आईएएस से लेकर आईपीएस तक देने वाले हाईस्कूल में प्रयोगशाला व कमरों की कमी से जूझ रहे छात्र
गहिलापुर हाईस्कूल का गौरवशाली इतिहास है, जिसकी स्थापना 14 जनवरी 1959 को हुई थी। पहले यहां 2000 छात्रों की संख्या होती थी, लेकिन अब यह घटकर 300-400 रह गई है। संसाधनों की कमी, जर्जर भवन और खेल मैदान की...

आंदर, एक संवाददाता। प्रखंड में स्थापित सबसे पुराने हाईस्कूलों में से एक गहिलापुर हाईस्कूल का काफी गौरवशाली और पुराना इतिहास रहा है। आजादी के बाद 14 जनवरी 1959 को इस हाईस्कूल की स्थापना हुई। कभी दो हजार छात्र छात्राओं की यहां संख्या होती थी। वर्तमान में 3 सौ से चार सौ छात्र-छात्राओं का नामांकन है। पहले गहिलापुर हाईस्कूल से पढ़ाई करनेवाले छात्र छात्राओं को खुद पर फक्र होता था। यहां से पढ़े चुके हर बैच के छात्र देश-दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। अब हर पंचायत में हाईस्कूलों की स्थापना किये जाने से यहां बच्चों की संख्या भी घट गई है। शौचालय, प्रयोगशाला, स्टेडियम और अन्य संसाधनों की कमी से पढ़ाई सुचारू रूप से नहीं हो पा रही है। जर्जर भवन और शौचालय को मरम्मत की है दरकार गहिलापुर हाईस्कूल के जर्जर भवन को विद्यालय समिति और जिला प्रशासन ने जहां मरम्मत कराया और कई नए कमरों का निर्माण भी कराया गया है। लेकिन ये सब काफी नहीं है। इसको लेकर विभाग को कई बार लिखित रूप से सूचना दी गई। बावजूद अबतक विभागीय उदासीनता से इसकी सुधि नहीं ली जा रही है। स्कूल में कंप्यूटर लैब व स्मार्ट क्लासेस की सुविधा है, पुस्तकालय भी है। लेकिन, उसका समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। लगभग डेढ़ एकड़ में विद्यालय का खेल मैदान है। लेकिन, अनियमिता और अधूरे निर्माण कार्य से इसे डेढ़ दशक बाद भी काम में नहीं लाया गया है। स्टेडियम के दक्षिण दिशा में स्कूल की जमीन अनुपयोगी है। विद्यालय प्रशासन इसे उपयोग लाना चाहता है, लेकिन अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा है। स्कूल भवन के बगल में ही सड़क किनारे खाली पड़ी हुई जमीन की घेराबंदी अब तक नहीं हुई है। खेल मैदान का बच्चे नहीं कर पाते उपयोग गहिलापुर हाईस्कूल का अधूरा खेल मैदान अपने बदहाली पर आंसू बहा रहा है। इसके अधूरे चहारदीवारी के अंदर विद्यालय का अपना खेल मैदान है। वावजूद छात्र और स्थानीय खिलाड़ी इसका उपयोग नहीं कर पाते हैं। मैदान की घेराबंदी नहीं होने से इसमें आवारा पशु घुस पाते हैं। अभी भी खो-खो, कबड्डी,क्रिकेट व फुटबॉल आदि खेल आयोजित होते रहते हैं। अब गेम टीचर होने के बाद भी खेल गतिविधियां कम ही दिखाई पड़ती है। कभी यह विद्यालय जिला स्तर पर फुटबॉल के लिए प्रसिद्ध था। लेकिन अब यहां फुटबॉल और क्रिकेट की टीम भी नहीं है। अब इस प्रकार की खेल आयोजित भी नहीं किए जाते हैं। यह भी नहीं कि इस मैदान में खिलाड़ी नहीं दिखते, लेकिन बाहरी खिलाड़ी नजर आते हैं। कई बेहतर शिक्षकों से सुशोभित रहा है विद्यालय गहिलापुर हाईस्कूल के स्थापना के बाद यहां कई प्रधानाध्यापक और शिक्षकों से अपने विद्वता से सुशोभित किया। जिसमें पंडित शिवदयाल द्विवेदी, नथुनी सिंह, जयप्रकाश सिंह, नथुनी भगत, समेत अन्य शिक्षकों का नाम आज भी सम्मान के साथ लिया जाता है। गहिलापुर हाईस्कूल में 22 प्रतिनियुक्ति की गई गहिलापुर हाई स्कूल में शिक्षकों की अभी भी कमी है। जिसका असर यहां पढ़ने वाले छात्रों पर भी देखने को मिलता है। प्राचार्य सत्यप्रकाश राय ने बताया कि साइंस इंटर के फिजिक्स, मैथ, केमेस्ट्री संस्कृत, पॉलिटिकल साइंस समेत कई विषयों के शिक्षक आज भी प्रतिनियुक्त नहीं किए गए हैं। जबकि कमरों का यहां घोर अभाव है। इसके चलते विद्यालय को दो पालियों में चलाना पड़ता है। उन्होंने बताया कि शौचालय और पेयजल की भी कमी है। इसकी कई बार लिखित सूचना जिला मुख्यालय के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर भी दिया गया। उन्होंने कहा कि खेल मैदान निर्माण को भी जल्द से पूरा करना चाहिए जिससे छात्र-छात्राओं को खेल में भी रुचि मिलसके। आईपीएस और डॉक्टर तक हैं स्कूल के छात्र गहिलापुर हाईस्कूल से पढ़नेवाले आज कई बड़े-बड़े ओहदे पर हैं। इनमें सीआईडी के डीआईजी के पद पर सुभाष तिवारी, रिटायर्ड शिक्षक विश्राम पांडेय, शिवशंकर सिंह, रामसागर राय, डॉ विनय पांडेय, रामायण द्विवेदी समेत कई लोग आज देश दुनिया में काम कर रहे हैं।
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