Youth Athletes in East Champaran Struggle Without Proper Facilities एथलेटक्सि खिलाड़ियों को चाहिए संसाधन, सुविधा व सिंथेटिक ट्रैक, Motihari Hindi News - Hindustan
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एथलेटक्सि खिलाड़ियों को चाहिए संसाधन, सुविधा व सिंथेटिक ट्रैक

पूर्वी चंपारण जिले के युवा खिलाड़ियों को खेल में सफलता पाने के लिए उचित सुविधाओं का अभाव है। जिले में कोई भी स्थायी स्टेडियम नहीं है और सभी खेल मैदानों की स्थिति खराब है। खिलाड़ियों को अभ्यास के लिए...

Newswrap हिन्दुस्तान, मोतिहारीSun, 20 April 2025 06:21 PM
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एथलेटक्सि खिलाड़ियों को चाहिए संसाधन, सुविधा व सिंथेटिक ट्रैक

पूर्वी चंपारण जिले के युवा खिलाड़ियों ने खेल जगत में एक अच्छा सफर तय किया है। वह सफर और शानदार हो सकता था, लेकिन किसी ने यहां के खेल मैदानों के विकास पर ध्यान ही नहीं दिया। जिला मुख्यालय के लगभग सभी खेल मैदानों की स्थिति एक जैसी ही है। नेहरू स्टेडियम में लंबे समय से केंद्रीय वद्यिालय संचालित हो रहा है। गांधी मैदान में सरकारी आयोजन होते रहते हैं। इसके अलावा विभन्नि एकेडमी की ओर से सेना की तैयारी करायी जाती है। दूसरी ओर जिला स्कूल का मैदान खेलने लायक नहीं बचा है। उचित देखभाल के अभाव में यहां बड़े-बड़े घास उग आए हैं। मजबूरन खिलाड़ियों को शहर के खाली स्थानों पर अभ्यास करना पड़ता है। जिला एथलेटक्सि संघ, पूर्वी चंपारण के अध्यक्ष डॉ.आशुतोष शरण व सचिव अरविंद कुमार ने बताया कि एथलेटक्सि में दो तरह के इवेंट होते हैं। पहले इवेंट के लिए ट्रैक जरूरी है, वहीं दूसरे इवेंट के लिए मैदान की आवश्यकता होती है। ट्रैक में दौड़ से संबंधित प्रतस्पिर्द्धा होती है, जबकि फल्डि में जंप, थ्रो आदि की प्रतस्पिर्द्धा होती है। दोनों तरह के इंवेट के लिए जिला मुख्यालय में माहौल नहीं है। यहां के किसी भी ग्राडंड में दौड़ के लिए समुचित ट्रैक नहीं है। जिले में एथलेटक्सि के लगभग 800 से अधिक खिलाड़ी हैं, वहीं शहर में तकरीबन 200 से अधिक खिलाड़ी हैं।

शहर में 400 मीटर का ट्रैक नहीं

खिलाड़ी आशीष गुप्ता, ईशा कुमारी, कुमारी वैष्णवी, अमलेश कुमार ने कहा कि जिला मुख्यालय के किसी ग्राउंड में 400 मीटर का ट्रैक नहीं है। शहर के एकमात्र नेहरू स्टेडियम में 200 मीटर का ट्रैक है, जहां केंद्रीय स्कूल संचालित होता है। चार सौ मीटर की दौड़ के लिए दो सौ मीटर के ट्रैक पर दौड़ लगाना पड़ता है। इसके अलावा किसी भी स्टेडियम में चेंजिंग रूम नहीं है। इससे खासकर महिला खिलाड़ियों को बहुत परेशानी होती है। चेंजिंग रूम के अभाव में महिला खिलाड़ियों को घर से ही यूनिफॉर्म पहनकर आना पड़ता है।

किसी ग्राउंड में सिंथेटिक ट्रैक नहीं

जिले के किसी भी ग्राउंड में सिंथेटिक ट्रैक नहीं लगा है। इससे खिलाड़ियों को दौड़ का अभ्यास करने में दक्कित होती है। खिलाड़ी उमेश प्रसाद, सद्धिार्थ कुमार, सर्वेश भारद्वाज, ऋषि राज, अरुण गुप्ता, जयंत कुमार पटेल ने कहा कि हम यहां मट्टिी पर दौड़ते हैं, जबकि बाहर खेलने जाते हैं तो वहां सिंथेटिक ट्रैक पर दौड़ना पड़ता है। इससे खिलाड़ियों को बहुत दक्कित होती है। इसलिए जिले के खिलाड़ी बाहर के टूर्नामेंट में पिछड़ जाते हैं।

