शिक्षक परेशान तो कैसे आगे बढ़े उर्दू जुबान
मुजफ्फरपुर में उर्दू विद्यालयों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। शिक्षकों का कहना है कि उन्हें पिछले पांच-छह वर्षों का बकाया वेतन नहीं मिला है और विद्यार्थियों को किताबें भी नहीं मिल रही हैं।...
मुजफ्फरपुर। उर्दू मुहब्बत की जुबान मानी जाती है। राज्य सरकार इस भाषा की तरक्की के लिए नित नए प्रयास कर रही है, लेकिन बदहाल शिक्षक और संसाधन विहीन स्कूल इसकी राह में रोड़ा बन रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि जिम्मेदारों की लापरवाही से उर्दू विद्यालयों में बच्चों के बीच न तो अब तक किताबें पहुंच पाई हैं और न यहां कार्यरत शिक्षकों का वेतन निर्धारण हो सका है। कई समस्याएं विभाग के स्तर पर लंबित हैं तो कई जिला स्तर पर अधिकारियों की लापरवाही के कारण फाइलों में दौड़ रही हैं। जिले में बीपीएएसी से नियुक्ति के बाद उर्दू शिक्षकों की संख्या दो हजार से अधिक हो चुकी है, लेकिन सक्षमता परीक्षा पास करने के बाद अब तक कई शिक्षक विषय बदलने के कारण योगदान नहीं दे सके हैं।
वहीं, सत्र शुरू हुए दो महीने बीतने के बाद भी विद्यार्थियों को किताबों का इंतजार है। जिले के उर्दू विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को पांच-छह साल पहले के अंतर बकाया वेतन का भुगतान अभी तक नहीं हुआ है। बार-बार बिल बनवाकर विभाग को भेजते हैं, लेकिन अभी तक समाधान नहीं हो सका है। यही नहीं, जिले के उर्दू स्कूलों में अब तक बच्चों की किताबें भी नहीं पहुंची हैं। जिले में हर प्रखंड में दर्जनों उर्दू स्कूल हैं। केवल शहरी क्षेत्र और मुशहरी में 40 से अधिक उर्दू स्कूल हैं, मगर यहां संसाधन तो दूर, सही ढंग से बच्चों के बैठने तक की जगह नहीं है। शिक्षकों का कहना कि विभाग से लेकर जिला स्तर पर आवेदन दिया जाता है, मगर सिर्फ आश्वासन मिलता है। कौमी असातिजह तंजीम बिहार के प्रदेश संयोजक और उर्दू शिक्षक मो. रफी का कहना है कि सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण विशिष्ट शिक्षकों के औपबंधिक नियुक्ति पत्र में कई विसंगतियां हैं। इसका अभी तक समाधान नहीं हो सका है, जबकि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा आयोजित सक्षमता परीक्षा के लिए समिति द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार इस परीक्षा में बेसिक ग्रेड के शिक्षकों के लिए वैकल्पिक विषय के रूप में तीन भाषा चुनने का अधिकार दिया गया था। हिन्दी, उर्दू एवं बांगला में से किसी एक भाषा का चयन करना था। शिक्षक अभ्यर्थियों द्वारा अपनी सुविधानुसार भाषाओं का चयन किया गया था। लेकिन, जब वे काउंसिलिंग कराने गए, तो काउंसिलिंग में तैनात कर्मी द्वारा मनमाने तरीके से अभ्यर्थियों द्वारा सक्षमता परीक्षा में चयनित भाषा को ही विषय बना दिया गया और उसी के अनुसार उर्दू शिक्षक और सामान्य शिक्षक बन गए। अब तक इन विसंगतियों को दूर नहीं किया जा सका है।
शुक्रवार को अवकाश, मगर शिक्षकों को नहीं मिल रही क्षतिपूर्ति
उर्दू शिक्षकों ने कहा कि शुक्रवार को होने वाले प्रशिक्षण आदि की क्षतिपूर्ति नहीं दी जा रही है। उर्दू विद्यालयों में ई-शिक्षा कोष से रविवार को उपस्थिति दर्ज करने में हो रही कठिनाई अब तक दूर नहीं की जा सकी है। अवकाश तालिका में शुक्रवार को अवकाश है, मगर उसके बदले शिक्षकों को क्षतिपूर्ति नहीं मिल रही है। शहरी क्षेत्र के पक्की सराय बालक, मवि. उर्दू समेत दर्जनों विद्यालय ऐसे हैं, जो या तो किसी अन्य विद्यालय में शिफ्ट होकर दो से तीन कमरे में चल रहे हैं या किसी मस्जिद में चल रहे हैं। शिक्षकों ने कहा कि आठवीं तक के ये स्कूल दो कमरों में चल रहे हैं। इनमें कई स्कूल ऐसे हैं, जो 1948-49 के ही हैं, मगर आज तक इनके लिए न भूमि मिली और न भवन।
प्राइमरी सेे आगे उर्दू विद्यालय नहीं होने से बच्चों को परेशानी
शिक्षकों का कहना कि जिले में दर्जनों उर्दू प्राइमरी स्कूल हैं, मगर मिडिल नहीं है। ऐसे में संबंधित क्षेत्र के बच्चे प्राइमरी तक तो उर्दू से पढ़ते हैं और उसके बाद गैप रह जाता है। शिक्षकों ने मांग की कि सभी पंचायतों में कम से कम एक एक उर्दू विद्यालय ऐसा स्थापित किया जाए, जहां पहली से 12वीं तक की शिक्षा उर्दू में दी जाए। सभी प्रखंडों में कम से कम दो-दो उर्दू मध्य विद्यालयों को उत्क्रमित कर उच्च एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालय किया जाए। प्रखंडों में कम से कम दो-दो उच्च एवं उच्चतर गर्ल्स माध्यमिक विद्यालय स्थापित हों। उर्दू उच्च एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों को भी पीएम श्री के दायरे में लाया जाए। उर्दू शिक्षकों से उर्दू भाषा के शिक्षण का ही काम लिया जाए, इसकी मांग शिक्षकों ने की है। कहा कि उर्दू भाषा के छात्रों को परीक्षा में उर्दू के प्रश्नपत्र नहीं मिल पाते हैं। कार्यालयों में उर्दू का भी शाइन बोर्ड और नेम प्लेट लगाने पर ध्यान दिया जाए।
बोले जिम्मेदार :
सक्षमता पास सभी शिक्षकों समेत उर्दू शिक्षकों के वेतन निर्धारण को लेकर प्रक्रिया चल रही है। आवंटन मिलते ही बकाया अंतर वेतन भुगतान भी कर दिया जाएगा। जिन उर्दू विद्यालयों में विद्यार्थियों को किताबें नहीं मिली हैं तो संबंधित स्कूल के हेडमास्टर लिखकर दें। उस प्रखंड के बीईओ से इसपर जवाब मांगा जा रहा है।
-अजय कुमार सिंह, डीईओ
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