पहाड़ी इलाके में स्वास्थ्य, शिक्षा ओर पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं
पहाड़ी इलाके में स्वास्थ्य, शिक्षा और पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं

प्रकाश मंडल । चानन सरकार के तमाम प्रयास के बावजूद आदिवासी इलाकों का अपेक्षित विकास नहीं हो सका है। अब भी यहां के लोगों को उद्धारक की तलाश है। आदिवासी क्षेत्र अक्सर दूर-दराज के दुर्गम और सुदूर इलाके में होता है, जिस कारण भी विकास चुनौतीपूर्ण हो जाता है। चानन के पहाड़ी इलाकों में बसे जगुआजोर, गोबरदाहा, कछुआ, सतघरवा, महजनमा आदि गांवों में गरीबी, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है। यहां अब भी विकास की धमक पूरी तरह नहीं पहुंच सका है। यह इलाका एक समय नक्सलियों के कब्जे में रहने की बात कही जाती थी। लेकिन पिछले तीन चार वर्षो में सीआरपीएफ, एसएसबी, एसटीएफ व जिला पुलिस की सक्रियता की वजह से लोग चैंन की सांस ले रहे है।
कुछ साल पहले यह इलाका सड़क, बिजली और संचार से बिल्कूल महरूम था, जिसे हद तक पूरा किया जा रहा है। बीमार लोगों के लिए सुविधा का अभाव : पहाड़ी इलाका में बसे लोगों को वर्तमान में इलाज के लिए काफी जद्दोजहद करना पड़ता है। प्रशासन द्वारा इनके क्षेत्र में ही प्राथमिक चिकित्सा मुहैया कराने को लेकर प्रयास कर रही है। लेकिन अब तक संभव नहीं हो सका है। बिजली आने से जगी उम्मीद : पहाड़ी इलाके में बसे आदिवासी गांवों में बिजली आने से लोगों में नई उम्मीद का संचार हुआ है। बावजूद अभी कई मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो सकी है। पेयजल के मामले में अब भी लोगों को काफी फजीहत झेलना पड़ता है। मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार हर घर नल जल योजना का लाभ गोबरदाहा, सतघरवा, कछुआ आदि गांव के लोगों को नहीं मिल रहा है। इन गांव की महिलाओं को पानी सहेज कर रखना पड़ता है। चानन के तीन पंचायतों में बसे है आदिवासी : चानन प्रखंड के भलूई, कुंदर एवं संग्रामपुर पंचायत में आदिवासी समाज के लोगों की जनसंख्या ज्यादा है। भलूई पंचायत में सतघरवा, महजनमा, बासकुंड, संग्रामपुर में कछुआ कुंदर में गोबरदाहा, जगुआजोर, गोरधोवा गांव बसा हुआ है। इन गांवों में पेयजल समस्या का समाधान अब तक नहीं हो सका है। हर बार गर्मी के सीजन में यहां पानी की किल्लत होती है। जिम्मेदार की सूनें : पहाड़ी इलाके के लोगों का विकास हो इसके लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। हाल के दिनों में अनुसूचित जाति/जनजाति टोले में शिविर लगाकर समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया जा रहा है। अधिकांश जगहों पर हर घर नल जल की शिकायत लोगों द्वारा किया गया है, इस पर गंभीरता से काम किया जा रहा है। पेयजल किल्लत को लेकर वरीय अधिकारी को अवगत कराया गया है। मोनिका सिन्हा, पंचायती राज पदाधिकारी चानन। लोगों ने कहा 01. कुंदर पंचायत के गोवरदाहा कोड़ासी में बोरिंग कर सिंग्नल टंकी बैठाया जायेगा। वर्तमान में विभाग द्वारा बोरिंग कर चापाकल बैठाया जा रहा है। आदिवासी इलाके में पानी की किल्लत न हो इसका ख्याल रखा जा रहा है। प्रभा देवी, मुखिया कुंदर पंचायत। 