अस्पताल में टीबी रोगी को बेड मिला न इलाज हुआ
झंझारपुर के अनुमंडलीय अस्पताल में एक मरीज को बेड नहीं मिला और वह अपनी नानी की गोद में जमीन पर लेटा रहा। 24 वर्षीय राजु मुखिया क्षय रोग से पीड़ित हैं। नानी ने डॉक्टरों से गुहार लगाई, लेकिन कोई मदद नहीं...
झंझारपुर, निज संवाददाता। झंझारपुर के आईएसओ मानक प्राप्त अनुमंडलीय अस्पताल में एक हृदयविदारक दृश्य सामने आया। एक बीमार मरीज को अस्पताल में बेड नहीं मिला और वह घंटों अपनी नानी की गोद में खुले आसमान के नीचे जमीन पर लेटा रहा। दादी अपने पोते के इलाज की गुहार लगाती रही, लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी। वह मरीज मधेपुर थाना क्षेत्र के बाथ गांव के धनेश्वर मुखिया के 24 वर्षीय पुत्र राजु मुखिया हैं। वह क्षय रोग से पीड़ित हैं और उसके मुंह नाक से खून निकल रहा था। उसे उसकी नानी भलसरिया देवी सुबह में इलाज के लिए अनुमंडलीय अस्पताल लेकर आई थी।
दिन के एक बज गए लेकिन न तो राजू को भर्ती किया गया न ही उसका इलाज किया गया। भलसरिया देवी कहती हैं कि उसने अस्पताल के डॉक्टर से लेकर कर्मियों व सुरक्षा गार्ड के पास अपने नाती को भर्ती कर इलाज करने का फरियाद लगाती रही मगर धूप व गर्मी से बचाव के लिए अदद एक बेड तक नहीं दिया गया। अंत मे वह इस उम्मीद में इमरजेंसी वार्ड के बगल में ही नीचे जमीन पर राजू को लेकर बैठ गई कि कभी तो अस्पताल कर्मियों का हृदय पिघलेगा और उसके नाती को भर्ती कर इलाज किया जाएगा, मगर ऐसा नहीं हो सका। इस दौरान एक सुरक्षा गार्ड जरूर उनके पास आया, लेकिन केवल पूछताछ करके चला गया, बिना किसी सहायता के। जब अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक डॉ रमण पासवान से इस बाबत बताया कि प्रत्येक दिन यहां पहुंचने वाले सैकड़ों मरीजों का इलाज किया जाता है। यक्ष्मा रोगी को जांच के बाद आवश्यक दवा उपलब्ध करा कर घर भेज दिया जाता है। यक्ष्मा रोगी को बेड मुहैया नहीं किया जाता है। इधर, सिविल सर्जन डॉ हरेंद्र कुमार ने कहा है कि ऐसा होना नहीं चाहिए। क्षय रोग से पीड़ित को वहां से कम से कम मधुबनी रेफर कर दिया जाना चाहिए। वे इस मामले को गंभीरता से लेते हैं और पूरे मामले को अपने स्तर से जानकारी प्राप्त कर जो उचित होगा वह किया जाएगा।
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