40 Pregnant Women in Muzaffarpur Government Hospitals Depend on Outside Medications अस्पतालों में 40 प्रतिशत गर्भवतियों को बाहर से लेनी पड़ रही दवा, Muzaffarpur Hindi News - Hindustan
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अस्पतालों में 40 प्रतिशत गर्भवतियों को बाहर से लेनी पड़ रही दवा

एक्सक्लूसिव: -जननी बाल सुरक्षा योजना की समीक्षा से हुआ खुलासा -सदर अस्पताल में डॉक्टरों की

Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरTue, 8 April 2025 06:17 PM
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अस्पतालों में 40 प्रतिशत गर्भवतियों को बाहर से लेनी पड़ रही दवा

मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता/मृत्युंजय सूबे के सरकारी अस्पतालों में 40 प्रतिशत गर्भवतियों को बाहर से दवा लेनी पड़ रही है। पिछले दिनों पटना में जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत कॉलेज सेंटर पर शिकायतों की समीक्षा में यह बात सामने आई है। जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग ने कॉल सेंटर की व्यवस्था की है। इस कॉल सेंटर पर रोजाना मरीजों की शिकायतें आती हैं। मुजफ्फरपुर के सरकारी अस्पतालों में भी भर्ती प्रसूताओं को सभी दवाएं नहीं मिल पा रही हैं। क्षेत्रीय अपर निदेशक (स्वास्थ्य) डॉ. सरिता शंकर ने बताया कि प्रमंडल में गर्भवतियों को बाहर से दवा नहीं लेनी पड़े, इसे सुनिश्चित करने के लिए सीएस को निर्देश दिया जायेगा।

केस 1- मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल के प्रसव वार्ड में भर्ती आरती कुमारी ने बताया वह तीन दिन से अस्पताल के प्रसव वार्ड में भर्ती हैं। प्रसव के अलावा उन्हें खांसी की भी शिकायत है। खांसी की दवा अस्पताल में नहीं मिली, इसे बाहर से खरीदनी पड़ी।

केस 2- सदर अस्पताल के प्रसव वार्ड में भर्ती कवयित्री देवी ने बताया कि वह दो अप्रैल से यहां भर्ती हैं। उन्हें शरीर में एलर्जी से लगातार खुजली हो रही थी। डॉक्टर ने खुजली की जो दवा लिखी वह अस्पताल में नहीं मिली, इसे बाहर से खरीदनी पड़ी।

हेल्पलाइन पर नहीं मिलता जवाब

विभाग की समीक्षा में बात सामने आई कि जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत बनी हेल्पलाइन में मरीजों को जवाब नहीं मिलता है। रिपोर्ट के मुताबिक 35 प्रतिशत लोगों ने शिकायत की है कि तीन बार फोन करने के बाद भी हेल्पलाइन से जवाब नहीं मिला। हेल्पलाइन पर अस्पताल में खाना नहीं मिलने और प्रसव वार्ड में पैसे लेने की भी शिकायत दर्ज की गई है। शिकायत में सात प्रतिशत लोगों ने कहा कि वार्ड में चादर हर रोज नहीं बदला जाता था।

पर्ची पर दवा लिखने के बाद भी बाहर से लेनी पड़ी दवा

मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल में डॉक्टर द्वारा पर्ची पर दवा लिखने के बाद भी 11 प्रतिशत मरीजों को दवा ओपीडी काउंटर से नहीं मिल सकी। इन मरीजों ने अस्पताल के बाहर से दवा खरीदी। सदर अस्पताल के अलावा पीएचसी और सीएचसी में भी डॉक्टरों के दवा लिखने के बाद भी मरीजों को पूरी दवा नहीं मिल सकी। कटरा में 10 प्रतिशत मरीजों और औराई में सात प्रतिशत मरीजों को बाहर से दवा लेनी पड़ी।

डेढ़ साल बाद भी अस्पतालों में सभी दवाएं नहीं

डेढ़ साल पहले स्वास्थ्य विभाग ने सदर से मेडिकल तक दवाओं की संख्या में वृद्धि की थी, लेकिन बीएमएसआईसीएल ने बढ़ी हुई दवाएं अस्पतालों तक नहीं पहुंचाई। सदर अस्पताल की ओपीडी में 268 तरह की दवाएं रखनी हैं, जिनमें 223 तरह की ही दवाएं हैं। मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में 316 तरह की दवाएं रखनी हैं, लेकिन यहां 153 तरह की ही दवाएं हैं।

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