फजीहत : बस स्टैंड दो में पेयजल का संकट, बुनियादी सुविधाएं भी नदारद
नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। नवादा शहर के भगत सिंह चौक के समीप स्थित बस पड़ाव संख्या दो में आम यात्रियों को पेयजल की भीषण संकट झेलने की नौबत है।

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। नवादा शहर के भगत सिंह चौक के समीप स्थित बस पड़ाव संख्या दो में आम यात्रियों को पेयजल की भीषण संकट झेलने की नौबत है। यहां स्थित चापाकल खराब रहने से यह परेशानी है जबकि जो एक चापाकल ठीक है, वहां वाहन संचालकों का ही जमावड़ा लगा रहता है। इस एक चापाकल पर बस के चालक और खलासी के अलावा कंडक्टर और क्लीनर आदि ही अपनी बाल्टी लगाए रखते हैं और इस चक्कर में आम यात्रियों का नंबर आ ही नहीं पाता है। चूंकि पेयजल का भारी संकट है, ऐसे में लोगों को पानी की बोतल खरीद कर ही इस्तेमाल करना पड़ता है।
इस बस पड़ाव में एक यात्री शेड है लेकिन यह किसी काम का नहीं है। यहां रात में भिखारियों का अड्डा रहता है और इस कारण यहां बेहद गंदगी रहती है। ऐसे में आम लोग इसका इस्तेमाल करना पसंद ही नहीं करते हैं। आसपास के पेड़ के साए तले अथवा यूं ही सड़क पर खड़े रहना यात्रियों की बाध्यता है। चूंकि यहां सड़कों पर ही ज्यादातर बसें खड़ी रहती हैं इसलिए आमतौर पर लोग सड़कों पर ही खड़े रह कर बसों का इंतजार करते हैं। स्टैंड के अंदर एक-दो बसें जरूर लगी रहती हैं लेकिन गंतव्य रवानगी के पूर्व स्टैंड से बाहर निकलने के क्रम में यह सारी बसें भी सड़कों पर आ जाती हैं और पैसेंजर उठाने में लग जाती हैं। इस कारण यहां जाम की समस्या एकदम आम हो कर रह गयी है, जो कोढ़ में खाज ही साबित हो रही है। शौचालय इतना गंदा रहता है कि इसका इस्तेमाल कर पाना संभव ही नहीं होता जबकि यहां भी वाहन संचालकों का ही कब्जा बना रहता है। कुल मिला कर, बस पड़ाव संख्या दो पर हर प्रकार की यात्री सुविधा का नितांत अभाव है, जिस कारण आम यात्री बेहद परेशान रहते हैं। किराया तालिका नहीं, संचालक वसूलते हैं मनमाना किराया यात्रियों को बस संचालकों की मनमानी का शिकार भी होना पड़ता है। असल में यहां किराया तालिका तक उपलब्ध नहीं कराया गया है। ऐसे में कम दूरी के लिए अधिक किराया वसूला जाता है। मनमाना किराया वसूले जाने का आम यात्री विरोध भी नहीं कर पाते हैं क्योंकि उन्हें मानक के अनुरूप समुचित किराया की जानकारी ही नहीं रहती। मुश्किल इतना ही नहीं है, कम किराया देने की जिद करने वालों को बस की छत पर बैठने को मजबूर किया जाता है। यात्रियों को ठूंस कर ले जाने के क्रम में कई लोगों से पूरा किराया ले कर भी बस के अंदर खड़े ही ढोया जाता है। आम यात्रियों की सुविधाओं को दुरुस्त करने पर किसी भी स्तर पर सक्षम पक्षों का ध्यान नहीं रहने से संकट चरम पर है। शाम होते ही बस पड़ाव में छाने लगती है वीरानी बस पड़ाव संख्या दो पर अहले सुबह लगभग चार बजे से ही आम यात्रियों की आवाजाही बनी