नीलोत्पल मृणाल ने ओ माँ ये दुनिया, तेरे आंचल से छोटी है... से बाधां समा
नवादा में आयोजित कवि सम्मेलन में युवा कवि नीलोत्पल मृणाल ने अपनी भावनात्मक कविताओं से दर्शकों को भावुक कर दिया। उन्होंने बचपन की यादें ताजा करते हुए माँ और गाँव की बातें की। इसके अलावा, शिखा दीप्ति और...

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। डार्क हॉर्स, औघड़ और यार जादूगर जैसी बेस्ट सेलर पुस्तकों के रचयिता तथा ये रील बनाने वाले लड़के... से युवाओं के दिलों पर राज करने वाले युवा कवि साहित्य अकादमी पुरुस्कार विजेता नीलोत्पल मृणाल ने कहां गया हाय मेरा दिन वो सलोना रे, हाथों में थाम रे माटी का खिलौना रे, अरे वही मेरा चांदी था, वही मेरा सोना रे... कह कर बचपन की याद दिलाई तो सभी भावुक हो उठे और स्वत:स्फूर्त तालियों की महफिल हो गई। ओ माँ ये दुनिया तेरे आंचल से छोटी है, बचपन में एक रुपया जिद से जो मांगा था, उसकी ठनठन के आगे दौलत सब खोटी है... के उनके भावप्रण शब्द सभी को ममतामयी मां की याद दिला गए और वाह-वाह गूंजायमान हो उठा। थोड़ा सा नदी का पानी, मुट्ठी भर रेत रख लो, धान गेहूं सरसों वाले पीले हरे खेत रख लो, जो पूछेगा कोई तो अरे उसको बताएंगे, आने वाली पीढ़ियों को चल कर दिखाएंगे कि दुनिया ऐसी हुआ करती थी... से गांव-गिराम का उन्होंने रंगरूप दिखाया तो दर्शक उनके गंवई अंदाज में खो गए और वन्स मोर, वन्स मोर करने लगे। --------------------------- शिखा दीप्ति ने दीप बन कर जलूंगी तुम्हारे लिए से... मोहा मन नवादा। काव्योत्सव को ऊंचाई देने पहुंची हिंदी साहित्य अकादमी से सम्मानित गाजियाबाद की कवयित्री शिखा दीप्ति ने जब प्रेम पगे अपने गीत की प्रस्तुति दी, दीप बन कर जलूंगी तुम्हारे लिए, फूल बन कर खिलूंगी तुम्हारे लिए, जिस डगर तूने छोड़ा था मुझको कभी, मैं वहीं पर मिलूंगी तुम्हारे लिए... तो सभी उनके साथ गुनगुना उठे। उत्साह से भर कर उन्होंने पढ़ा, हम मचलने लगे हैं तुम्हारे लिए, स्वप्न पलने लगे हैं तुम्हारे लिए, कौन बदला है यहां पर किसी के लिए, हम बदलने लगे हैं तुम्हारे लिए... तो एक सिसकी सी उठ पड़ी और हर जवां दिल वाह-वाह कर उठा। इसके बाद भी वह प्रेम, रिश्तों और मानवीय भावनाओं से जुड़ी कविताएं पढ़ती रहीं, जिसे सुन कर उपस्थित दर्शक खूब प्रभावित दिखे। दर्शक दीर्घा में महिलाओं की खासी उपस्थिति देख कर वह खूब मोहित दिखीं और अपनी कविताओं से नारी सशक्तीकरण की भी बात की। ---------------------- भ्रष्ट-भ्रष्ट नेताओं को खा जा शेरावालिए...