छतौनी मंडी में रोशनी-शौचालय नहीं सब्जियां स्टोर करने की हो सुविधा
शहर के एनएच - 28ए पर सब्जी व फल मंडी में किसानों का आर्थिक शोषण हो रहा है। यहां मूलभूत सुविधाओं की कमी है जैसे शौचालय, लाइट, पार्किंग और पेयजल। सड़ी सब्जियों के सड़क पर फेंकने से शहर का एक्यूएआई खराब...
शहर के अतव्यिस्तम छतौनी चौक के समीप एनएच - 28ए के किनारे निजी जमीन पर रोजाना सब्जी व फल मंडी सजती है। यहां के व्यापारियों ने मंडी में किराए पर दुकान ले रखी है और इसी आड़ में एनएच किनारे तक किसानों की दुकानें सजाते हैं। मंडी में जिले के विभन्नि हस्सिों से व्यापारी, किसान व आम आदमी अपनी फसल बेचने व खरीदने आते हैं। मंडी में मूलभूत सुविधाओं की कमी है। यहां शौचालय, यूरिनल, लाइट, पार्किंग, पेयजल आदि की समुचित व्यवस्था नहीं है। किसानों को नहीं मिलती उपज की सही कीमत : सब्जी मंडी में ग्रामीण इलाकों से आनेवाले किसानों का आर्थिक शोषण भी होता है। मंडी के व्यापारी (गोला संचालक) ही किसानों की उपज की कीमत व कमीशन नर्धिारित करते हैं। शहर की एकमात्र सब्जी मंडी होने के कारण किसानों के पास विकल्प भी नहीं है। इस मंडी में सब्जियों को स्टोर करने की सुविधा नहीं है। ऐसे में उनकी फसल जल्द ही खराब हो जाती है। मजबूरन, उन्हें औने-पौने दाम पर सब्जी बेचनी होती है या सड़क किनारे फेंक देनी पड़ती है।
गोला संचालकों की मनमानी पर अंकुश नहीं : अपनी फसल लेकर आए किसान रवि कुमार, दीपक पटेल, विनोद कुमार, गौतम कुमार, प्रदीप कुमार दास ने बताया कि मंडी के व्यापारियों पर किसी का अंकुश नहीं है, वे किसानों पर अपनी मर्जी चलाते हैं। यहां बिकनेवाले सामान पर प्रतिकिलो के हिसाब से कमीशन वसूला जाता है। इतना ही नहीं मंडी में किराए पर दुकान लेनेवाले व्यापारी खुली धूप में सड़क तक किसानों की दुकान लगाते हैं। यहां किसानों को शुल्क देने के बावजूद किसी तरह की सुविधा मुहैया नहीं करायी जाती है। किसान की सब्जी जो बिक नहीं पाती, उसे व्यापारी कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर करते हैं।
सब्जियों की सड़न से एक्यूएआई हो रहा खराब : डॉ मंजर नसीम ने कहा कि सब्जी मंडी में रोजाना अपनी फसल लेकर किसान पहुंचते हैं। सुबह में एक बार रेट तय हो जाने पर बक्रिी शुरू हो जाती है। बची सब्जियों को कई बार सड़क किनारे फेंक दिया जाता है, जो बाजार व सड़क किनारे सड़ती रहती है। इससे बदबू आती रहती है। इससे शहर का एक्यूएआई का स्तर खराब हो रहा है। इससे शहर की सेहत व सूरत दोनों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। मंडी में सब्जियों की सड़न शहर की सूरत के साथ सेहत भी बिगाड़ रही है। मंडी के व्यापारी भी सड़ी सब्जियों को सड़क किनारे ही फेंक देते हैं। इसमें मलेरिया व डेंगू के कीटाणु पैदा होते हैं। यहां उड़ रही धूल से सांस संबंधी बीमारियां हो रही हैं।
एनएच 28ए पर मंडी के पास रोज लगता जाम, सड़ांध से हो रही बीमारी : शहर के समाजसेवी रामभजन व बीरेंद्र जालान ने कहा कि एनएच 28ए के किनारे सब्जी फेंकने से सड़क संकरी हो गयी है। इससे जाम भी लगता रहता है। सड़क किनारे ही गाड़ी खड़ी कर सामान की लोडिंग व अनलोडिंग की जाती है। सड़क को ही पार्किंग जोन बना दिया गया है। मंडी की आड़ में सरकारी जमीन का अतक्रिमण कर लिया गया है। जिला प्रशासन को जिले के किसानों की चिंता करनी चाहिए। किसानों के हित में कदम उठाना चाहिए। किसानों की फसल के लिए सब्जी मंडी की व्यवस्था की जाए, जहां सुविधाएं मिल सके।
शिकायतें
1.शहर में एनएच - 28ए के किनारे निजी जमीन पर रोजाना सब्जी व फल मंडी सजती है। इससे रोजाना जाम लगता है।
2.सब्जी मंडी में जिले भर से किसान आते हैं। यहां शौचालय, लाइट, यूरिनल, पार्किंग, पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं है।
3.सब्जी मंडी में किसानों का आर्थिक शोषण भी होता है। मंडी के व्यापारी ही उपज की कीमत व कमीशन नर्धिारित करते हैं।
4.बची सब्जियों को स्टोर करने की सुविधा नहीं है। उनकी फसल जल्द खराब हो जाती है। औने-पौने दाम पर बेचना मजबूरी है।
5.सब्जियों को सड़क पर फेंक दिया जाता है। इसकी सड़ांध से बदबू आती है। इससे शहर का एक्यूएआई खराब हो रहा है।
सुझाव
1.शहर के बीच सजनेवाली सब्जी व फल मंडी को शहर से दूर ले जाने की जरूरत है। इससे जाम का समाधान होगा।
2.सब्जी मंडी में शौचालय, लाइट, यूरिनल, पार्किंग व पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं का इंतजाम किया जाना आवश्यक है
3.सब्जी मंडी में किसानों के आर्थिक शोषण पर रोक लगाने की जरूरत है। बाजार के रेट के अनुसार ही मंडी का रेट तय हो।
4.बची सब्जियों को स्टोर करने की सुविधा उपलब्ध करायी जाए। इससे किसानों की बची फसल जल्द खराब नहीं होंगे।
5.सब्जियों को सड़क पर फेंक दिया जाता है। इसकी नियमित सफाई बहुत जरूरी है। इससे शहर का एक्यूएआई सुधरेगा।
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