Rising Demand for Earthen Pots and Water Jugs Amid Increasing Heat in Siwan गर्मी बढ़ने के साथ ही बढ़ी मिट्टी के घड़े और सुराही की बढ़ी बिकी, Siwan Hindi News - Hindustan
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गर्मी बढ़ने के साथ ही बढ़ी मिट्टी के घड़े और सुराही की बढ़ी बिकी

सीवान में गर्मी बढ़ने के साथ ही मिट्टी के मटके और सुराही की मांग में वृद्धि हुई है। गरीब और अमीर सभी ठंडे पानी के लिए इनका प्रयोग कर रहे हैं। चिकित्सकों के अनुसार, मिट्टी के बर्तनों का पानी सेहत के...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीवानTue, 13 May 2025 03:34 PM
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 गर्मी बढ़ने के साथ ही बढ़ी मिट्टी के घड़े और सुराही की बढ़ी बिकी

सीवान, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। जिले में मौसम का पारा चढ़ने के साथ ही गर्मी बढ़ती जा रही है। वहीं, गर्मी के दस्तक देते ही देशी फ्रीज यानी मिट्टी के घड़े और सुराही आदि की मांग बढ़ गई है। गरीब हो या अमीर सभी के बीच ठंडे पानी के लिए मिट्टी के मटके और सुराही का प्रयोग कर रहे हैं। क्योंकि इस मौसम में फ्रीज का पानी पीना सेहतमंद नहीं है। इसलिए सुराही का पानी नर्मल होने से किसी प्रकार की बीमारी का डर नहीं रहता है। गौर करने वाली बात है कि जिले में सोमवार को अधिकतम तापमान 39 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

जबकि मंगलवार को दो डिग्री और तापमान में बढ़ोतरी की संभावना है। इस प्रकार से तापमान 41 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है। ऐसे में गर्मी के मद्देनजर देशी फ्रिज की मांग काफी बढ़ गई है। प्रचंड गर्मी में कुम्हारों द्वारा कई किस्म के घड़े बाजार में बेचे जा रहे हैं। मांग के बढ़ने के साथ-साथ इनकी कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है। स्वास्थ्य के लिए इसका पानी उत्तम है। ऐसे में शहर के बबुनिया मोड़, अस्पताल मोड़ सहित अन्य जगहों पर मिट्टी के घड़े बिकने के लिए सजे हैं। चिकित्सक के अनुसार मिट्टी के घड़े का पानी उत्तम होता है। इन दिनों मटके की मांग काफी बढ़ गई जिले में इनदिनों भीषण गर्मी में लोगों को राहत पहुंचाने के लिए इन दिनों मटके की मांग काफी बढ़ गई है। बाजार में एक घड़े की कीमत 80 से 150 रुपए है। सुराही का भी काफी चलन है। समय बदलने के साथ कुम्हारों द्वारा मटका निर्माण में भी कई प्रयोग किए गए हैं। टोटी लगे मटके लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। इसकी कीमत 100 रुपये से लेकर 500 रुपये तक है। इसमें जितना बढ़ा साइज है, उतना अधिक मूल्य निर्धारित है। साधारण सुराही से डिजाइन व टोटी लगे की कीमत अलग है। बता दें कि अप्रैल के अंत और मई की शुरूआती सप्ताह में गर्मी उतनी नहीं पड़ रही थी। लेकिन अब गर्मी का मौसम शुरू होते ही आम आदमी को गर्मी से निजात पाने के लिए ठंडे पानी की आवश्यकता महसूस होने लगी है। गर्मी के दिनों में काफी लोग फ्रिज का पानी पीने की बजाए मटके के पानी से गला तर करना ज्यादा पसंद करते हैं और मिट्टी के घड़े का सोंधापन अलग ही सुकून प्रदान करता है। मिट्टी के बर्तनों में विशेषकर सुराही के लिए सीवान प्रसिद्ध जिला मिट्टी के बर्तनों, विशेषकर सुराही के लिए जाना जाता है। यहां के कुम्हार चाक पर कच्ची मिट्टी से कशीदाकारी करके सुराही, मटका, घड़ा, खिलौने आदि बनाते हैं। ये बर्तन न केवल बिहार में बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी निर्यात किए जाते हैं। मुगल काल से ही मकदुम सराय की कशीदाकारी मिट्टी के बर्तनों की मांग रही है, और कहा जाता है कि यहां के सुराही आगरा और अन्य स्थानों पर भेजे जाते थे। जिला उम्दा मिट्टी बर्तन निर्माण के लिए राज्य में जाना जाता है। जिले के कुम्हार चाक पर कच्ची मिटटी से कशीदाकारी कर सुराही, मटका, देहरी, घड़ा, खिलौने आदि को बनाते हैं।

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