मोबाइल मरम्मत का प्रशिक्षण व लोन मिले तो चमकेगा कारोबार
समस्तीपुर में करीब पांच हजार युवा मोबाइल मरम्मत की दुकानें चला रहे हैं, लेकिन उन्हें उचित प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता की कमी का सामना करना पड़ रहा है। अधिकतर युवा यूट्यूब से सीखते हैं, जबकि बैंक लोन...
समस्तीपुर। जिले में करीब पांच हजार युवा मोबाइल मरम्मत की छोटी-मोटी दुकान चलाकर अपना जीवन यापन करते हैं। इनमें से अधिकतर युवाओं ने यूट्यूब से मोबाइल रिपेयरिंग का काम सीखा है। इनके पास ब्रांडेड मोबाइल की रिपेयरिंग का प्रशिक्षण नहीं है। इस कारण इन्हें अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। इनका कहना है कि दुकान खोलने के लिए जब भी लोन के लिए बैंक जाते हैं तो इनकार कर दिया जाता है। दुकान मालिक भी मोटी रकम पगड़ी के रूप में मांगता है। जिला प्रशासन को लोन दिलाने के लिए मोबाइल मरममत के लिए समय-समय पर विशेष शिविर का आयोजन करना चाहिए।
छोटे कस्बों और गांवों में भी मोबाइल मैकेनिकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अधिकतर युवा बेरोजगार या स्कूल-कॉलेज से ड्रॉपआउट हैं, जो तकनीकी रुचि के कारण इस क्षेत्र में आते हैं। इनके पास न तो कोई डिग्री होती है, न ही कोई प्रमाणित प्रशक्षिण। अक्सर ये किसी पुराने मैकेनिक के पास रहकर सीखते हैं या यूट्यूब वीडियो से जानकारी प्राप्त करते हैं। बहुत से मैकेनिकों की पृष्ठभूमि आर्थिक रूप से कमजोर होती है, जिससे इनके पास दुकान खोलने, उपकरण खरीदने या ट्रेनिंग में निवेश करने की क्षमता नहीं होती। वे रोजमर्रा की कमाई से घर चलाते हैं और किसी सरकारी सहयोग की उम्मीद रखते हैं। इस कारण ये एक असंगठित और उपेक्षित वर्ग में आते हैं, जिन्हें अब तक नीति-निर्माताओं ने गंभीरता से नहीं लिया। मोबाइल टेक्नोलॉजी में हर महीने कोई नया बदलाव आ जाता है। नए फीचर्स, अपडेटेड ऑपरेटिंग सस्टिम, हार्डवेयर में बदलाव और सुरक्षा प्रणाली मोबाइल मैकेनिकों के लिए नई चुनौती पेश करते हैं। पहले के फोन साधारण होते थे और उनके पुर्जे भी सामान्य होते थे, लेकिन आज के स्मार्टफोन में एसएमडी तकनीक, बायोमैट्रिक सेंसर, फेस आईडी, एआई कैमरा आदि फीचर्स होते हैं, जिनकी मरम्मत के लिए विशेष ट्रेनिंग और उच्च गुणवत्ता के उपकरण की जरूरत होती है। कई बार ग्राहक नए मोबाइल लेकर आते हैं, लेकिन मैकेनिक के पास आवश्यक जानकारी या टूल न होने से काम अधूरा रह जाता है। इस कारण ग्राहक असंतुष्ट हो जाते हैं और मैकेनिक की साख पर असर पड़ता है। यदि इन्हें नियमित रूप से अप-टू-डेट ट्रेनिंग दी जाए, तो ये तकनीक के साथ कदम मिला सकते हैं। मोबाइल मैकेनिक बनने के लिए देश में कोई औपचारिक शैक्षणिक व्यवस्था या प्रशक्षिण पाठ्यक्रम व्यापक स्तर पर नहीं है। कुछ निजी संस्थान कोर्स कराते हैं, लेकिन उनकी फीस आम युवाओं के बस से बाहर होती है। ज्यादातर युवा असस्टिेंट बनकर ही यह काम सीखते हैं। अनुभव के भरोसे चलने वाले इस पेशे में कोई मानक नहीं है, जिससे गुणवत्ता में बहुत अंतर रहता है। न तो इन्हें सॉफ्टवेयर अपडेट की जानकारी होती है, न ही हार्डवेयर बदलाव की सटीक समझ। इससे ग्राहक को नुकसान हो सकता है और मैकेनिक को भी बार-बार सीखने की जरूरत पड़ती है। अगर सरकार या किसी प्राइवेट संस्था के सहयोग से मुफ्त या रियायती ट्रेनिंग केंद्र खोले जाएं तो ये युवा तकनीकी रूप से दक्ष बन सकते हैं, जिससे न केवल उनकी कमाई बढ़ेगी, बल्कि ग्राहक संतुष्टि का स्तर भी सुधरेगा। अपनी दुकान शुरू करने को बड़ी पूंजी की आवश्यकता होती है, जिसकी व्यवस्था करना बड़ी चुनौती है। मोबाइल मैकेनिक बाबर सिद्दीकी, हिमांशु सिंह, अजित कुमार, अतुल कुमार, मुकुल कुमार आदि ने बताया कि सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि मोबाइल के पार्ट्स बदलते समय उसकी कीमत को लेकर होती है। इसके लेकर अक्सर ग्राहकों से विवाद होता है। ग्राहकों का दुकानदारों पर भरोसा नहीं होता है। इसके पीछे मूल कारण यह है कि हमारे पास उपलब्ध पार्ट्स असली नहीं होते हैं। अगर उनके पास भी कंपनियां असली पार्ट्स उपलब्ध कराये तो ये समस्याएं खत्म हो जाएंगी और उनको रोजगार भी पटरी पर लौट जाएगा। समस्तीपुर में अब अधिकांश मोबाइल ब्रांडों का केयर शोरूम खुल गया है, जिसके कारण ग्राहक वारंटी के अंदर अथवा वारंटी खत्म हो जाने के बाद भी केयर सर्विस सेंटर पर जाना ही पसंद करते हैं। इन कारीगरों ने यह भी बताया कि पूरे समस्तीपुर जिले भर में लगभग पांच हजार की संख्या में मोबाइल रिपेयर करने की दुकानें हैं। बोले-जिम्मेदार जिले में मोबाइल रिपेयर करने वाले सैकड़ों मैकेनिकों को बिहार लघु उद्यमी योजना के तहत ऋण अथवा अनुदान की राशि देने के लिए चयनित किया गया है। अंतिम सूची में भी कुछ के नाम हैं। इनको प्रशिक्षण देने के लिए सरकार की ओर से कोई योजना चलायी जाएगी तो इनके कौशल विकास के लिए शामिल किया जाएगा। उद्योग विभाग के पोर्टल पर भी जानकारी उपलब्ध है। -विवेक कुमार, जिला प्रबंधक, उद्योग विभाग, समस्तीपुर
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