सीता स्वयंबर व धनुष भंजन यज्ञ कथा
सीतामढ़ी में जगतगुरू तुलसीपीठाधीस्वर श्री रामभद्राचार्य ने सीता प्रेक्षागृह में श्री राम कथा के छठे दिन सीता स्वयंवर और धनुष भंजन यज्ञ की कथा सुनाई। माता सीता की महाशक्ति और राम के प्रति उनकी भक्ति के...

सीतामढ़ी। जगतगुरू तुलसीपीठाधीस्वर श्री रामभद्राचार्य ने माता सीता की प्राकट्य भूमि पुनौराधाम के सीता प्रेक्षागृह में श्री राम कथा के छठे दिन सीता स्वयंवर व धनुष भंजन यज्ञ कथा सुनाई। यंवर कथा श्रवण कराते हुए महाराज जी ने कहा कि माता सीता सदैव भगवान राम के वाम अंग में विराजती है।सीता महाशक्ति व आदि शक्ति है। समस्त जगत के मूल आधार माता सीता है।सबको अधीन करने की शक्ति माता सीता के पास है। सीता ने राजा जनक,मिथिला की प्रजा,और राम के मन को जीत चुकी थी।माता सीता ने छठे शक्ति का उपयोग कर सभी राजा की शक्ति खत्म कर दी।शिव धनुष को अहंकार रहित राजा तोड़ सकते थे।इसलिए
राजा राम ने शिव धनुष तोड़ा है।शंकर के धनुष के पास आते ही अहंकारी दस हजार राजाओं के बल नष्ट हो जाते थे। सभी जीव की शक्ति माता सीता की शक्ति है।भगवान राम ने अपने तीन गुरु को प्रणाम कर धनुष को उठा लिया।पहला प्रणाम गुरु वशिष्ठ को किया दूसरा प्रणाम गुरु विश्वामित्र को किया और तीसरा प्रणाम महादेव को करके धनुष तोड़ दिया।राम चरित मानस सभी ग्रंथों का सार तत्व है।राजा जनक की चिंता समाप्त हुई। धनुष उठते ही विश्वामित्र के रोम रोम खड़े हो गए। धनुष उठते ही सभी राजा का मुंह नीचे झुक गया। धनुष पर चाप खींचते ही सीता माता का मन भी राम की ओर खींच गया और धनुष टूटते ही परशुराम का अहंकार टूट गया।श्री हनुमान जी ने इसका वर्णन किया है। पांचों घटना श्री हनुमान जी अपनी आंखों से अदृश्य रूप से देख रहे थे। पुष्प वर्षा हुई, मिथिला में हर्ष छा गया।त्रेता में राम ने धनुष तोड़ा है।उद्भव और संहार में नहीं, जगत के पालन के लिए धनुष तोड़ा है। कथा में मुख्य यजमान जानकी नंदन पांडेय,आचार्य अवधेश शास्त्री, संयोजक राम शंकर शास्त्री,संत भूषण दास,राम छबीला चौधरी,बाल्मीकि कुमार, शिव कुमार, धनुषधारी सिंह समेत सैकड़ों भक्तों ने कथा सुनी।
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