नवादा शहर में जलनिकासी को लेकर बनी योजनाओं का हाल बुरा
नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता।नवदा शहर में जलनिकासी को लेकर बनी योजनाओं का हाल वर्तमान में काफी बुरा है। आजादी के बाद जलनिकासी के लिए बनी योजनाएं वर्तमान में दम तोड़ रहीं हैं।

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। नवदा शहर में जलनिकासी को लेकर बनी योजनाओं का हाल वर्तमान में काफी बुरा है। आजादी के बाद जलनिकासी के लिए बनी योजनाएं वर्तमान में दम तोड़ रहीं हैं। जाहिर है इस स्थिति में जलनिकासी की व्यवस्था निरर्थक साबित हो रही हैं। ऐसे में आम जनो की परेशानी चरम पर है। नवादा शहरी क्षेत्र के सभी 44 वार्डों में मिला कर डेढ़ दर्जन से कुछ अधिक बड़े नाले जबकि वार्ड के आकार के स्तर पर प्रति वार्ड 08 से 10 छोटे नाले का निर्माण कराया गया था। यानी 410 छोटे नाले शहर में मौजूद हैं। लेकिन इनमें से कई योजनाएं अभी विस्तार की मुहताज हो चुकी हैं, जबकि कई जीर्णोद्धार की कगार पर पहुंच चुकी हैं।
ऐसे में कहा जा सकता है कि वर्तमान परिदृश्य में यह सारी की सारी योजनाएं कारगर साबित नहीं हो पा रही हैं। वर्तमान में जरूरत है नए सिरे से योजना बनाने की ताकि नगरवासियों को जलजमाव जैसी विकराल होती जा रही समस्या से निजात मिल सके। सबसे पुरानी योजना में शामिल है बरहगैनिया पइन का नाला शहर के सबसे बड़े नाले के रूप में बदल चुकी बरहगैनिया पइन ही जलनिकासी के लिए सबसे पुरानी योजना कही जा सकती है। नवादा नगर परिषद के वार्ड नंबर 08 से हो कर गुजरे बरहगैनिया पइन की सम्पूर्ण सफाई कार्य पूरी हो जाए तो फिर जलजमाव से स्वत: मुक्ति मिल जाए, लेकिन वर्तमान में बरहगैनिया पइन के बुरे हाल के कारण सबसे बड़ी मुसीबत इस वार्ड के तमाम मोहल्लों को इस रूप में झेलनी पड़ती है कि ज्यादातर मोहल्ले जलजमाव की स्थायी समस्या झेल रहे हैं। घरों का पानी गलियों अथवा सड़कों पर ही जमा रह रहा है। इस कारण आमजनों को न सिर्फ आवाजाही का संकट झेलना पड़ रहा है बल्कि प्रदूषण की फजीहत भी उठानी पड़ रही है। इस प्रकार, जल निकासी की स्थायी व्यवस्था नहीं रहने के कारण जल जमाव की समस्या विकराल होती जा रही है। इससे सम्बद्ध सड़कों पर जलजमाव समेत नाली से निकले पानी के कारण गली का खराब रहना अन्य तमाम तरह की समस्याएं उत्पन्न कर रहा है और यह भी विकराल होती चली जा रही हैं। विस्तार की मुहताज तो कई नाले हैं जीर्णोद्धार की कगार पर शहर के पुराने मोहल्लों में जलजमाव एक आम समस्या बन कर रह गयी है। इस की प्रमुख वजह यह है कि बाद में बसी आबादी का हिस्सा ऊंचा हो गया और सड़कें भी ऊंची हो गयी हैं, जबकि नाले ही नीचे हो कर रह गए हैं। ऐसे में वर्तमान परिस्थिति यह बन कर रह गयी है कि जहां घरों के नाले से पानी बाहर निकलना चाहिए, उल्टे बाहर सड़कों अथवा अन्य स्थानों पर जमा गंदा पानी नीचे हो चुके नालियों के कारण घरों में घुस जा रहे हैं। शुरुआती दौर में शहर का क्षेत्रफल कम था। आबादी कम थी। तब जो भी व्यवस्था थी, उसमें जलजमाव की समस्या बहुत विकराल नहीं होती थी। चारों तरफ खेत थे। जलजमाव नहीं होता था। अब शहर में मकान व जनसंख्या में भारी वृद्धि हुई है। अब तो चारों तरफ मकान बन गए हैं। आबादी बढ़ी तो नाले भी जाम होते चले गए हैं। ऐसे में शहर में ड्रेनेज सिस्टम व सीवर का प्रबंध करना ही एकमात्र समाधान हो सकता है लेकिन इस दिशा में कुछ भी सार्थक नहीं होना निराश कर जा रहा है। कहा जा सकता है कि जीर्णोद्धार या पुनर्विस्तार की जगह नई योजना ही कारगर हो सकती है। -------------- शहर के कुछ प्रमुख और बड़े नाले: -शहर का सबसे बड़ा नाला बन कर इस्तेमाल हो रहा है बरहगैनिया पइन -नारदीगंज रोड से डीएम आवास तक निकला नाला -नारदीगंज रोड से खुरी नदी तक निकला नाला -यमुना पथ न्यू एरिया से एसकेएम कॉलेज तक निकला नाला -रामनगर से वीआईपी कॉलोनी रेलवे लाइन तक निकला नाला -पोस्टमार्टम रोड से रेलवे लाइन वीआईपी कॉलोनी तक निकला नाला -अंसार नगर से खुरी नदी तक निकले दो बड़े नाले -मिर्जापुर से खुरी नदी तक निकला नाला -मिर्जापुर से सूर्य मंदिर खुरी नदी तक निकले दो नाले -गया रोड में शोभ मंदिर तक निकला नाला ------------------- वर्जन: वर्तमान के नाले की दशा पर मंथन जारी है। नई जरूरतें भी चिह्नित की जा रही हैं। शहर के विस्तारीकरण के बाद नालों आदि के की जरूरत का आकलन जारी है। विभिन्न विकल्पों पर नगर परिषद कार्य कर रहा है। ऐसे में आने वाले दिनों में कुछ अच्छा होने की संभावना जरूर है। -नागमणि सिंह, सिटी मैनेजर, नवादा नगर परिषद।
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