Pregnant Women Face Long Waits at Muzaffarpur MCH Hospital Due to Staff Shortages घंटों कतार में लगने को मजबूर, जांच सेंटर भी दूर, Muzaffarpur Hindi News - Hindustan
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घंटों कतार में लगने को मजबूर, जांच सेंटर भी दूर

मुजफ्फरपुर के सदर अस्पताल के मातृ-शिशु अस्पताल में गर्भवती महिलाओं को इलाज के लिए घंटों लंबी कतार में खड़ा होना पड़ता है। पारा मेडिकल कर्मचारियों की कमी और एक ही ऑपरेटर के कारण पर्चा कटाने और जांच में...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरWed, 7 May 2025 06:00 PM
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घंटों कतार में लगने को मजबूर, जांच सेंटर भी दूर

मुजफ्फरपुर। सुबह से दोपहर तक लंबी कतार में लगना एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी मुश्किल है, लेकिन दो-दो जान का भार संभाले गर्भवती महिलाएं अक्सर सदर अस्पताल के मातृ-शिशु अस्पताल (एमसीएच) में इलाज के इंतजार में घंटों कतार में खड़ी होने को मजबूर हैं। पर्चा कटाने से लेकर जांच कराने तक कतार में लगना पड़ता है। गर्भवतियों का कहना है कि ओपीडी के बाहर भी लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। डॉक्टर अगर जल्दी देख भी ली तो जांच के लिए एमसीएच से सौ मीटर दूर जाना पड़ता है। कड़ी धूप में वहां तक पहुंचने के बाद भीड़ देखकर ही हालत खराब हो जाती है।

मरीजों की गुहार है कि अस्पताल में ऐसी सुविधा विकसित की जाए, जिससे घंटों कतार में लगने की नौबत न आए। सदर अस्पताल के मातृ-शिशु अस्पताल में इलाज कराने पहुंचने वाली गर्भवती महिलाएं रोज कतार में घंटों इंतजार करने को विवश हैं। अस्पताल में पारा मेडिकल कर्मचारियों की कमी से पर्चा कटाने से लेकर जांच कराने तक में मरीजों को काफी देरी होती है। एमसीएच में मंगलवार को इलाज के लिए रजिस्ट्रेशन की कतार में खड़ीं गर्भवती महिलाओं ने बताया कि पर्चा कटाने के लिए सुबह 9 बजे से कतार में लगे हैं। 12 बजे तक भी नंबर आ जाए तो गनीमत है। एमसीएच में हर दिन 150 से 200 गर्भवतियां इलाज के लिए आती हैं। इसके अलावा बच्चों के इलाज के लिए भी मरीज और परिजन पहुंचते हैं, लेकिन यहां बैठने की भी जगह नहीं है। बोचहां से आई शांति देवी ने बताया कि वह लाइन में पीछे खड़ी है और उनकी बड़ी बहन उनसे आगे। जिसका नंबर पहले आ जायेगा, वह पर्चा कटा लेगा। कुछ मरीजों का कहना था कि लाइन में बाद में आये मरीज पहले ही काउंटर की खिड़की पर पहुंच जा रहे हैं। उन्हें रोकने के लिए कोई इंतजाम नहीं किया गया है। ऐसे में जो मरीज पीछे खड़े हैं, उनका नंबर आने में और ज्यादा देरी हो रही है। मरीज अनीता देवी ने बताया कि उन्हें और उनकी बड़ी बहन की गर्भवती बेटी को डॉक्टर से दिखाना है। अभी तो रजिस्ट्रेशन की लाइन में ही नंबर नहीं आया है। इसके बाद ओपीडी की कतार में भी लंबा इंतजार करना बाकी है। डॉक्टर ने जांच लिख दिया तो उसमें अलग समय लगेगा।

