बिहार के बच्चों की लंबाई कैसे कम हुई? कारण उजागर; समाज कल्याण मंत्रालय एक्शन से हलचल
आंगनबाड़ी सेविकाओं की गलती से बिहार में बच्चों का कद घट गया। जिलों से आई रिपोर्ट कई विभागों को भेज दी गई और इसके कारणों की अलग-अलग स्तरों पर पड़ताल भी शुरू हो गई है।

बिहार में बच्चों की लंबाई कम होने का मसला चर्चा में है। समेकित बाल विकास की राज्यस्तरीय समीक्षा में अजीब मामला सामने आया है। सूबे के सभी जिलों में आंगनबाड़ी सेविकाओं की गलती से बच्चों का कद घट गया। जिलों से आई रिपोर्ट कई विभागों को भेज दी गई और इसके कारणों की अलग-अलग स्तरों पर पड़ताल भी शुरू हो गई है। पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने कई मंचों से यह बात उठाई और चिंता भी प्रकट किया।
इधर, जब विभाग ने गहन समीक्षा की तो पता चला कि बच्चे नाटे नहीं हुए, बल्कि उनकी रिपोर्ट में घालमेल किया गया है। इसके बाद समाज कल्यण विभाग ने बच्चों के सत्यापन का आदेश जारी किया है। बाल विकास परियोजना के तहत बीते 26 अप्रैल को राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक हुई थी। इस बैठक के पूर्व विभाग को रिपोर्ट मिली थी कि सूबे के बच्चों का औसत कद घटा हुआ पाया गया है। विभाग की समझ में यह बात नहीं आई और इसके आंकड़े दूसरे विभाग से भी साझा किए गए।
दरअसल विभाग ने बच्चों के कद घटने के संबंध में पड़ताल शुरू की तो असली कहानी सामने आयी। दरअसल, बच्चों की कद काठी और उनके पोषण आदि के संबंध में एक रिपोर्ट तैयार होती है। इस रिपोर्ट को स्टंटिंग स्टेट्स कहा जाता है।
इसकी समीक्षा में यह बात सामने आई कि बच्चों का कद नहीं घटा, बल्कि आंगनबाड़ी सेविकाओं ने रिपोर्ट ही गलत दी है। पता चला कि बच्चों की सही माप व वजन लिए बिना ही सेविकाओं ने रिपोर्ट दे दी थी। इस रिपोर्ट के मिलान में सूबे के बच्चों का औसत कद घटते क्रम में पाया गया। हकीकत उजागर होने के बाद विभाग इनका सत्यापन कराने में जुट गया है। राज्य के सभी जिलों को रिपोर्ट भेज दिया गया है और बच्चों से संबंधित आंकड़ों का सत्यापन कराने को कहा गया है।