संपर्क पथ नहीं बनने से पुल के औचित्य पर सवाल
बरदाहा रामपुर तिलाबे धार में बने पुल का एप्रोच पथ न होने से लोगों को काफी परेशानी हो रही है। बारिश के मौसम में सहरसा और सुपौल जाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। किसानों को जान जोखिम में डालकर...

घैलाढ़, संवाद सूत्र। प्रखंड के बरदाहा रामपुर तिलाबे धार में बने पुल का पंहुुुच पथ नहीं रहने से लोगों को परेशानी होती है। एप्रोच पथ नहीं रहने से पुल के औचित्य पर सवाल उठ रहा है।
यह पुल मधेपुरा जिला सीमा से दो जिला सुपौल और सहरसा जाने के मार्ग को जोड़ता है। पुल निर्माण के लगभग दस साल बाद भी सड़क संपर्क और पहुंच पथ की दशा सुधारने को लेकर विभाग के अधिकारी उदासीन बने हैं। जान जोखिम में डालकर वाहनों की आवाजाही होती है। इस पुल से दो पहिया वाहनों को छोड़कर बड़े वाहनों का परिचालन बंद है। दो पहिया वाहनों को भी इस रास्ते से गुजरने में खतरा उठाना पड़ता है। बरसात के मौसम में पुल होने के बाबजूद इस सड़क से आवागमन बाधित रहता है। मालूम हो कि बरदाहा घाट पुल दर्जनों गांव की आबादी को सहरसा, सुपौल के अलावा पंचगिछिया रेलवे स्टेशन को जोड़ती है। यह पुल मार्ग तीनों स्थानों को कम दूरी तय कर जोड़ने का काम करती है। इस महत्वपूर्ण मार्ग की स्थिति यह है कि पुल से आगे लगभग दो सौ मीटर सड़क नहीं बनने के कारण सहरसा जिला मुख्यालय जाने वाले मार्ग से संपर्क भंग है। पुल का पहुच पथ नहीं रहने के कारण गड्ढा पार करना दो पहिया वाहन व पैदल चलने वालों के लिए कष्टप्रद बन चुका है। तिलाबे धार से उस पार बरसात के मौसम में खेती करने के लिए किसानों को ट्रैक्टर लेकर जाने में लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। किसान और मजदूर जान जोखिम में उालकर दूसरी तरफ खेत तक पंहुचते हैं। खासकर बरसात में पशुपालकों को मवेशियों के लिए चारा लाने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। ग्रामीण रामगुलाम सिंह, राहुल सिंह, दीपक सिंह, दिनेश यादव, रुपिलाल यादव, गंगा प्रसाद यादव, सतीश कुमार, अमित कुमार, गौरव यादव, ज्योतिष कुमार,आदि ने बताया कि संपर्क पथ नहीं होने के कारण बाजार आने जाने और खाद बीज अन्य सामान वाहन से लाना मुश्किल है। खासकर बरसात के मौसम में पानी जमा रहने और हल्की बारिश होने के बाद आवाजाही ठप हो जाती है। बरसात के मौसम में पशुओं का चारा लाने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि इस समस्या से कई बार प्रतिनिधियों और अधिकारियों को भी अवगत कराया गया है। लेकिन कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है। बीडीओ अविनाश कुमार ने बताया कि इस समस्या से जिला को अवगत कराते हुए रिपोर्ट भेजी गयी है। जल्द ही एप्रोच पथ चालू कराया जाएगा।
एप्रोच विहीन पुल बरसात में अनुपयोगी हो जाता है। किसान जान जोखिम में डाल कर खेती और पशु चारा लाने को मजबूर हो जाते हैं।
रामदेव साह मोहनपुर बरदाहा
पुल का निर्माण तो दस साल पहले कराया गया, लेकिन एप्रोच विहीन रहने के कारण बरसात में लंबी दूरी तय कर नदी के दूसरी ओर जाना पड़ता है
सौरभ कुमार भारती, मोहनपुर बरदाहा
बरसात के मौसम में सहरसा और सुपौल जिले जाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। पुल का एप्रोच पथ दुरुस्त कराने की जरूरत है।
ललन कुमार यादव, परमानपुर
बरसात के मौसम में पशुचारा लाने और तिलावे के उस पार बहियार में खेती करने के लिए भी कई किलोमीटर दूरी तय कर जाना पड़ता है। प़ुल का एप्रोच पथ नहीं रहने से परेशानी होती है।
रोहित कुमार, बरदाहा
तिलावे नदी के उस पार बहियार में खेती के लिए खाद और अन्य सामान ले जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। किसानों को लंबी दूरी तय कर वाहनों से दूसरी ओर जाना पड़ता है।
गुड्डू यादव, मोहनपुर बरदाहा
पुल में एप्रोच निर्माण किए जाने से राहगीर के साथ किसानों को राहत मिलेगी। लगातार मांग किए जाने के बाद भी जनप्रतिनिधि और विभागीय अधिकारी लापरवाह बने हैं।
आशुतोष कुमार, मोहनपुर बरदाहा
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