खेल संघ का खुले अपना कार्यालय

खिलाड़ियों ने कहा कि जिला मुख्यालय में खेल संघ का अपना कार्यालय नहीं है। इससे खिलाड़ियों को बहुत दक्कित होती है। उन्हें खेल से संबंधित जानकारी के लिए भटकना पड़ता है। जिला प्रशासन की ओर से एथलेटक्सि के खिलाड़ियों को उपकरण व जरूरी संसाधन भी मुहैया नहीं कराया जाता है। इसके लिए खिलाड़ी विभन्नि खेल संघों पर आश्रित होते हैं। महंगा होने के कारण सभी खिलाड़ी जरूरी उपकरण खरीद भी नहीं पाते हैं। सरकार की ओर से एथलेटक्सि के खिलाड़ियों के लिए जरूरी उपकरण का इंतजाम करना चाहिए। साथ ही खिलाड़ियों को आर्थिक मदद की भी जरूरत है।

जिला मुख्यालय में खिलाड़ियों के ठहरने के लिए बने छात्रावास

ग्रामीण क्षेत्र से आए खिलाड़ियों ने कहा कि जिला मुख्यालय में खिलाड़ियों के लिए आवासन की व्यवस्था होनी चाहिए। टूर्नामेंट के दौरान खिलाड़ियों को घर लौटने में बहुत देर हो जाती है। शहर में ठहरने का इंतजाम नहीं हो पाने की स्थिति में उन्हें रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर रात गुजारनी पड़ती है। इससे असुरक्षा का डर हमेशा बना रहता है। जिला प्रशासन उनकी खेल प्रतिभा में सुधार को लेकर संजीदा नहीं है। खिलाड़ियों को कोई सुविधा मुहैया नहीं करायी जाती है।

शिकायतें

1.नेहरू स्डेडियम में केंद्रीय वद्यिालय संचालित हो रहा है। इससे खिलाड़ियों को ग्राउंड में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाती है।

2.एथलेटक्सि के खिलाड़ियों के लिए शहर में एक भी स्थाई स्टेडियम नहीं है। कहीं भी सिंथेटिक ट्रैक की सुविधा नहीं है।

3.शहर के किसी स्टेडियम की स्थिति ठीक नहीं है। सबका जीर्णोंद्धार जरूरी है। इसमें बड़े-बड़े घास उग आए हैं।

4.जिला स्कूल मैदान व एमएस कॉलेज मैदान को एथलेटक्सि के लिए विकसित किया जा सकता है। अभ्यास में सुविधा होगी।

5.जिला में एथलेटक्सि को लेकर प्रशासन उदासीन बना हुआ है। खिलाड़ियों की तरक्की विभन्नि खेल फेडरेशनों के भरोसे है।

सुझाव

1.शहर के नेहरू स्टेडियम को खाली कराया जाए। इससे एथलेटक्सि के खिलाड़ियों को स्थायी ग्राउंड मिल सकेगा।

2.शहर के सभी स्टेडियम का जीर्णोंद्धार कराया जाए। इससे एथलेटक्सि में रुचि रखनेवाले खिलाड़ियों को फायदा होगा।

3.जिला स्कूल के स्टेडियम को एथलेटक्सि के लिए विकसित किया जा सकता है। इसमें बड़े-बड़े घास उग आए हैं।

4.जिला में एथलेटक्सि को लेकर प्रशासन को गंभीरता दिखानी चाहिए ताकि अच्छे खिलाड़ी जिले का नाम रोशन करें।

5.जिलास्तर पर एथलेटक्सि के खिलाड़ियों के लिए प्रशक्षिति कोच, संसाधन व सिंथेटिक ट्रैक का इंतजाम आवश्यक है।

जिले में खेल व खिलाड़ियों की बेहतरी पर ध्यान दिया जाएगा। खेल संघ के पदाधिकारियों से बातकर ठोस पहल की जाएगी। खासकर महिला खिलाड़ियों की सुविधा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। एथलेटक्सि आउटडोर गेम है। इससे मानसिक विकास होता है। सभी खेल मैदानों को ठीक कराया जाएगा।

-विकास कुमार, जिला खेल पदाधिकारी, पूर्वी चंपारण।

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