पाटलिपुत्र जंक्शन : यात्री सुविधाएं और सुरक्षा के इंतजार नाकाफी
उत्तर बिहार के पाटलिपुत्र जंक्शन पर यात्रियों को बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझना पड़ रहा है। पेयजल, शौचालय और जानकारी की कमी यात्रियों के लिए बड़ी समस्या बन गई है। ट्रेनें कम होने के कारण यात्रियों...
उत्तर बिहार से रेल यातायात को सरल बनाने के लिए स्थापित हुए पाटलिपुत्र जंक्शन पर यात्री सुविधाओं को लेकर बेहद परेशानी है। प्लेटफार्म पर पेयजल और शौचालय के लिए यात्रियों को काफी परेशानी का सामना है। उनका कहना है कि रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के लिए बुनियादी सुविधाएं निशुल्क मुहैया कराई जानी चाहिए, लेकिन इसके लिए उन्हें जेब ढीली करनी पड़ती है। ट्रेनें की संख्या कम होने से भी यात्रियों को घंटों स्टेशन पर गुजारना पड़ता है। सुविधा और सुरक्षा से जूझ रहे रेल परिसर में ट्रेनों की संख्या भी बढ़ाने की जरूरत है। दानापुर रेलमंडल का चौथा सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन पाटलिपुत्रा जंक्शन पर यात्री सुविधाओं और व्यवस्थाओं का बड़ा संकट है।
मुख्य द्वार से प्रवेश करने से पहले ही बरामदे में ही सोये हुए आवारा पशुओं का पार कर प्लेटफार्म पर जाना पड़ता है। प्लेटफार्म पर शेड की कमी, यहां वहां बिखरे पार्सल के सामान, वातानुकूलित प्रतीक्षा कक्ष में प्रति व्यक्ति प्रति घंटे के आधार पर लगने वाले शुल्क के कारण अधिकांश यात्री भीषण गर्मी में भी प्लेटफार्म और स्टेशन के पोर्टिको में जमीन पर बैठने और लेटने को मजबूर हैं। ऐस में जल्दबाजी में आने वाले यात्रियों के जमीन पर बैठे लोगों से टकराने और गिरने पड़ने का मामला आम है। कई बार ये झगड़े का कारण भी बनता है। सुरक्षा को लेकर भी पाटलिपुत्र जंक्शन के दोनों तरफ गंभीर संकट है। मुख्य द्वार की तरफ आने वाली सड़क शाम के बाद सुनसान और अंधेरी होने से लूटपाट और झपटमारी का खतरा रहता है तो दूसरे प्रवेश द्वार की तरफ सैंकड़ों झुग्गी करे कारण सुरक्षा का संकट है। यहां स्मैक और नशीले सामाग्री की बिक्री भी हो रही है। नहर की ओर बनी सड़क की ओर से आने जाने वाले यात्रियों से मोबाइल और पैसे छीनने की घटना इस ओर आम है। परिसर के पूछताछ सेवा केंद्र में भी सभी यात्रियों को जानकारी हासिल करने में दिक्कत होती है। ग्रामीण यात्रियों को नहीं मिल पाती है सही जानकारी भीषण गर्मी में पंखे की हवा की पहुंच से बाहर बैठे अधेड़ उम्र यात्री मोहम्मद मरगूब आलम पाटलिपुत्रा रेलवे स्टेशन की व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए बेहद मायूस नजर आते हैं। अपने गमछे से पसीना पोंछते हुए बताते हैं कि यहां अनपढ़ यात्रियों के लिए कुछ भी जानकारी हासिल करना बेहद अपमानित होने वाली बात होती है। पूछताछ काउंटर पर किसी ट्रेन के संबंध में या अन्य जानकारी हासिल लेने जाते हैं तो वहां तैनात रेलकर्मी बेहद अभद्रता के साथ बात करते हैं। हम और हम जैसे सैंकड़ों यात्री रोजाना रेल से सफर करते हैं। पढ़े लिके नहीं होने के कारण पूछताछ काउंटर के अंदर या प्लेटफार्म पर लगे बोर्ड पर लिखकर दी जाने वाली सूचना समझ में नहीं आती है। ऐसे में यदि पूछताछ काउंटर पर जाकर कोई जानकारी मांगते हैं तो रेलकर्मी काफी अनाप शनाप बोलकर और डांटकर भगा देते हैं। कहते हैं कि हमारा समय खराब मत करो। मरगूब आलम लाचारी के साथ सवालिया अंदाज में कहते हैं कि पूछताछ तो रेल यात्रियों को जानकारी देने के लिए ही बनाई गई है तो फिर उन्हें कुछ बताने में क्या दिक्कत होती है। उनकी मनोदशा रेल प्रबंध के प्रति उनके घटते विश्वास और कुप्रबंधन को निटती समझकर रेल यात्रा करने की मजबूरी को बखूबी दर्शाती है। पाटलिपुत्र जंक्शन पहुंचने में अतिरिक्त खर्च का बोझ पटना एम्स में अपना इलाज कराने वाले हाजीपुर निवासी पिंटू कुमार महतो कहते हैं कि महीने में दो बार उन्हें इलाज के लिए एम्स आना पड़ता है। हाजीपुर से वे ट्रेन के माध्यम से पाटलिपुत्र जंक्शन आते हैं और यहां से एम्स जाना होता है। पिंटू बताते हैं कि यहां आने के बाद स्टेशन परिसर से बाहर निकल कर अपने गंतव्य तक जाने में यातायात सुविधाओं की भारी कमी है। रेलवे स्टेशन से मुख्य सड़क लगभग डेढ़ किलोमीटर है। इतनी दूर सामान लेकर पैदल नहीं चला जा सकता है। बीमार व्यक्ति के लिए तो ये जानलेवा साबित हो सकता है। ऐसे में ऑटोरिक्शा ही एकमात्र रास्ता बचता है। इस समस्या का ऑटोचालक भी भरपूर फायदा उठाते हैं। यहां से एम्स लगभग दस किलोमीटर की दूरी पर है। इतनी दूरी के लिए ऑटोचालक तीन सौ रुपये लेते हैं। इससे कम में कोई जाने को तैयार नहीं होता है। कोई और विकल्प नहीं होने के कारण मजबूरी में अधिक पैसे खर्च करने पड़ते हैं। ये समस्या यहां आने वाले लगभग सभी यात्रियों को होती है। उन्हें ऑटो चालकों की मनमानी का शिकार होना पड़ता है। इतना ही नहीं, शाम के बाद यहां आने वाला रास्ता भी बेहद सन्नाटा हो जाता है। ऐसे में ऑटो से आने जाने में यहां सुरक्षा का भी खतरा रहता है। यदि यहां से यात्रियों को बस सुविधा मिले तो पैसे बचने के साथ-साथ सुरक्षा का भी संकट नहीं रहेगा। ट्रेनों की संख्या कम होने से यात्री परेशान पाटलिपुत्र जंक्शन के प्लेटफार्म संख्या-1 पर बैठे अपने मोबाईल फोन पर समय बिताते रंजीत झा कहते हैं कि वे सुपौल के बैरगनिया से पटना किसी निजी काम से आए थे। इस रूट पर केवल एक ट्रेन होने से आने जाने में काफी कठिनाई होती है। बताते हैं कि बैरगनिया से सुबह सवा सात बजे एक ट्रेन पाटलिपुत्रा रेलवे स्टेशन आती है। दुर्भाग्य से वे इस गाड़ी में सवार नहीं हो सके और मजबूरी में बस से यहां आना पड़ा। 5 घंटे का सफर 7 घंटे में पूरा हुआ और दुर्दशा अलग से हुई। इस रूट पर ट्रेन की संख्या बढ़ाई जाने की जरूरत है। कम से कम दो ट्रेन तो हर हाल में होनी चाहिए। शिकायत 1. पाटलिपुत्रा जंक्शन तक पहुंचने के लिए यातायात की समस्या 2. शाम के बाद रास्ते सुनसान और अंधेरे होने से सुरक्षा का संकट 3. स्टेशन परिसर में यात्रियों के लिए शीतल पेयजल और शौचालय का अभाव 4. प्रतीक्षा कक्ष में शुल्क लगने यात्री प्लेटफार्म और पोर्टिकों में बैठने को मजबूर 5. पूछताछ काउंटर पर यात्रियों को जानकारी प्राप्त करने में असुविधा सुझाव 1. पाटलिपुत्रा जंक्शन तक पहुंचने के लिए शुरु हो बस सेवा 2. शाम के बाद स्टेशन आने वाले रास्ते पर हो नियमित पुलिस गश्ती 3. रेल यात्रियों के लिए शीतल पेयजल और शौचालय की हो निशुल्क सुविधा 4. यात्रियों के लिए प्रतीक्षा कक्ष में नहीं लगे किसी प्रकार का शुल्क 5. पूछताछ काउंटर पर यात्रियों को मिले लिखित के साथ मौखिक जानकारी सालाना सौ करोड़ से अधिक कमाई, पर सुविधाओं में फिसड्डी पाटलिपुत्र जंक्शन की सालाना कमाई सौ करोड़ से अधिक है। कमाई के मामले में यह पूमरे के दस