कुव्यवस्था के शिकार बने मजदूरों के परिजनों को मिलेगा 30-30 लाख मुआवजा
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के 12 मजदूरों की मौत के लिए उनके परिजनों को 30-30 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। ये मौतें अलग-अलग समय पर मुजफ्फरपुर, पटना, दरभंगा, पूर्णिया और वैशाली में हुई थीं।...

मुजफ्फरपुर, कुंदन कुमार। कुव्यवस्था के कारण मौत के शिकार बने बिहार के 12 मजदूरों के परिजनों को सुप्रीम कोर्ट ने 30-30 लाख रुपये मुआवजा भुगतान का आदेश दिया है। ये मौतें मुजफ्फरपुर, पटना, दरभंगा, पूर्णिया और वैशाली में अलग-अलग समय पर हुई थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग ने राज्य सरकार से जानकारी तलब की है। इसके आधार पर अपराध अनुसंधान विभाग एवं कमजोर वर्ग ने सभी डीएम से कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है। विभाग ने सभी मृतकों के परिजन को पूर्व में दिए गए 10-10 लाख अनुदान के अलावा 30-30 लाख मुआवजा भुगतान कर रिपोर्ट देने को कहा है।
पटना के बाढ़ थाना क्षेत्र में पुराई बाग गांव में पिछले साल 22 अगस्त को शौचालय की टंकी का शटरिंग खोलने गए चार मजदूरों की मौत टंकी में ही हो गई थी। इनकी पहचान 28 वर्षीय गोपाल राम, 21 वर्षीय बिट्टू कुमार, 25 वर्षीय झुनझुन राम व 26 वर्षीय पवन राम के रूप में हुई थी। इस घटना से आक्रोशित लोगों ने पुलिस वाहन पर हमला कर दिया था। दूसरी घटना मुजफ्फरपुर की है। स्मार्ट सिटी के सीवर निर्माण में लगे दो मजदूरों की मौत सीवर के लिए खोदे गए गड्ढे में हो गई थी। पिछले साल 28 अगस्त को हुई इस घटना में पश्चिम बंगाल के मालदा निवासी 21 वर्षीय एकरामुल और 20 वर्षीय मो. अजबुल की मौत हो गई थी। दोनों ही घटना में मजदूरों को बिना सुरक्षा प्रबंध के काम पर लगाया गया था और घटना के बाद जिम्मेदार मौके से फरार हो गए थे। इसके अलावा पूर्णिया जिले में पिछले साल आठ अक्टूबर को राजा महलदर और पिछले साल 14 अक्टूबर को दरभंगा में सुशील कुमार राम, नवल राम, और सुधीर राम की जान चली गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसके अलावा वैशाली जिले में पांच जुलाई 2016 को हुई ऐसी ही घटना में अजय मलिक और गुड्डू मलिक की मौत पर भी मुआवजा देने का आदेश दिया है। 15 दिनों में मांगी गई कार्रवाई रिपोर्ट इस मामले में अब अपराध अनुसंधान विभाग एवं कमजोर वर्ग के पुलिस अधीक्षक ने वैशाली, दरभंगा, पूर्णिया, पटना व मुजफ्फरपुर के डीएम व एसपी को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि पूर्व में दिए गए निर्देश के बावजूद पीड़ित परिवार को मुआवजे का भुगतान नहीं हो सका है। इस मामले में पूर्व में संबंधित अधिकारियों ने कार्रवाई की बात कही थी, लेकिन उस संबंध में कोई कार्रवाई रिपोर्ट नहीं मिली है। विभाग ने अधिकारियों को 15 दिन के अंदर मुआवजा भुगतान कराते हुए रिपोर्ट देने को कहा है, ताकि मामले से सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को सूचित किया जा सके।
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