महिलाओं की बढ़ रही है सामाजिक व राजनीतिक भागीदारी
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खगड़िया, नगर संवाददाता। जिले के विभिन्न प्रखंडों में महिला संवाद कार्यक्रम का आयोजन रविवार को की गई। इस दौरान महिलाओं ने अपने अपने वार्डों, गांवों के समस्याओं से लोगों को अवगत कराया। इस दौरान महिलाओं ने कहा कि अब उनलोगों की भागीदारी सामाजिक व राजनीतिक क्षेत्रों में भी हो रही है। महिलाओं ने कहा कि अब उनलोगों के भागीदारी के बिना किसी भी समाज का समुचित और सतत विकास संभव नहीं है। इधर परबत्ता प्रखंड के हर्ष ग्राम संगठन में महिला संवाद का आयोजन किया गया। जिसमे जीविका जिला कार्यालय से सामाजिक विकास प्रबंधक उमाशंकर साह , वित्त प्रबंधक अनिल राम , सतत जीविकोपार्जन नोडल रंजीत कुमार, वाई पी फार्म अभिनव कुमार और उत्तम लाल शर्मा शामिल हुए।
इसके अतरिक्त उजाला ग्राम सगठन दिघौन बेलदौर, मां सती ग्राम संगठन सदर प्रखंड ,संग्राम ग्राम संगठन में भी महिला संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिले के सभी सात प्रखंडों में प्रतिदिन 12 ग्राम संगठनो में महिला संवाद का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि महिला संवाद कार्यक्रम की शुरुआत इस सोच के साथ की गई कि महिलाएं न केवल समाज का अभिन्न हिस्सा हैं, बल्कि वे समाज को दिशा देने वाली सशक्त ताकत भी हैं। महिला संवाद का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों की महिलाओं को राज्य की विकास योजनाओं में सहभागी बनाना, उन्हें जागरूक करना तथा उनकी आकांक्षाओं, सुझावों और समस्याओं को सरकार तक पहुँचाकर आगामी नीतियों में स्थान देना है। कार्यक्रम के दौरान महिलाओं को राज्य सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी गई। योजनाओं की जानकारी के लिए लीफलेट भी महिलाओं को दिया जा रहा है। इन योजनाओं के बारे में वीडियो फिल्मों और प्रेजेंटेशन के माध्यम से विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई, जिससे महिलाओं को बेहतर समझ और जागरूक हो रही है । महिला संवाद के दौरान नोडल पदाधिकारी ने कहा कि महिलां न केवल जागरूक हो रही हैं, बल्कि वे अपने अधिकारों, योजनाओं और विकास प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तत्पर भी हैं। कार्यक्रम की विशेषता यह भी है कि महिलाओं की राय, सुझाव और समस्याओं को केवल सुनकर वहीं समाप्त नहीं किया गया, बल्कि उसे डिजिटल माध्यम (एप्लिकेशन) के जरिए एकत्र कर सरकार तक पहुंचाया जा रहा है। महिला संवाद से महिलाओं में आत्मविश्वास की अभूतपूर्व वृद्धि हुई है और वे अब समाज को एक नई दिशा देने के लिए तैयार हैं।महिला संवाद कार्यक्रम लोकतंत्र के उस स्वरूप को साकार करता है, जिसमें जनता की सीधी भागीदारी नीतियों के निर्माण में होती है। जब महिलाएँ, जो अब तक नीति निर्माण की प्रक्रिया से वंचित रही थीं, अपनी राय साझा करती हैं और सरकार उन्हें गंभीरता से सुनती है, तो यह लोकतंत्र की सच्ची सफलता कही जा सकती है। यह कार्यक्रम सशक्तिकरण, भागीदारी, और लोकतांत्रिक विकास का जीवंत उदाहरण है। इसके जरिए सरकार न केवल महिलाओं की आकांक्षाओं को स्वर दे रही है, बल्कि उन्हें नीति का आधार बनाकर एक समावेशी और संवेदनशील शासन की ओर अग्रसर है। जब महिलाएँ बोलेंगी, तो नीति बदलेगी और जब नीति बदलेगी, तब समाज बदलेगा।
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