सरकारी कार्यक्रमों में अवसर संग प्रशक्षिण व अनुदान का मिले लाभ
जिले में लोक गायकों की संख्या 1500 से अधिक है, जो शादी समारोह और अन्य कार्यक्रमों में प्रस्तुति देते हैं। कलाकारों को समय पर पारश्रिमिक नहीं मिलने और सरकारी कार्यक्रमों में अवसर नहीं मिलने से वे...
जिले में अपनी लोकगायकी से सुरों की महफिल सजानेवाले शहर में तकरीबन 1500 से अधिक कलाकार हैं, जो विभन्नि अनुष्ठानों, शादी समारोहों व अन्य मांगलिक कार्यक्रमों में अपने गीतों से लोगों का मनोरंजन करते हैं। इनमें जिले में करीब पांच हजार से अधिक लोक गायक कलाकार हैं। लोक गायक रामचंद्र साह, अमित गोस्वामी, विजय कुमार, व्यास अखिलेश्वर सिंह, ब्रजेश सिंह, नीरज कुमार, जय प्रकाश सिंह, अशोक गिरि, रामेश्वर तिवारी ने बताया कि उनकी कला की कद्र कम होती जा रही है। उचित पारश्रिमिक नहीं मिलने से गायकी के पेशा से लोक कलाकार दूरी बनाने लगे हैं। इसका मुख्य कारण है कि उन्हें समय पर पारश्रिमिक नहीं मिल पाता है। कार्यक्रम में प्रस्तुति देने के बाद संबंधित पार्टी के घर का चक्कर काटना पड़ता है।
सरकारी कार्यक्रमों में नहीं मिलता मौका : व्यास अखिलेश्वर सिंह, ब्रजेश सिंह, जय प्रकाश सिंह, अशोक गिरि, रामेश्वर तिवारी ने बताया कि सरकारी कार्यक्रमों में उन्हें अपनी गायकी की कला के प्रदर्शन का मौका नहीं मिल पाता है। मजबूरन अपनी आजीविका चलाने के लिए उन्हें हनुमान आराधना, अष्टयाम के अलावा अन्य समारोह में सोहर, विवाह गीत, गजल, भजन, आराधना, नर्गिुण, पूर्वी, सरगम आदि प्रस्तुत करना पड़ता है। उन्हें इन विधाओं में प्रस्तुति के लिए अभ्यास व प्रशक्षिण का मौका नहीं मिल पाता है। गायकों ने कहा कि सरकारी स्तर पर प्रशासनिक कार्यक्रमों में प्रस्तुति से जिला स्तर पर उनकी पहचान बनेगी।
सरकारी स्तर पर प्रशक्षिण व अनुदान नहीं मिलता
लोक गायक कलाकार रामेश्वर तिवारी, अशोक गिरि, जयप्रकाश सिंह, नीरज कुमार, ब्रजेश सिंह ने बताया कि सरकारी स्तर पर उनके प्रशक्षिण का कोई इंतजाम नहीं है। जिला प्रशासन के द्वारा लोक कलाकारों के प्रशक्षिण की व्यवस्था करनी चाहिए। इससे हमें कला में निखार लाने का अवसर मिल सकेगा। सरकारी स्तर पर कलाकारों को अनुदान भी दिया जाना चाहिए। इससे गायकों को अपनी जरूरत का इंस्टूमेंट खरीदने में मदद मिल सकेगी।
जिला स्तर पर हो गायकों का रज्ट्रिरेशन
लोक गायकों ने कहा कि जिला स्तर पर लोक गायकों का रज्ट्रिरेशन आवश्यक है। इसके लिए कला व संस्कृति विभाग को पहल करनी चाहिए। इससे जिला प्रशासन के पास लोक गायकों की सूची भी उपलब्ध हो जाएगी, फिर इससे हमसे संपर्क करने में भी आसानी होगी। सरकार को स्थानीय लोक कलाकारों को चह्निति करना चाहिए, ताकि इनके पंजीकरण में सुविधा हो सके। इससे सरकार व सरकारी योजनाओं की पहुंच भी इन लोक गायकों तक आसान हो सकेगी।
काम से लौटते समय रोकती है पुलिस, मिले पहचान पत्र
लोक गायक विजय कुमार, रामचंद्र साह, अशोक गिरि व कुंदन वत्स ने बताया कि जिला व जिला के बाहर से कार्यक्रम प्रस्तुत कर देर रात घर लौटने के क्रम में उन्हें जगह-जगह रोका जाता है। पुलिस उनसे पूछताछ करती है व पहचान पूछती है। मगर, जिला प्रशासन की ओर से उन्हें किसी प्रकार का पहचानपत्र नहीं दिया गया है। इससे उन्हें बार-बार अपनी पहचान साबित करनी पड़ती है। पुलिस संतुष्ट होने के बाद ही घर जाने की इजाजत देती है।
जिलास्तर पर सरकारी संगीत वद्यिालय खुले
लोक गायक कलाकार बिंटी शर्मा, रामेश्वर तिवारी, रामचंद्र साह, अमित गोस्वामी ने कहा कि जिला स्तर पर सरकारी संगीत वद्यिालय खोला जाए। इससे स्थानीय युवाओं व लोक गायकों को बहुत फायदा होगा। संगीत के क्षेत्र में रोजगार की बड़ी संभावनाएं हैं। भावी पीढ़ी को भी संगीत के क्षेत्र में रुचि उत्पन्न हो सकेगी। इसके अलावा जिला मुख्यालय में लोक कलाकारों के लिए एक कार्यालय कक्ष भी खोला जाए, जहां जिले के लोक गायक इकठ्ठा हो सकें। कलाकारों का समागम हो सके। कलाकारों ने खेल भवन की तरह संगीत भवन बनाने की मांग प्रशासन से की है।