रहती है लेकिन शाम को परिस्थितियां थोड़ी अलग हैं। सामान्यत: बिहारशरीफ, पटना आदि के लिए यहां से बसों के खुलने का समय शाम को छह बजे के बाद लगभग समाप्त हो जाता है, जिसके बाद यह बस पड़ाव सन्नाटे में लिप्त हो जाता है। हालांकि पड़ाव से बाहर यहां काफी गहमागहमी रहती है लेकिन स्टैंड धीरे-धीरे असुरक्षित हो जाता है। ●रोशनी की यहां कोई समुचित व्यवस्था नहीं रहने के कारण शाम को आने वाले यात्री बस पड़ाव के अंधेरे से बचते हुए बाहर ही उतर कर ऑटो या ई-रिक्शा आदि ले कर अपने गंतव्य के लिए चल पड़ते हैं। स्टैंड में सन्नाटा पसर जाने और यात्री शेड में भिखारियों समेत शोहदों की आवाजाही बढ़ जाने से फिर इधर आना किसी को भी मुनासिब नहीं लगता। रोजाना पांच हजार से अधिक यात्री करते हैं यात्रा इस अति महत्वपूर्ण बस पड़ाव से प्रतिदिन 30 से अधिक बसें और सैकड़ों ओटो, ई-रिक्शा तथा रिक्शा आदि विभिन्न रूटों पर चलते हैं। रोजाना लगभग पांच हजार से अधिक यात्री इस पड़ाव से आवाजाही करते हैं, लेकिन व्यवस्था नदारद है। यहां से सबसे अधिकतर यात्री बिहार शरीफ और पटना जाने के लिए वाहनों पर सवार होते हैं। हालांकि अनेक लोग नवादा से गिरियक जा कर शेखपुरा आदि का सफर भी पूरा करते हैं। कई बार बसों का लम्बा इंतजार भ्ज्ञी करना पड़ता है लेकिन यहां ●कैंटीन की कोई सुविधा भी उपलब्ध नहीं है। आसपास की दुकानों से खरीदारी कर लोग काम चलाते हैं। नगर परिषद को इस बस पड़ाव से सालाना लाखों रुपए का राजस्व मिलता है, लेकिन यात्रियों को मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता की अनदेखी जारी है, जो आम यात्रियों की फजीहत का कारण बन रही है। ------------------- यात्रियों की व्यथा: बस पड़ाव संख्या दो सर्वाधिक इस्तेमाल होने वाला बस पड़ाव है लेकिन यहां बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। शहर के भगत सिंह चौक के इर्द-गिर्द सारी बसें खड़ी रखने से जाम की अलग ही समस्या रहती है। इसका निदान जरूरी है। - गोवर्धन शर्मा, यात्री। सड़क पर ही बसों का खड़ा रहना और बस संचालकों द्वारा जबरन अपनी बस में बिठाने का प्रयास यात्रियों को भारी पड़ रहा है। कई बार तो हाथ पकड़ कर यात्रियों को बिठाने का प्रयास किया जाता है। यह समस्या अलग ही कष्टकारी है। -तेंदुलकर पांडे, यात्री। बस पड़ाव संख्या दो शहर के मध्य में है और पटना के लिए बसों के खुलने के कारण सर्वाधिक इस्तेमाल में है। इसलिए इसे बुधौल बस पड़ाव जैसा स्मार्ट बनाने की आवश्यकता है। सभी तरह की बुनियादी सुविधाएं बेहद जरूरी हैं। -सरवन कुमार, यात्री। इस बस पड़ाव के उन्नयन से समीपस्थ क्षेत्र का भी काफी विकास होगा। रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ेंगी। इसलिए यह जरूरी है कि स्थानीय नगर निकाय और जिला प्रशासन अपने स्तर से प्रयास करे ताकि बस पड़ाव संख्या दो का भला हो सके। -शंकर कुमार , यात्री।
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