शीर्ष स्टेशनों में शुमार है। लेकिन रेल परिसर में सुविधाओं के नाम भारी कमी है। सर्कुलेटिंग क्षेत्र में प्रवेश करने पर ऑटो चालकों की मनमर्जी है तो कैनोपी क्षेत्र के आसपास सरकारी अतिक्रमण है। यहां आरपीएफ ने बेरिकेडिंग कर आधे क्षेत्र पर कब्जा जमा रखा है। शेष हिस्से पर माल ढुलाई की गाड़ियां खड़ी रहती हैं। पार्सल के सामान इधर-उधर बेतरतीब तरीके से बिखरे रहते हैं। पाटलिपुत्र जंक्शन से रोजाना 35 ट्रेनों की आवाजाही होती है। इनमें डिब्रूगढ़ राजधानी एक्सप्रेस, पाटलिपुत्र लखनऊ, पाटलिपुत्रा यशवंतपुर, जनहित एक्सप्रेस जैसी महत्वपूर्ण ट्रेनें शामिल हैं। 15 ट्रेनों का आरंभिक या आखिरी स्टेशन है जबकि 20 ट्रेनों का आवाजाही होती है। इन ट्रेनों के प्रीमियम यात्रियों के लिए पर्याप्त सुविधाओं का अभाव है। रेल परिसर की शुरुआत 2016 में हुई थी। शुरू से ही यह एनएसजी टू ग्रेड में है। इस अनुसार एसी वेटिंग हॉल, रिटायरिंग रूम, एक्जीक्यूटिव लाउंज व अन्य सुविधाएं परिसर में पहले ही बहाल हो जानी चाहिए थी लेकिन यात्रियों को ऐसी कई महत्वपूर्ण सुविधाओं से वंचित रखा गया है। 12 घंटे रिजर्वेशन काउंटर रहता है बंद परिसर में आरक्षित टिकट से संबंधित एक ही काउंटर दो शिफ्ट में संचालित होता है। सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक यह काउंटर खुला रहता है। इसके बाद अगर किसी को आरक्षण कराना हो तो पटना जंक्शन आने की मजबूरी होती है। रात आठ बजे से सुबह आठ बजे तक आरक्षण काउंटर बंद रहता है। कई बार यात्री इस परेशानी से दो चार होते हैं और उन्हें एक रेल परिसर से दूसरे रेल परिसर में भागना होता है। अनारक्षित काउंटर भी काफी कम हैं। मात्र चार काउंटर बनाए गए हैं। प्रवेश निकास पर ऑटो चालकों का कब्जा प्रवेश द्वार पर सड़क पर ही ऑटो चालकों का राज चलता है। आप परिसर से सुगमता से न बाहर निकल सकते हैं न परिसर में बाहर जा सकते हैं। बांह पकड़कर यात्रियों को खिंचना आम बात है। ऑटो चालक कैनोपी एरिया से ही यात्रियों के पीछे जबरन पड़ जाते हैं। यात्री को जाना खगौल की ओर होता है तो स्टेशन वाले ऑटो पर बैठाकर आधे रास्ते बदसलूकी भी करते हैं। पार्किंग क्षेत्र होने के बावजूद ऑटो चालकों के जाम के जंजाल की वजह से यहां आने-जाने वाले यात्री असहज महसूस करते हैं। छात्रों और कामकाजियों की लाइफलाइन पाटलिपुत्र जंक्शन उत्तर बिहार की ओर से आने-जाने वाले यात्रियों के अलावा छात्रों और कामकाजियों की लाइफलाइन है। हाजीपुर, छपरा, मुजफ्फरपुर, सोनपुर व अन्य जगहों से आने-जाने के लिए यह सबसे निकटतम स्टेशन है। छात्रों और कामकाजियों को इस स्टेशन के बनने से काफी सहूलियत हुई लेकिन अब भी ट्रेनों की दरकार है। अनारक्षित टिकटों के हिसाब से हर दिन आठ से साढ़े आठ हजार टिकट कटते हैं। ट्रेनों की संख्या और टिकट काउंटरों की संख्या बढ़ना इस स्टेशन की सबसे बड़ी जरूरत है। शीर्ष दस स्टेशनों में पाटलिपुत्र जंक्शन की कमाई की स्थिति स्टेशन वार्षिक कमाई पटना जंक्शन 689. 91 करोड़ मुजफ्फरपुर जंक्शन: 275. 41 करोड़ दानापुर स्टेशन 269.80 करोड़ डीडीयू जंक्शन 253.75 करोड़ गया जंक्शन: 231.55 करोड़ धनबाद जंक्शन: 205.58 करोड़ दरभंगा जंक्शन: 173.14 करोड़ राजेन्द्र नगर टर्मिनल: 146.39 करोड़ समस्तीपुर जंक्शन: 140.42 करोड़ पाटलिपुत्र जंक्शन : 104.62 करोड़
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