लोक गायकों को स्वास्थ्य बीमा लाभ व अनुदान मिले
लोक गायकों ने कहा कि कलाकारों को बहुत कम पारश्रिमिक मिलता है। काम के सिलसिले में अक्सर देर रात घर लौटना पड़ता है। ऐसे में दुर्घटना का डर बना रहता है। जिला प्रशासन को उनका स्वास्थ्य बीमा कराना चाहिए। लोक गायकों के पास लग्न के मौसम के पश्चात कोई काम नहीं रह जाता है। ऐसे में उन्हें आर्थिक संकट से गुजरना पड़ता है। शहर में कार्यक्रम के दौरान असामाजिक तत्व के लोग परेशान करते हैं। इससे कार्यक्रम को बीच में रोकना पड़ता है। पुलिस को अलग मोबाइल नंबर जारी करना चाहिए, ताकि जरूरत पड़ने पर कलाकार पुलिस से संपर्क कर सकें।
लोक कलाकारों को सम्मान व प्रोत्साहन की जरूरत
लोक गायकों ने कहा कि जिले में गुम होती लोक गायकी की कला को बचाए रखने के लिए कलाकारों को सम्मान व प्रोत्साहन की जरूरत है। कलाकारों को लोग सम्मान की दृष्टि से नहीं देखते। लोगों के कार्यक्रमों में अपनी लोक गायकी से सुरों की महफिल सजानेवाले कलाकार सम्मान के भूखे होते हैं। उन्हें सामाजिक व सरकारी स्तर पर सम्मान व प्रोत्साहन दिए जाने की जरूरत है। लोक गायकों ने कहा कि सरकारी महोत्सव में नेपोटज्मि होता है। स्थानीय कलाकारों में चेहरा देखकर काम दिया जाता है। जिले से बाहर के लोक गायकों को बुलाया जाता है पर स्थानीय गायकों को मौका नहीं मिल पाता है। समय के साथ कई लोक गायकों का सुर साथ छोड़ रहा है। सरकार को ऐसी पहल करनी चाहिए कि उनका बुढ़ापा आसान हो सके। साथ ही उनकी आजीविका आसान हो सके।
शिकायतें
1.सरकारी आयोजनों में स्थानीय कलाकारों को मौका नहीं दिया जाता है। साथ ही कम पैसे में बेहतर प्रदर्शन के लिए दबाव बनाया जाता है।
2.गायक कलाकार अपनी प्रस्तुति देकर देर रात घर लौटते हैं। प्रशासन को लोक गायकों का स्वास्थ्य बीमा कराना चाहिए।
3.लोक कलाकारों को उचित पारश्रिमिक, अनुदान, प्रशक्षिण व प्रोत्साहन नहीं दिया जाता है। इससे लोक गायकों को परेशानी होती है।
4.जिला प्रशासन की ओर से उन्हें किसी प्रकार का आईकार्ड इश्यू नहीं किया गया है। कलाकारों को देर रात घर लौटने के क्रम में पुलिस रोकती है।
5. लोक गायक कलाकारों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ व आश्रित को किसी भी तरह का लाभ नहीं मिलता है। इससे भवष्यि की चिंता बनी रहती है।
सुझाव
1.सरकारी आयोजनों में स्थानीय कलाकारों को मौका देने की जरूरत है। उचित पारश्रिमिक देकर उनका उत्साह बढ़ाया जा सकता है।
2.प्रशासन लोक गायक कलाकारों का स्वास्थ्य बीमा कराए। गायक प्रस्तुति देकर देर रात घर लौटते हैं। ऐसे में दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
3.गायक कलाकारों को उचित पारश्रिमिक देने की जरूरत है ताकि प्रस्तुति देने के बाद पारश्रिमिक के लिए गायकों को भटकना नहीं पड़े।
4.जिला प्रशासन की ओर से लोक कलाकारों को पहचान पत्र जारी किया जाए। इससे उन्हें देर रात घर लौटने के क्रम में पुलिस परेशान नहीं करेगी।
5.काम के तुरंत बाद कलाकारों को उचित पैसा मिल जाना चाहिए। इवेंट संचालकों को इसको लेकर सार्थक पहल करनी चाहिए।
बोले जम्मिेदार
लोक गायकी में रुचि रखनेवाले जिले के कलाकारों के प्रति सरकार की चिंता हमेशा बनी रहती है। इसी उद्देश्य से जिला स्तर पर आयोजित होने वाले सरकारी कार्यक्रमों में स्थानीय लोक गायक कलाकारों को प्राथमिकता दी जाती है। जिले के सभी सरकारी वद्यिालयों, सरकारी कार्यक्रमों, महोत्सव तथा स्वतंत्रता-गणतंत्र दिवस समारोह पर आयोजित होनेवाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी लोक गीत व लोक नृत्य पर फोकस रहता है। बिहार दिवस पर भी स्थानीय लोक गायकों को मौका दिया गया था।
मंगला कुमारी, प्रभारी पदाधिकारी, कला संस्कृति व युवा विभाग
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