉर्म पर बैठने की भी व्यवस्था नहीं थी। टिकट लेने के लिए लंबी कतारें लगती थीं। बरसात में तो लोग भीग जाते थे। आज जब स्टेशन को देखा तो यकीन नहीं हुआ कि यह वही थावे है। स्टेशन की इमारत इतनी सुंदर और भव्य बन गई है कि लगता है मां थावे वाली के मंदिर का ही कोई हिस्सा हो। रात में रोशनी से जगमग करता स्टेशन किसी त्योहार की तरह लगता है। प्लेटफॉर्म पर छाजन की व्यवस्था, बैठने के लिए सुंदर बेंचें और साफ-सुथरा वातावरण - सब कुछ बहुत ही आधुनिक हो गया है।
अब यहां आना एक सुखद अनुभव हो गया है। मैं सरकार और रेलवे को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने हमारे थावे को इतना सुंदर रूप दिया। शारदानंद प्रसाद (उम्र 69 वर्ष) थावे स्टेशन की दशा आज से 30-40 साल पहले बहुत साधारण थी। न कोई छांव की व्यवस्था थी न साफ-सफाई और ना ही यात्रियों के बैठने की सुविधा। आज जो बदलाव हुआ है, वह अविश्वसनीय है। सबसे पहले तो प्लेटफॉर्म अब चौड़े और समतल हो गए हैं। जिससे चलने में सुविधा मिलती है। टिकट और पूछताछ काउंटर अब बहुत व्यवस्थित हो गए हैं। प्रतीक्षालय में बैठने के लिए अच्छी कुर्सियां और सुंदर पेंटिंग्स लगी हैं, जो मन को प्रसन्न करती हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि अब स्टेशन पर चौबीसों घंटे गाड़ी, ऑटो, पार्किंग और शौचालय की सुविधा मिल रही है। जो पहले कभी नहीं थी। दूर-दराज से आने वाले यात्रियों के लिए यह बहुत बड़ा बदलाव है। मुझे गर्व है कि मैं थावे जैसे ऐतिहासिक स्थल का निवासी हूं।
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