Post-Kharmas Wedding Season Begins in Siwan with Increased Festivities सतुआन आज, खरमास खत्म होते ही कल से गूंजेगी शहनाई, Siwan Hindi News - Hindustan
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सतुआन आज, खरमास खत्म होते ही कल से गूंजेगी शहनाई

सीवान में खरमास समाप्त होने के बाद मंगलवार से शुभ विवाह का मौसम शुरू हो रहा है। विवाह गीतों की गूंज और बाजारों में भीड़ बढ़ गई है। लग्न के चलते पुरोहित, नाई और अन्य सेवाओं की मांग बढ़ गई है। लोग सत्तू...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीवानMon, 14 April 2025 03:48 PM
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 सतुआन आज, खरमास खत्म होते ही कल से गूंजेगी शहनाई

सीवान, हिन्दुस्तान पतिनिधि। खरमास समाप्त होने के साथ मंगलवार से शुभ लग्न की शहनाइयां गूंजने लगेंगी। हालांकि, लग्न की धमक को लेकर चारों ओर शुभ विवाह के गीत गूंजने लगे हैं। शनिवार को आचार्य द्वारा बताया गया कि बीते एक माह से चला आ रहा खरमास मंगलवार को संक्रांति होने के साथ समाप्त हो जाएगा और इसी के साथ शुभ कार्य में गति लग जाएगी। इधर, खरमास समाप्त होने के पूर्व बाजारों में खरीदारों की भीड़ करने से रौनक लौटने लगी है। वहीं मंगलवार से शुभ लग्न शुरू होते ही चहल-पहल बढ़ जाएगी। इधर गांव में लग्न शुरू होने के पूर्व शादी विवाह वाले घरों में शुभ विवाह के गीत गूंजते लगे हैं। लग्न शुरू होने को लेकर पुरोहित और नाई की मांग काफी बढ़ गई है। साथ ही लग्न शुरू होने को लेकर टेंट, समियाना, आर्केस्ट्रा ट्रॉली, बैंड, कारीगर, हलवाई आदि को भी काम मिलने को लेकर उनके मुरझाए चेहरे पर रौनक छाने लगी है। लगन को लेकर सजने लगा बाजार बाजारों में स्वर्ण आभूषण, शुभ सामान, कपड़े, रेडीमेड, परचून, गल्ला दुकान आदि पर भीड़ बढ़ने लगी है। उधर प्रिंटिंग प्रेस वाले के यहां शादी कार्ड, पोस्टर, अभिनंदन पत्र आदि छपवाने के लिए भीड़ होने लगी है। महादलित परिवार के द्वारा भी शुभ विवाह पर काम आने वाला डाला दउरा का निर्माण शुरू कर दिया गया है। कारीगरों को वर मंडप सजाने, दूल्हे की गाड़ी सजाने, टेंट समियाना सजाने के लिए मांग होने लगी है। वीडियो रिकॉर्डिंग करने वाले की अग्रिम बुकिंग कर रहे हैं। शुभ लग्न में काम करने वाले को मजदूरी के साथ-साथ बख्शीश भी मिलती है। आचार्यों ने बताया कि बनारसी पंचांग के अनुसार, अप्रैल, और मई में भरपूर लग्न होने से शादियां होंगी। वहीं, 8 जून को सुकरात दोष हो जाने के कारण शुभ लग्न पर विराम लग जाएगा। पुनः 21 नवंबर से शुभ लग्न होगा। सतुआन में आम की चटनी और सत्तू का लोग लेंगे आनंद सतुआन मनाने की पीढ़ी दर पीढ़ी गांवों में चलती आ रही है यह परंपरा सूर्य देव को समर्पित है यह पर्व, आज से ही खरमास का होगा समापन रघुनाथपुर, एक संवाददाता। लोक आस्था का पारंपरिक त्योहार सतुआन आज पूरी श्रद्धा व विश्वास के साथ मनाया जाएगा। यह पर्व गृहस्थों के लिए बहुत खास है। सूर्य मीन राशि से निकलकर मेष राशि में आज प्रवेश करता है। इसलिए यह पर्व सूर्य देव को ही समर्पित होता है। इस ‌अवसर पर लोग स्नान व दान भी करते हैं। चना, मटर, खेसारी, जौ व मकई के मिश्रित सत्तू और कच्चे आम की चटनी का भोग इस दिन को लोग लगाते हैं। घर-घर में देवी-देवताओं की पूजा तो लोग करते ही हैं, मठ व मंदिरों में भी इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ पूजा-पाठ की जाती है। इस अवसर पर देवी-देवताओं को सत्तू, गुड़ और आम का टिकोरा चढ़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। आचार्यों के अनुसार, सूर्य जब मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करता है तो पर्व लोग मनाते हैं। आज भगवान विष्णु की भी अराधना जाती है। सूर्य के मेष राशि में प्रवेश कर जाने के बाद आज से खरमास समाप्त हो जाता है। आज से ही मांगलिक कार्य शुरू हो जाता है। अमूमन 14 अप्रैल को ही प्रत्येक साल सतुआन मनाया जाता है। लेकिन, इस साल कुछेक जगहों पर लोगों ने 13 अप्रैल को बैशाखी पर्व के अवसर पर यह पर्व मनाते दिखें। वैसे 13 अप्रैल की संध्या से ही खरमास खत्म हो जा रहा है और लग्न का मुहूर्त शुरू हो रहा है। गांव-देहात में दोपहर में लोग खाते हैं सत्तू गर्मी के दिनों में दोपहर में गांव-देहात के लोग सत्तू खाना काफी पसंद करते हैं। बाग-बगीचे से आम का टिकोले चुनकर लाते हैं। चना, जौ, मकई और मटर मिश्रित सत्तू के साथ आम के टिकोले की चटनी का लोग आनंद लेते हैं। शहरों में भी कई लोग सत्तू व आम की चटनी खूब खाना पसंद करते हैं। दस्तावेज नवीसों ने बताया कि पहले के लोग जमीन की रजिस्ट्री कराने आते थे तो सत्तू और चटनी ही शौक से खाते थे। आज तो लोग मेवा-मिष्ठान और मीट पर ही ध्यान देते हैं। सत्तू खाने में खर्च कम ही आता था। हालांकि, अभी भी गर्मी के इन दिनों में सत्तू लोगों द्वारा पसंद किया जाता है। शरीर की तपिश को कम कर देता है सत्तू सत्तू का सेवन करने का एक वैज्ञानिक कारण भी माना जाता है। लोगों का मानना हैं कि गर्मी के दिनों में सूर्य की तपिश से जब शरीर का पित्त कुपित हो जाता है तो इससे निजात पाने के लिए आम के टिकोरे की चटनी और सत्तू के साथ सेवन करने से धूप का असर कम हो जाता है। गांव में तो लोग सत्तू खाते ही है। इन दिनों शहर से लेकर हाट-बाजारों में फेरीवाले ठेला पर चना की सत्तू पिलाते नजर आने लगे हैं। घर के बड़े-बुजुर्ग तो कोल्डड्रिंक की जगह चना की सत्तू का ही इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं।

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