Struggling Vehicle Servicing Centers in Muzaffarpur Demand Tax Relief Amid Rising Costs पांच सौ कमाने वाले कहां से भरें बारह हजार सालाना पेशाकर, Muzaffarpur Hindi News - Hindustan
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पांच सौ कमाने वाले कहां से भरें बारह हजार सालाना पेशाकर

मुजफ्फरपुर में वाहनों की सर्विसिंग सेंटर के संचालक भारी कर और शुल्कों के बोझ तले दबे हुए हैं। दिन में 500 रुपये कमाने वाले इन संचालकों के लिए 12 हजार रुपये का टैक्स देना मुश्किल हो रहा है। नगर निगम की...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरFri, 23 May 2025 04:58 PM
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पांच सौ कमाने वाले कहां से भरें बारह हजार सालाना पेशाकर

मुजफ्फरपुर। वाहनों को चकाचक करने वाले सर्विसिंग सेंटर संचालकों के चेहरे पर अब पहले जैसी रौनक नहीं रही। कम पूंजी का कारोबार करने वाले भारी-भरकम कर और शुल्क के बोझ तले दबे हुए हैं। इनका कहना है कि पांच सौ रुपया रोज कमाते हैं। इतनी आमदनी से दाल-रोटी पर भी आफत है। ऐसे में कहां से पैसे बचाएं कि निगम को 12 हजार पेशाकर सहित कई तरह के शुल्क अदा कर सकें। इन्होंने निगम की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं पर भी सवाल उठाया। कहा कि आवश्यक सुविधाएं तो मिलती नहीं, मगर शुल्क अदा नहीं करने पर जुर्माना जरूर लगा दिया जाता है।

निगम को चाहिए कि कर में राहत पर विचार करते हुए सुविधाओं पर जोर दे। शहरी क्षेत्र में 200 से अधिक बाइक गैरेज सह सर्विसिंग केंद्र का संचालन हो रहा है। एक जेनरेटर और मोटर की लागत वाला बहुत कम पूंजी का यह रोजगार है, लेकिन इससे कम से कम छह से आठ लोगों के परिवार का जीविकोपार्जन होता है। नगर निगम के शिकंजे के कारण इन दिनों यह रोजगार संकट में है। वाहन सर्विसिंग सेंटर संचालक शाहनवाज हुसैन, जितेंद्र कुमार, मो. शाकिर, मो. अशरफ, मो. साहिल का कहना है कि निगम हमें सुविधा दे, तो टैक्स देने में कोई दिक्कत नहीं है। निगम ने मोटी रकम टैक्स के रूप में हम छोटी पूंजी वाले दुकानदारों पर थोप दी है। कुछ दुकानदारों को नोटिस भी भेजा है। 40 हजार तक जुर्माना लगाया है, जिसे भरने में एक भी दुकानदार समर्थ नहीं है। वाहन सर्विसिंग सेंटर संचालक मो. साहिल, नौशाद आलम, मो. शब्बीर, मो. एजाज, मो. आलमगीर, मो. अशरफ ने कहा कि जिले के अधिकतर सर्विसिंग सेंटर चलाने वाले गरीब तबके से आते हैं, जो छोटी-सी जगह में रोजगार करते हैं। 500 रुपये रोज कमाने वाला नगर निगम को 12 हजार रुपये वार्षिक पेशाकर कहां से देगा। इस मुद्दे पर हम नगर आयुक्त और महापौर से भी मिलेंगे। मनोज कुमार यादव ने कहा कि स्मार्ट सिटी में गरीबों की जीविका पर चोट पहुंचाई जा रही है। कम आय वालों को परेशान किया जा रहा है। कारोबार के दायरे के हिसाब से ही टैक्स लिया जाए। शर्तें भी इतनी सख्त हैं कि हम रोजगार कर ही नहीं पाएंगे। 

रजिस्ट्रेशन शुल्क भी ज्यादा 

वाहन सर्विसिंग सेंटर संचालक मो. आफताब, मो. इस्लाम बादल, मो. शाकिर का कहना है कि नगर निगम साल में 12 हजार रुपए पानी टैक्स और एक मुश्त 10 हजार रुपये रजिस्ट्रेशन के रूप में निर्धारित कर दिया है। यह काफी ज्यादा है। इसे भी कम करने की जरूरत है। शहर के तकरीबन सभी इलाको में सर्विसिंग सेंटर हैं, लेकिन निगम की सख्ती की वजह से हर कोई परेशान है। इसका असर कारोबार और परिवार पर पड़ रहा है। मो. सदरुल, मो. साहिल, चुन्नू सहनी, मो. मुन्ना का कहना है कि नगर निगम लगातार उनलोगों पर नए नियम थोप रहा है। पेशाकर के बाद पानी कर लगा दिया है। अब सोखता का नया प्रावधान कर दिया है। इसके लिए मकान मालिक से अतिरिक्त जगह लेनी होगी, जिसपर उन्हें ज्यादा किराया देना पड़ेगा। दुकानदारों ने बताया कि 15 अप्रैल से लेकर जुलाई तक सर्विसिंग सेंटर का काम लगभग बंद होता है। पानी का लेयर नीचे जाने से मोटर पानी नहीं उठाता है, जिससे वाहन सर्विसिंग का काम बाधित रहता है। हमलोगों की मांग है कि निगम 12 महीने पानी दे तभी हमलोग टैक्स दे पाएंगे। 

बोले जिम्मेदार : 

वाहन सर्विसिंग सेंटर संचालकों से अनुरोध है कि वे नगर निगम से ट्रेड लाइसेंस प्राप्त करें और सरकार की योजनाओं का लाभ उठाएं। निर्बाध जलापूर्ति के लिए नगर निगम के द्वारा सख्ती बढ़ती जा रही है। व्यावसायिक उपयोग के पानी के लिए निगम, केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से एसटीपी के पानी को कांटी थर्मल तक ले जाने का प्रस्ताव है। इसकी सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है। यह काफी कम दर पर व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए आगामी छह महीने में उपलब्ध कराया जाएगा। -निर्मला साहू, मेयर

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