Warisaliganj Gaushala in Ruins A Call for Revival Amidst Abandoned Stray Animals वारिसलीगंज : रखरखाव के अभाव में जिले का एकमात्र गौशाला हुआ बदहाल, Nawada Hindi News - Hindustan
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वारिसलीगंज : रखरखाव के अभाव में जिले का एकमात्र गौशाला हुआ बदहाल

वारिसलीगंज में एकमात्र गौशाला की स्थिति बहुत खराब है। प्रबंधन की लापरवाही के कारण गौशाला में कोई देखभाल नहीं हो रही है, जिससे आवारा पशुओं की संख्या बढ़ गई है। स्थानीय लोग इस समस्या को लेकर चिंतित हैं।...

Newswrap हिन्दुस्तान, नवादाSat, 24 May 2025 01:15 PM
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वारिसलीगंज : रखरखाव के अभाव में जिले का एकमात्र गौशाला हुआ बदहाल

वारिसलीगंज, निज संवाददाता जिले का एकमात्र गौशाला होने का गौरव वारिसलीगंज को प्राप्त है। लेकिन गौशाला प्रबंधन समिति और अधिकारियों की उदासीनता के कारण गौशाला लगभग मृत स्थिति में पहुंच गया है। जबकि गौशाला को संचालित करने के लिए संसाधनों की कोई कमी नहीं है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, गौशाला के पास करोड़ों रुपये की अचल संपत्ति मौजूद है। बावजूद सही तरीके से रखरखाव नहीं होने के कारण जिले का एकमात्र गौशाला खंडहर में तब्दील हो गया है। गौशाला बंद हो जाने के कारण बाजार की सड़कों पर छुट्टा घूमने वाले आवारा पशुओं को कोई आसरा नहीं है। दर्जनो छोटे बड़े पशु जिसमें अधिकांश सांढ, गाय और बछड़ा शामिल होता है, उसे वारिसलीगंज बाजार की सड़कों पर दिनरात भ्रमण करते देखा जा सकता है।