02. अधिवक्ता अमर सिंह भारती ने कहा कि विभागीय लापरवाही से योजना का सही लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। आदिवासी इलाके में पानी की किल्लत जारी है। पीएचईडी की उदासीनता की वजह से लोगों को शुद्ध जल नहीं मिल पा रहा है। अमर सिंह भारती 03. महुलिया निवासी सुशील कुमार ने कहा कि सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार हर घर नल जल योजना आदिवासी इलाके में महज शोभा की वस्तु बनकर रह गई है। सरकार के लाखों खर्च के बाद भी लोगों को पानी नसीब नहीं हो पा रहा है। पहाड़ी इलाका होने के कारण साधारण चापाकल काम नहीं कर पाता है। सुशील कुमार 04. मननपुर बस्ती निवासी कुमकुम सिन्हा ने कहा कि वार्ड नंबर 10 में पीएचईडी द्वारा चार साल पहले बोरिंग कर टंकी लगा दिया गया। लेकिन कायदे से पानी सप्लाई नहीं हो सका। पहाड़ी इलाका होने के कारण साधारण चापाकल गर्मी के शुरूआती दिनों में ही हांफने लगा है। कुमकुम सिन्हा 05. गृहिणी बसंती देवी ने कहा कि पहाड़ी इलाके में योजना पूरी तरह फ्लॉप साबित हो रही है। इस योजना का वृहत जांच होना चाहिए। संवेदक व अधिकारी की मिली भगत से लोगों को शुद्ध पानी नहीं मिल पा रहा है। आदिवासी टोला में बसे लोग गंदे और आयरनयुक्त पानी पी रहे है। बसंती देवी 06. कुराव निवासी रामदेव मांझी ने कहा कि आदिवासी इलाके के विकास को लेकर किसी ने अब तक सूध नहीं ली है। संवेदक की लापरवाही से लाखों की लागत से हर वार्ड में लगे टंकी महज शोभा की वस्तु बन कर रह गई है। जिम्मेदार अधिकारी को स्थलीय जांच कर कार्रवाई करनी चाहिए। रामदेव मांझी 07. गृहिणी लखिया देवी ने कहा कि पहाड़ी इलाके में गर्मी के सीजन में पानी जुटाना मुश्किल काम होता है। सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार हर घर नल जल योजना हाथी के दांत साबित हो रही है। कहीं भी योजना का लाभ सही से नहीं मिल रहा है। लखिया देवी 08. भंडार निवासी जोगी पासवान ने कहा कि विभागीय अधिकारी द्वारा भौतिक मुआयना नहीं किए जाने से, हर घर नल जल योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। वर्तमान में हर घर नल जल योजना शोभा की वस्तु बनकर रह गई है। जोगी पासवान 09. रेउटा निवासी रामारण मंडल ने कहा कि हर घर नल जल योजना को दुरूस्त कराने को लेकर पीएचईडी के विभागीय गंभीर नहीं है। यही वजह है कि आदिवासी गांव गोबरदाहा, जगुआजोर, गोरधोवा में पानी की किल्लत जारी है। रामारण मंडल 10. भलूई हॉल्ट निवासी जितेन्द्र पंडित ने कहा कि विभागीय लापरवाही की वजह से हर घर नल जल योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है। वर्तमान में हर घर नल जल योजना खुद प्यासा है, ऐसे में घरों तक पानी पहुंचना कतई संभव नहीं है। भलूई हॉल्ट में अब तक इसका लाभ नहीं मिल सका है। जितेन्द्र पंडित 11. पैक्स अध्यक्ष चंदन कुमार ने कहा कि पहाड़ी इलाके में हर साल पानी की किल्लत होती है। बासकुंड, महजनमा, सतघरवा, गोबरदहा आदि गांवों में डीप बोरिंग जरूरी है। पानी लोगों को मिले इसके लिए पंचायत प्रतिनिधि को ध्यान देने की जरूरत है। चंदन कुमार 12. मननपुर बाजार निवासी ऋषि कुमार ने कहा कि पहाड़ी इलाके में बसे लोगों को अब भी पूर्ण विकास नहीं हो सका है। आदिवासी समाज के लोगों को अच्छे दिन का इंतजार है। हर घर नल जल का लाभ नहीं मिल रहा है। ग्रामीणों को कभी पानी मिला ही नहीं। ऋषि कुमार
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