से अटापट्टू ने किया कटाक्ष नवादा। देश के प्रसिद्ध हास्य कवि एवं लॉफ्टर चैलेंज और वाह वाह क्या बात है जैसे सुप्रसिद्ध टीवी शो में अपनी प्रस्तुति से धाक जमा चुके मंच के संचाालक अजय अटापट्टू ने हंसी के रंग हिन्दुस्तान के संग कवि सम्मेलन में श्रोताओं को हास्य के रंग में रंग दिया। अपनी हास्यउक्तियां और व्यंग्य वाणों से उन्होंने श्रोताओं को जमकर ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया। राजनीति पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि शेर पे सवार हो के आ जा शेरावालिए, भ्रष्ट-भ्रष्ट नेताओं को खा जा शेरावालिए... तो ठहाकों की गूंज सातवें आसमान पर पहुंचने का अहसास करा गई। आखिर में जब वह शहीद पिता की लाश देखकर बिलखती बेटी की जुबां में कह पड़े, आखिरी बार तुमसे झगड़ न सकी, नन्हीं बाहों में अपने जकड़ न सकी, थाम कर जिसको सीखा था चलना कभी, पापा ऊंगली वो तेरी पकड़ न सकी...तो हर आंख नम होती चली गयी। --------------------- ये कलिकाल की सुंदरियां...से अनिल चौबे ने चलाया व्यंग्य बाण नवादा। बनारस से आए हास्य कवि डॉ.अनिल चौबे की सहज प्रवाहमय हास्य कविताओं की फुहार में सभी डूबते-इतराते दिखे। हास्य के बल पर पूरे विश्व में बनारसी ठहाकों से पहचान बनाने वाले भाषा तथा शास्त्र के प्रखर विद्वान तथा काशी हिंदू विश्वविद्यालय से पीएचडी उपाधि के साथ ही देश भर में अनेक सम्मान से समानित कवि डॉ.अनिल चौबे ने जब कहा कि हम आपलोगों को हिन्दुस्तान का सर्वश्रेष्ठ श्रोता मान कर सुना रहे हैं और आप मुझे ब्रह्मांड का सर्वश्रेष्ठ कवि मान कर सुनें, तो हंसी का फव्वारा छूट पड़ा। कोचिंग छोड़ महेश दिनेश सुरेश निरंरत रील बनावैं, नीट और गेट को भेदने वाले भी रूप रहस्य अभेद्य बतावैं, प्यार की कई कविता रट मारै तबो इस प्यार से पार न पावैं, ये कलिकाल की सुंदरियां टुइयां भर टैटू पर नाच नचावैं... कह कर उन्होंने वर्तमान समय पर करारा कटाक्ष किया तो दर्शक दीर्घा खिलखिला उठा। -------------------- राधेश्याम भारती ने रोटी कड़ी थी तो दो दांत टूट गए... से खूब हंसाया नवादा। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान के हास्य कवि सम्मेलन में सबसे उम्रदराज कवियों के खिताब के साथ सफेद बालों वाले धाकड़ कवि राधेश्याम भारती ने लोगों को खूब गुदगुदाया और जमकर हंसाया। हल्के-फुल्के अंदाज में उन्होंने कहा कि जिसे बीवी ने पीटा करुण रस में गुनगुनाते हैं, पीते जो प्रेम रस से वह सभी श्रृंगार गाते हैं, जिन्हें पब्लिक ने पीटा, बन गए हैं वीर रस के कवि, और जो थाने में पिटे हैं, हास्य रस की कविता सुनाते हैं...। उनका यह अंदाज खूब रहा और लोग ठहाके में मशरूफ हो गए। इंडियाज लाफ्टर चैम्पियन और वाह वाह क्या बात है के धमकदार कवि ने जब कहा कि डूबो कर हास्य में व्यंग्य की कविता सुनाते हैं, मशीनी जिंदगी से त्रस्त चेहरों को हंसाते हैं, मगर ऐसी महफिलों में जो दिल खोलकर नहीं हंसते, वही एक दिन किसी सर्जन से अपना दिल खुलवाते हैं... तो सभी ठठा कर निहाल हो उठे। उन्होंने अपने ही अंदाज में सुनाया कि एक रोटी कड़ी थी, मेरे दो दांत टूट गए... और इस पर हंसी के पटाखे छूट पड़े।
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