इन पशुओं की देखभाल करने वाला कोई नहीं है। जिस कारण दिनभर बाजार में इधर उधर विचरण करने के बाद रात में खुले आसमान के नीचे गुजर बसर करते हैं। इन पशुओं के चारे की कोई व्यवस्था नहीं होती है। फलतः सड़को के किनारे फल व सब्जी मंडी में विचरण कर कूड़े कचड़े के ढेरों में अपना भोजन की तलाश करते हैं। इस दौरान बाजार के घरों से कूड़े में फेंका गया बासी भोजन खाने के चक्कर में कई बार पॉलीथिन के बैग को साथ निगल जाता है। जो आवारा पशुओं को असमय मौत तक पहुंचा देता है। बाजार के लोगों का कहना है कि वारिसलीगंज का गौशाला जब चालू होता था। तब वृद्ध विकलांग जानवरों को लोग वहीं पहुंचा देते थे। जिसके भोजन आदि का प्रबंध गौशाला प्रबंधकारिणी समिति किया करती थी। लेकिन गौशाला की कुव्यवस्था के कारण दर्जनों पशु शहरी इलाकों में आवारा की तरह घूमते मिलते हैं। कुछ इसी प्रकार का हालात प्रखण्ड के ग्रामीण क्षेत्र की भी है। पूर्व सांसद ने किया था गौशाला को पुनर्जीवित करने का प्रयास आठ वर्ष पूर्व तत्कालीन सांसद सह केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने वारिसलीगंज गौशाला का जीर्णोद्धार कर पुनर्जीवित करते हुए दो दुधारू गाय देने की घोषणा वारिसलीगंज की बैठक में की थी। जो सिर्फ घोषणा तक ही सिमट कर रह गई है। गौशाला के पदेन अध्यक्ष एसडीएम होते हैं। जिनका भी ध्यान गौशाला के विकास पर नहीं है। गौशाला के सचिव देवकीनंदन कमलिया हैं, जो अब वृद्ध हो चुके हैं। फलतः करोड़ों की अचल संपत्ति रहते जिले का एकमात्र गौशाला आज अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है। आश्वासन के बाद भी नहीं पुनर्जीवित हो रही है एकमात्र गौशाला गौशाला प्रबंधकारिणी कमेटी का पदेन अध्यक्ष अनुमंडल पदाधिकारी होते हैं। जिनसे कई बार क्षेत्र वासियों द्वारा गौशाला का सही तरीके संचालन करने के गुहार लगाई गई। तत्कालीन एसडीओ से भी क्षेत्रवासियों द्वारा शिकायत की गई थी। जिसके बाद अधिकारी ने कहा था कि वारिसलीगंज गौशाला की जानकारी संज्ञान में आया है। इसके लिए वारिसलीगंज पहुंचकर गौशाला के गौशाला कमिटी के सदस्यों से मिलकर इसके संचालन में आ रही बाधाओं को दूर करने का प्रयास किया जाएगा। लेकिन वर्षो बीतने के बाद भी किसी प्रकार का कार्य गौशाला पुनर्जीवित करने का नहीं किया जा रहा है। करोड़ों रुपए मूल्य की है गौशाला की है अचल संपति वारिसलीगंज गौशाला के पास करीब आठ एकड़ कीमती भूमि है। जिसमें वारिसलीगंज पावर सबस्टेशन से पश्चिम स्थित करीब डेढ़ एकड़ का भूभाग के अलावे रजौली अनुमंडल के हाथोचक में पांच एकड़ खेती योग्य भूमि तथा गौशाला परिसर भी तरकीबन एक एकड़ कीमती भूमि में स्थित है। विभिन्न स्थानों गौशाला की जमीन का अतिक्रमण भी धीरे धीरे किया जा रहा। बताया जाता है कि गौशाला के लिए पूर्व गठित कमेटी के लोगों में से सिर्फ सचिव को छोड़ किन्ही को कोई मतलब नहीं है। लोग कहते हैं कि जब गौशाला चालू था तब उसमें एक सौ से अधिक पशु रहा करते थे। दर्जनों दुधारू पशु हुआ करते थे। जिसका दूध बाजार के व्यवसाइयों के घर प्रतिदिन बिक्री होता है। दूध से प्राप्त आमदनी से पशुओं का चारा एवं रख रखाव का खर्च निकलता था। जबकि पावर हाउस के पास की परती जमीन पर पशुओं के लिए हरा चारा उगाया जाता था। प्रतिबर्ष गोवर्धन पूजा के दिन गौशाला में गोपाष्टमी मनाई जाती थी। इस उत्सव में दो दर्जन से अधिक कृष्ण सुदामा तथा पशुओं की मूर्तियां स्थापित किया जाता था। बाजार समेत ग्रामीण क्षेत्र के लोग गोपाष्टमी का मेला देखने गौशाला आया करते थे। मेला का उद्घाटन गौशाला के पदेन अध्यक्ष सदर एसडीओ करते थे। आज गोपाष्टमी के दिन गौशाला में मूर्ति बनना तो दूर एक मवेशी तक नहीं रहता है। आवारा पशुओं के कारण बाजार में होती है परेशानी वारिसलीगंज में गौशाला होने के बावजूद दर्जनों मवेशी सड़कों पर विचरण करते नजर आते हैं। जिसके कारण आम लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। खासकर जब मवेशी आपस में भिड़ जाते हैं तो बाजार में भगदड़ की स्थिति बन जाती है। लोगों को जान बचाकर इधर-उधर भागना पड़ता है। कई बार बाजार में इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है। लेकिन कोई भी इसके प्रति संवेदनशील नहीं है। बाजार के लोगों का कहना है कि अगर गौशाला को पुन: चालू किया जाए तो बाजार में घूमने वाले साढ़, गाय, बैल, बछड़ा आदि से निजात मिल जाता। लोगों का कहना है कि कई बार भगदड़ का कारण भी स्पष्ट नहीं हो पाता है और लोग इधर-उधर भागने लगते हैं। स्थिति सामान्य होने पर पता चलता है कि बाजार में घूमने वाले मवेशियों के बीच भिड़ंत हो गई थी। करोड़ों की अचल संपत्ति वाले गौशाला को पुन: चालू कराने की जरुरत है। संबंधित अधिकारियों को इसके प्रति ध्यान देने की जरुरत है। वारिसलीगंज का गौशाला पूर्ण रूपेण बदहाली के कगार पर पहुंच चुका है। गौशाला की व्यवस्था खत्म होने से पशुपालकों को काफी परेशानी हो रही है। आज गौशाला की दुर्गति के कारण बाजार के विभिन्न सड़कों, चौक चौराहों के पास आवारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है। क्या कहते हैं अधिकारी जिले का एकमात्र गौशाला वारिसलीगंज में है। गौशाला विकास के लिए सरकारी स्तर से किसी तरह का फंड उपलब्ध नहीं है। साथ ही साथ गौशाला की कमेटी पुरानी हो चुकी है। नई कमेटी गठन के बाद ही उसका विकास संभव हो सकेगा। अखिलेश कुमार, सदर अनुमंडल पदाधिकारी, नवादा। क्या कहते हैं पशुपालक वारिसलीगंज का गौशाला पूर्ण रूपेण बदहाली के कगार पर पहुंच चुका है। गौशाला की व्यवस्था खत्म होने से पशुपालकों को काफी परेशानी हो रही है। जब गौशाला चालू अवस्था में थी तब मवेशियों को अच्छे नस्ल के सांढ का पाल सुविधा से मिल जाता था। विपिन बिहारी प्रसाद सरकार एक तरफ विकास की बात कहती है पर जो विकास की पटरी पर दौड़ रही थी उसका देख भाल नहीं होने से मृत प्राय होता जा रहा है उसका सबसे बड़ा उदाहरण वारिसलीगंज का गौशाला है जहां सैकड़ों विभिन्न नस्ल के गाय, सांढ आदि हुआ करता था आज वीरान है। वैद्यनाथ शर्मा स्थानीय गौशाला कमेटी तथा अधिकारियों की उदासीनता के कारण गौशाला जर्जर हाल में पहुंच चुका है। गौशाला के पास करोड़ों रुपए अचल संपत्ति होने बावजूद सब बेकार हो गया। इस पर अधिकारियों को ध्यान देने की आवश्यकता है। तभी गौशाला का संचालन सही होगा। दीपक कुमार मध्यम वर्ग के लोगों के लिए पशुपालन एक महत्वपूर्ण कार्य है। तीन दशक पूर्व जिले का एक मात्र वारिसलीगंज के गौशाला विभिन्न प्रकार के गाय आदि से गुलजार रहता था। आज गौशाला की दुर्गति के कारण बाजार के विभिन्न सड़कों, चौक चौराहों के पास आवारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है। रामदास सिंह

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