Tribute to Indian Tourists Killed in Pahalgam Terror Attack at Literary Gathering कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध, Madhubani Hindi News - Hindustan
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कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध

मधुबनी में स्वचालित कविगोष्ठी का आयोजन प्रो. जेपी सिंह के आवास पर हुआ। यह गोष्ठी आतंकी हमले में मारे गए भारतीय पर्यटकों को समर्पित थी। कई कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। पंकज सत्यम ने कहा कि यह...

Newswrap हिन्दुस्तान, मधुबनीSat, 3 May 2025 12:12 AM
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कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध

मधुबनी, नगर संवाददाता। स्वचालित कविगोष्ठी की साहित्यिक गोष्ठी प्रो. जे पी सिंह के आवासीय परिसर में गुरुवार को हुई। गोष्ठी का संयोजक प्रो. जेपी सिंह के निदेशन, प्रो. शुभ कुमार वर्णवाल के कुशल प्रबंधन, यायावर कवि पंकज सत्यम की अध्यक्षता, सह-संयोजक उदय जयसवाल के कुशल संचालन में हुई कविगोष्ठी में बीसियों कवियों ने अपनी रचनाएं सुनाई। ‘पहलगाम में आतंकी हमले में मारे गए भारतीय पर्यटकों को समर्पित गोष्ठी रही। समीक्षा डॉ. विनय विश्वबंधु ने की। गोष्ठी की शुरुआत कवि शिव नारायण साह की रचना ‘युद्ध होना जरूरी है से हुई। कवि दयानंद झा ‘दहशतगर्दों की कमर तोड़ दो आतंकवाद को ललकारती रचना ने सभी में जोश भर दिया।

ज्योति रमण झा ‘देश में हो रहा ये आतंकी हमला खूब तालियां बटोरी। प्रो. जे. पी. सिंह की ‘पी लो पाकिस्तान को, प्रो. नरेन्द्र नारायण सिंह निराला ‘आतंकियों को इंतकाम से नेस्तनाबूद कर देंगे क्रांतिकारी रचना सभी का ध्यान आकृष्ट किया। रेवतीरमण झा ‘नाम छै आम्रपाली मुदा गरीब अछि, सुभाष चंद्र झा सिनेही ‘करो एहसान इतना, अधिवक्ता ऋषिदेव सिंह ‘गामक इजोरिया, युवा कवि शक्ति नारायण ठाकुर ‘अवध में आए राजा राम, डॉ. विनय विश्वबंधु ‘आज है अक्षय तृतीया भोलानंद झा ‘वैराग्य से, चण्डेश्वर खां ‘सम्मानित लघुकथा सराही गई। कवि-साहित्यकार अवकाशप्राप्त प्राचार्य प्रो. शुभ कुमार वर्णवाल की रचना ‘आहत और मर्माहत देश कश्मीर से कन्याकुमारी, इंतकाम बस इंतकाम! बदला लो हे हिन्दुस्तान। उदय जायसवाल ‘तुम्हारे बलिदान, क्रांति के साथ रहेंगे गोष्ठी को गमगीन बना दिया। पंकज सत्यम ‘बहुत खूबसूरत है ये अपनों की दुनिया, उन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि स्वचालित कविगोष्ठी साहित्यिक इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जायगा। दयानंद झा द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया। अंत में पहलगाम में आतंकियों द्वारा मारे गये भारतीयों को श्रद्धांजलि दी गई। इसके अलावा बाहर से प्रेषित रचनाएं लखनऊ से डॉ. कुसुम कुमारी ‘वीर प्रसूता मां को, गुजरात से पंकज लोचन सहाय कमल ‘सागर की लहरें, दिल्ली से मुकेश चंद ‘पाताल भुवनेश्वर है, फारबिसगंज से स्नेहा किरण ‘प्रगतिशील लेखक वही प्रस्तुत की।

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