रजिस्ट्रेशन काउंटर पर सिर्फ एक ऑपरेटर के कारण होती है देरी

एमसीएच के रजिस्ट्रेशन काउंटर पर पर्चा काटने के लिए सिर्फ एक ऑपरेटर है। एक ऑपरेटर स्कैन शेयर करने के लिए है। मरीजों का कहना है कि पर्चा काटने में मोबाइल नंबर लिया जाता है और जब तक मोबाइल में ओटीपी नहीं आती, हमारा नंबर नहीं लगता है। एक मरीज को ओपीडी का पर्चा मिलने में दस मिनट लग जाता है। बीच में नेटवर्क चला गया तो यह समय और भी बढ़ जाता है। मरीजों का कहना है रजिस्ट्रेशन काउंटर पर एक से अधिक ऑपरेटर हों, ताकि लंबी कतार न लगे। मरीजों ने बताया कि यहां के बाद ओपीडी के बाहर भी इंतजार करना पड़ता है। ओपीडी में दो डॉक्टर की जगह एक ही डॉक्टर की ड्यूटी रहती है। आरोप लगाया कि डॉक्टर सिर्फ लक्षण पूछकर दवा बता देती हैं और जाने के लिए कह देती हैं। ओपीडी के बाहर डॉक्टर का इंतजार कर रही आंचल कुमारी ने बताया कि गार्ड से पूछने पर बताया गया कि डॉक्टर लेबर रूम में गई हैं, उनके आने के बाद ही इलाज होगा। कितनी देर डॉक्टर का इंतजार करना पड़ेगा, पता नहीं।

प्रसव पूर्व जांच के लिए एक ही कर्मी, करना पड़ता लंबा इंतजार

मातृ-शिशु अस्पताल में प्रसव पूर्व जांच के लिए भी एक ही कर्मी है। एमसीएच में हर दिन 60 से 70 गर्भवतियों की प्रसव पूर्व जांच की जाती है। इसमें हीमोग्लोबिन से लेकर बीपी, शुगर की जांच होती है। एक ही कर्मचारी रहने से गर्भवतियों को यहां भी लंबा इंतजार करना पड़ता है। अस्पताल सूत्रों का कहना है कि सबसे ज्यादा परेशानी सोमवार के दिन होती है। इस दिन मरीजों की संख्या आम दिनों से अधिक होती है। मरीजों की भीड़ अधिक होने के कारण कई बार अस्पताल में हंगामा भी होता है।

जांच के लिए धूप में सौ मीटर दूर जाना पड़ता है गर्भवतियों को

सदर अस्पताल के एमसीएच में पैथोलॉजी सेंटर नहीं है। गर्भवती महिलाओं का कहना है कि हमलोगों को जब यहां डॉक्टर जांच लिखती हैं तो कड़ी धूप में यहां से सौ मीटर दूर जाना पड़ता है। धूप में पैदल चलने में हालत खराब हो जाती है। खून की जांच के लिए एमसीएच में ही एक काउंटर होना चाहिए या किसी कर्मचारी की तैनाती होनी चाहिए, जो गर्भवती महिलाओं के खून का सैंपल लेकर पैथोलॉजी जा सके। पैथोलॉजी में भी लंबी कतार होने से के कारण वहां भी काफी परेशानी होती है। अगर वहां पहुंचने में पांच मिनट भी देर हो गये तो हमारी जांच नहीं की जाती है। हमें फिर अगले दिन आने को कहा जाता है। इससे हमारी परेशानी दो गुनी हो जाती है।

एमसीएच में अल्ट्रासाउंड के लिए रेडियोलॉजी के डॉक्टर नहीं

सदर अस्पताल के एमसीएच में अल्ट्रासाउंड के लिए रेडियोलॉजी के डॉक्टर नहीं हैं। यहां तकनीशियन के भरोसे गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड किया जा रहा है। एक महिला चिकित्सक को जिम्मेदारी दी गई है कि वह इसमें सहयोग करे। महिला डॉक्टर रोडियोलॉजी विभाग की नहीं है। अल्ट्रासाउंड में एक ही मशीन है। एक ही मशीन और एक तकनीशियन के कारण यहां गर्भवतियों को दो-दो घंटे तक अल्ट्रासाउंड के लिए इंतजार करना पड़ता है। कुढ़नी से आई सबीना खातून ने बताया कि उसे अल्ट्रासाउंड कराना है। कुर्सियों पर जगह नहीं है तो जमीन पर बैठ कर इंतजार कर रही है। मरीजों ने कहा कि अल्ट्रासाउंड और जांच की रिपोर्ट भी तत्काल नहीं मिलती है।

बोले जिम्मेदार :

सदर अस्पताल के एमसीएच में मरीजों की भीड़ को देखते हुए वहां कर्मचारियों की तैनाती है। अल्ट्रासाउंड में भी दो कर्मचारी हैं। मरीजों की जो भी समस्याएं हैं, उनके समाधान के लिए अस्पताल प्रशासन लगातार काम कर रहा है। एमसीएच के ऊपर माइक्रोबायोलॉजी की जांच भी शुरू हो गई है।

-डॉ. बीएस झा, अधीक्षक, सदर अस्पताल

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