सीवान के बस स्टैंड में कई बुनियादी यात्री सुविधाओं का है अभाव
सीवान के ललित बस स्टैंड में बुनियादी यात्री सुविधाओं की कमी है। यात्रियों को साफ पानी, छाया और उचित शौचालयों की समस्या का सामना करना पड़ता है। किराया सूची का अभाव यात्रियों को सही जानकारी नहीं देता।...

सीवान, निज प्रतिनिधि। जिला मुख्यालय स्थित ललित बस स्टैंड में कई बुनियादी यात्री सुविधाओं का अभाव है। दूसरे शहरों की तुलना में इस बस स्टैंड की हालात ठीक नहीं है। बुनियादी सुविधाओं का अभाव होने का असर यहां से अपने गंतव्य स्थान के लिए जाने वाले यात्रियों, बस संचालकों, ड्राईवरों व कंडक्टरों पर भी पड़ता दिखायी देता है। परिसर में यात्री कभी साफ पानी के लिए यात्री परेशान होते हैं तो कभी धूप में इधर-उधर बैठने को मजबूर हैं। शनिवार को पड़ताल के दौरान पाया गया कि अधिकतर यात्री धूप से बचाव को लेकर बस स्टैंड में संचालित दूकानों में लगाए गए बेंच व स्टूलों पर बैठे थे।
वहीं, कई पेड़ों के नीचे बनाए गए चबूतरे का सहारा ले रहे थे। कई यात्री प्राइवेट बसों के कांउटर के पास लगाए गए बेंच पर बैठे मिले। प्यास लगने पर बोतलबंद पानी खरीदना मजबूरी थी। आर्थिक रूप से कमजोर यात्री जगह-जगह लगाए गए चापाकल का पानी पी रहे थे। हालांकि, इस गर्मी और ऊमस भरे मौसम में भी कई चापाकल व चालक खराब पड़े थे। शौचालय का भी कुछ ऐसा ही हाल रहा। यात्री के अंतिम छोर पर एक सुलभ शौचालय है। इसका लाभ यात्री, बस चालक और कंडक्टर लेते हैं। बताया गया कि यात्री संख्या के आधार पर बस स्टैंड में सुविधाओं का अभाव है। किराया सूची नहीं लगाए जाने से नहीं मिलती सही जानकारी यात्रियों ने बताया कि बस संचालकों द्वारा तय किराया यात्रा के दौरान सभी बसों के कंडक्टर वसूल करते हैं। लेकिन कहां का कितना किराया है इसकी सही जानकारी यात्रियों को नहीं हो पाती है। बस स्टैंड परिसर में किराया सूची का नहीं लगाया जाना इसका मुख्य कारण है। ऐसी स्थिति कई वर्षों से बनी हुई है। इस किराया सूची को प्रकाशित और लगाने में परिवहन विभाग की भी रुचि नहीं है। सुरक्षा और रौशनी की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं बताया गया कि ललित बस स्टैंड से प्रतिदिन दो सौ से ढ़ाई सौ बसें संचालित होती हैं। इनमें वातानुकूलित व नॉर्मल बसें भी हैं। इनमें दिल्ली, रक्सौल, मोतिहारी, वराणसी, रांची, टाटा, बेतिया सहित लोकल शहरों को जाने वाली बसें भी शामिल हैं। यात्री प्रतिदिन इन बसों के सहारे अपनी यात्रा पूरी करते हैं। बस स्टैंड में मौजूद यात्रियों का कहना था कि बसें अपने नियम के हिसाब से चलती हैं। ड्राईवर व कंडक्टर का व्यवहार यात्रियों के प्रति सही है। हालांकि, कभी-कभी रूट पर सीट से अधिक यात्रियों को भी बैठा लिया जाता है।
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