मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं के मामले की सुनवाई 16 तक टली
पटना हाईकोर्ट में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से संबंधित सुनवाई 16 मई तक टल गई। कोर्ट ने बताया कि सारण प्रमंडल में न तो मेडिकल कॉलेज है और न ही मनोचिकित्सक। राज्य सरकार ने पेश की प्रगति...

पटना हाइकोर्ट में राज्य के मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से संबंधित मामले पर सुनवाई 16 मई तक टल गयी। एक्टिंग चीफ जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ की ओर से आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही है। पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया गया कि सारण प्रमंडल में न तो कोई मेडिकल कॉलेज है और न ही मनोचिकित्सक है। यह बताया गया कि सभी प्रमंडलों में मेडिकल हेल्थ रिव्यू बोर्ड का गठन हो चुका है। पिछली सुनवाई में राज्य सरकार ने एक हलफनामा दायर कर प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की थी, इसमें यह बताया गया कि स्टेट मेंटल हेल्थ ट्रिब्यूनल के लिए चालीस लाख रुपए आवंटित किये गये हैं।
मेन्टल हेल्थ रिव्यू बोर्ड को फंड दिये जाने के मामले में सरकार ने बताया कि विभागीय स्तर पर प्रक्रिया जारी है। कोर्ट को यह भी बताया गया कि मनोविशेषज्ञों के आठ स्वीकृत पद हैं, जो रिक्त पड़े हैं। मेडिकल ऑफिसर के 214 पदों में से 123 रिक्त हैं। कोर्ट को राज्य सरकार की ओर से जानकारी दी गई कि मरीजों की काउंसिलिंग के लिए एनआईएमएचएएनएस की मदद से 477 प्रीजन स्टाफ और अधिकारी हैं। कोर्ट ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मेन्टल हेल्थ रिव्यू बोर्ड के रिपोर्ट याचिकाकर्ता, केंद्र व राज्य सरकार को देने का निर्देश दिया था। राज्य के विभिन्न जिलों में मेंटल हेल्थ रिव्यू बोर्ड क गठन किया गया था। इसमें संबंधित जिला जजों की ओर से रिपोर्ट भेजा जाना था। याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने जानकारी दी थी कि सभी जगहों से रिपोर्ट आ चुकी है। दरभंगा से भी रिपोर्ट आ चुकी है। उन्होंने बताया कि अगली सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से प्रस्तुत तथ्यों का जवाब देने के लिए मोहलत कोर्ट ने दिया है।
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