भागवत कथा के श्रवण से मनुष्य भगवान के हो जाते हैं प्रिय
माया, मोह, दुख का नाश करके जो अंतःकरण में सच्चिदानंद को प्रकट कर देते हैं जब ज्ञान होता है, तो मोह का नाश होता है, वैराग्य होता है तो दुख का नाश होता है

गोरौल । संवाद सूत्र श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने से मनुष्य भगवान का प्रिय बन जाता है। भागवत का अर्थ भगवान का हो जाना है। भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ को त्रिवेणी भी कहते हैं। त्रिवेणी यानी जहां तीन नदियों का संगम हो, प्रयागराज में गंगा, जमुना और सरस्वती का संगम है। इस प्रकार भागवत कथा भी त्रिवेणी है। इस कथा में भक्ति ज्ञान और वैराग्य का संगम है। जब ज्ञान होता है, तो मोह का नाश होता है, जब वैराग्य होता है तो दुख का नाश होता है और जब भक्ति होती है तो आनंद की प्राप्ति होती है। माया, मोह, दुख का नाश करके जो अंतःकरण में सच्चिदानंद को प्रकट कर देते हैं। उसी को भागवत कहते हैं। उक्त बातें लोदीपुर पंचायत के चैनपुर गांव स्थित मनोकामना सिद्ध संकट मोचन हनुमान मंदिर के प्रांगण में आयोजित श्रीमद्भभागवत कथा के प्रथम दिन भागवत मर्मज्ञ कथावाचक छोटे बापू जी महाराज ने कहीं। उन्होंने उपस्थित लोगों को बताया कि संसार में दो चीज अति दुर्लभ है। एक सत्संग और दूसरी भगवान की कथा। सत्संग करना चाहिए और भगवान की कथा सुनाना चाहिए। सत्संगति करने से मिलता है संस्कार किसी ने पूछा सत्संग क्या दे सकती है, कथा क्या दे सकती है। बता दें कि भगवान की कथा सब कुछ दे सकती है। हमें अभी यह समझ में नहीं आएगा। जब हमारा शरीर सब प्रकार से असमर्थ हो जाएगा। उस समय समझ में आता है कि सत्संग और कथा ने क्या दिया है। सत्संगति करने से संस्कार की प्राप्ति होती है। भगवान की कथा सुनने से जीवन जीने की शिक्षा प्राप्त होती है। कथा के दौरान अयोध्या से आये व्यास सियाराम दास जी महाराज के सुमधुर कीर्तन से लोग भाव विभोर हो रहे हैं। गोरौल -01- बुधवार को गोरौल में भागवत कथा सुनाते भागवत मर्मज्ञ छोटे बापू जी महाराज।
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