न हौसला कम हुआ है,न सैलानियों के कश्मीर की सैर के प्लान में कोई तब्दीली आई है
न हौसला कम हुआ है,न सैलानियों के कश्मीर की सैर के प्लान में कोई तब्दीली आई है न हौसला कम हुआ है,न सैलानियों के कश्मीर की सैर के प्लान में कोई तब्दीली आई है

न हौसला कम हुआ है,न सैलानियों के कश्मीर की सैर के प्लान में कोई तब्दीली आई है झाझा होकर जम्मूतवी जाने वाली हिमगिरी में बर्थ उपलब्धता में वेटिंग की सूरत अभी भी है यथावत
झाझा, निज संवाददाता
न किसी देशवासी के हौसलों में कोई कमी आई है और.....न ही सैलानियों के कश्मीर की सैर के प्लान में कोई तब्दीली आई है। यदि जम्मू कश्मीर को जाने वाली टे्रन में बर्थों की उपलब्धता की स्थिति को इसका पैमाना माना जाए तो वह साफ तौर पर कुछ ऐसा ही संकेत व संदेश देता दिख रहा है। इसके अलावा इधर झाझा रेलवे स्टेशन स्थित पीआरएस काउंटर पर हाल की पड़ताल करने पर सूत्रों ने बताया कि बुधवार को पूर्व में बर्थ बुक कराया हुआ कोई भी शख्स या परिवार जम्मू ओर की कोई भी टिकट कैंसिल कराने नहीं पहुंचा था। ये तथ्य कहीं न कहीं इस बात की पुष्टि करते प्रतीत हुए कि इंसानियत के दुश्मन व इंसानियन को कलंकित करने वाले चंद आतंकवादियों की हैवानियत का कोई भी सैलानियों पर शायद नहीं पड़ा है। इसके उलट,इधर आम नागरिकों में भी उन आतंकियों एवं उनके आकाओं के विरूद्ध गुस्से एवं उनसे तत्काल इंतकाम लेने की ज्वाला धधकती मिली।
टे्रन की किसी भी श्रेणी में 22 जून तक नजर आई वेटिंग की स्थिति:
बता दें कि झाझा-किऊल मेनलाइन के रास्ते हावड़ा-जम्मूतवी हिमगिरी एक्सप्रेस नामक एक ही टे्रन जम्मू कश्मीर की ओर जाती है। बुधवार को आईआरसीटीसी में उक्त टे्रन में बर्थ की उपलब्धता सर्च करने पर मौजूदा चर्चाओं के उलट,काफी हैरान करने वाली स्थिति सामने आती दिखी। बात टे्रन की स्लीपर बोगी की हो या फिर 3 एसी,एसी इकोनोमिकल,सेकेंड अथवा फर्स्ट एसी की ही क्यों न हो,सभी श्रेणियों में इस 26 अप्रैल से लेकर करीब दो माह बाद के 22 जून तक अमूमन वेटिंग वाली स्थिति से ही सामना होता दिखा। कुछ तिथि विशेष में तो रिग्रेट तक का संदेश भी नजर आया। अलबत्ता,फर्स्ट एसी में 15 जून को उपलब्धता का संदेश दिखा।
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