लाइब्रेरी नहीं, फिर भी लाखों की किताबें खरीदी गईं
मुंगेर विश्वविद्यालय एवं जमालपुर कॉलेज में पुस्तकों की खरीद में अनियमितताओं के आरोप लगाए गए हैं। लाखों रुपये की पुस्तकें खरीदी गई हैं, लेकिन छात्रों के बैठने के लिए उचित स्थान नहीं है। इसकी जांच का...

मुंगेर, रणजीत कुमार ठाकुर। एक संवाददाता मुंगेर विश्वविद्यालय एवं इसके अंतर्गत आने वाले अधिकांश कॉलेजों में जहां छात्रों के बैठने तक की समुचित व्यवस्था नहीं है, वहीं लाखों रुपये की पुस्तकें खरीदी गई हैं। सूत्रों के अनुसार यह मामला पिछले कुलपति एवं प्रभारी कुलपति के कार्यकाल से जुड़ा हुआ है। पुस्तकों की इस खरीद में सूत्र के अनुसार घोटाले की बू आ रही है। इस मामले में सबसे चौंकाने वाली स्थिति जमालपुर कॉलेज, जमालपुर की है, जहां लगभग 13 लाख 65 हजार रुपये की पुस्तकें खरीदी गई हैं, लेकिन उन्हें रखने के लिए कॉलेज में न तो कोई उचित स्थान है और न ही लाइब्रेरी जैसी मूलभूत सुविधा। यहां स्थिति यह है कि, खरीदी गई अधिकतर किताबें जमीन पर रखी गई हैं।
ज्ञात हो कि, जमालपुर कॉलेज में पुस्तकों की यह खरीद पिछले प्रभारी कुलपति के कार्यकाल का है। सूत्र ने बताया कि, पुस्तकों की खरीद प्रभारी कुलपति के दबाव पर की गई थी। ऐसे में, इन पुस्तकों की खरीद में कॉलेज की परचेज कमेटी की अनुमति भी नहीं ली गई थी। सूत्र ने बताया कि, विश्वविद्यालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार कोई भी कॉलेज 2 लाख रुपये से अधिक के पुस्तकों की खरीद विश्वविद्यालय की अनुमति के बिना नहीं कर सकता, लेकिन यहां इस नियम की भी अनदेखी की गई थी। इसके साथ ही विशेषज्ञ सूत्र ने बताया कि, खरीदी गई अधिकांश पुस्तकें सीबीसीएस पाठ्यक्रम के अनुरूप भी नहीं हैं और सभी किताबें एक ही प्रकाशक से अत्यधिक कीमत पर खरीदी गई हैं। ऐसे में, यहां पुस्तकों की यह खरीद शंका के घेरे में है। क्योंकि, खरीद की जरूरी प्रक्रिया को पूरी किए बिना ही कॉलेज में अत्यधिक कीमत के और एक ही प्रकाशन के पुस्तकों की खरीद की गई है। ऐसे में, सूत्र का कहना है कि, इस खरीद में कहीं- ना- कहीं घोटाले की बू आ रही है।
विश्वविद्यालय मुख्यालय में भी लाइब्रेरी के लिए पुस्तकों एवं अन्य सामानों की खरीद के मामले में स्थिति कुछ अलग नहीं है। यहां भी किताबें तो खरीदी गई हैं, लेकिन छात्रों के बैठने के लिए जगह नहीं है। सभी पुस्तक लाइब्रेरी कम स्टोर रूम में रखी गई हैं। हालांकि, यहां पुस्तक व्यवस्थित रूप से अलमीरा में रखी हुई हैं। लेकिन, यह खरीद भी शक के दायरे में है। विश्वविद्यालय सूत्र ने बताया कि, कई पुस्तकें अनावश्यक रूप से खरीदी गई हैं, जो काफी मंहगी हैं। इसके अलावा पुस्तकालय से जुड़ी कई वस्तुएं, जैसे लाइब्रेरी कार्ड, आईडी कार्ड एवं लाइब्रेरी सदस्यता फॉर्म बिना आवश्यकता के, जब विश्वविद्यालय में ना तो लाइब्रेरी की स्थापना हुई थी और ना ही पुस्तकें ही खरीदी गई थीं, उस समय ही खरीद ली गई थीं।
यह खरीद भी पटना से काफी ऊंची कीमत में की गई थी। उससे कम कीमत में मुंगेर में ही सभी चीजें उपलब्ध थीं। पुस्तकालय के लिए खरीदी गई पुस्तकें एवं अन्य सामानों की खरीद पिछले नियमित कुलपति के कार्यकाल हुई थी। सूत्र ने बताया कि, पुस्तकों की खरीद काफी जल्दबाजी में की गई थी और इनको लेकर तत्कालीन कुलपति ने यहां से जाते-जाते अंतिम समय में पुस्तकालय का उद्घाटन किया था। यहां भी खरीद प्रक्रिया का उल्लंघन किया गया था। ऐसे में विश्वविद्यालय में भी पुस्तक खरीद घोटाले की संभावना दिखाई पड़ रही है। सूत्र ने कहा कि, कॉलेज हो या विश्वविद्यालय पुस्तक खरीद में कहीं न कहीं कुछ ना कुछ गड़बड़ जरूर है। इसकी जांच होनी चाहिए। जांच के बाद सारी चीजें स्पष्ट होंगी और विश्वविद्यालय के वित्तीय संसाधनों का दुरुपयोग रोका जा सकेगा तथा छात्रों को वास्तविक लाभ मिल सकेगा।
कहते हैं विश्वविद्यालय अधिकारी:
जहां भी कोई खरीद की गई है और उस खरीद में आवश्यक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है, तो वह जांच का विषय है। मुंगेर विश्वविद्यालय हो या जमालपुर कॉलेज जमालपुर हो अथवा अन्य कॉलेज यदि पुस्तकालय के लिए आवश्यक खरीद की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है और अनावश्यक रूप से पुस्तकों की खरीद की गई है तो इस संबंध में कुलपति से विचार-विमर्श कर जांच की प्रक्रिया आरंभ की जाएगी। यदि जांच में कहीं भी कुछ गलत पाया गया तो सभी आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
-कर्नल विजय कुमार ठाकुर, कुलसचिव,
मुंगेर विश्वविद्यालय, मुंगेर
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