श्यामलाल जैन हाई स्कूल में कभी नामांकन के लिए होती थी भीड़, अब संसाधन ही नहीं
श्यामलाल जैन हाई स्कूल, जो अनुशासन और पढ़ाई के लिए प्रसिद्ध है, अब शिक्षकों की कमी और संसाधनों के अभाव से जूझ रहा है। 1946 में स्थापित इस विद्यालय में पहले 1200-1300 छात्रों का नामांकन होता था, लेकिन...

गुठनी, एक संवाददाता। दरौली प्रखण्ड मुख्यालय स्थित श्यामलाल जैन हाई स्कूल अनुशासन और पढ़ाई के लिए जाना जाता था। इसमें एडमिशन के लिए छात्रों को कठिन प्रारंभिक परीक्षा से गुजरना पड़ता था। इसके बाद मेरिट के आधार पर उनका नामांकन किया जाता था। श्यामलाल जैन हाई की स्थापना 02 मार्च 1946 को किया गया। इसमें पढ़ाने वाले गुरुजनों के कड़क मिजाज और अनुशासन इसको और विद्यालय से अलग करता था। वही छात्र सिविल सेवा से लेकर राज्य सेवा में कार्यरत हैं। इस विद्यालय में पूर्व में 1200 से लेकर 1300 छात्रों की नामांकन था। लेकिन, राज्य सरकार के निर्देश के बाद इसमें महज 150 से लेकर 200 छात्रों तक का ही नामांकन रह गया है। इस विद्यालय में गुठनी, अंसाव, आंदर के साथ मैरवा, दरौली के भी छात्र अपना नामांकन किया करते थे। विद्यालय की स्थापना 02 मार्च 1946 को हुई थी। इसके बाद से ही विद्यालय में कड़े अनुशासन और पढ़ाई को लेकर यह हमेशा चर्चा में रहा। मुख्य सड़क स्थित होने पर भी इसके छात्र खेल मैदान में घूमते हुए नजर नहीं आते थे। वर्तमान में शिक्षकों की भारी कमी, संसाधनों का अभाव और अधूरे निर्माण से कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। हाईस्कूल में 26 शिक्षकों की गई है प्रतिनियुक्ति श्यामलाल जैन हाई स्कूल में शिक्षकों की अभी भी कमी है। फिलहाल यहां पर 26 शिक्षकों की तैनाती की गई है। जिसका असर यहां पढ़ने वाले छात्रों पर भी देखने को मिलता है। जबकि कमरों का यहां घोर अभाव है। इसके चलते विद्यालय को दो पालियों में चलाना पड़ता है। उन्होंने बताया कि शौचालय और पेयजल की भी कमी है। इसकी कई बार लिखित सूचना जिला मुख्यालय के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर भी दिया गया। लैब और स्मार्ट क्लास के लिए कमरों का है अभाव श्यामलाल जैन हाई स्कूल में 10 कमरे पूर्व में बनाए गए थे। जिनमें अधिकतर पुराने और जर्जर हालत में चल रहे हैं। वही छात्र छात्राओं के लिए स्मार्ट क्लास और लैब इन्हीं कमरों में चलते हैं। जिनके संचालन में भी काफी असुविधा होती है। जबकि छात्र छात्राओं को दो शिफ्टों में पढ़ाई करना पड़ता है। प्राचार्य का कहना है कि कमरे और शिक्षकों की कमियां पूरी हो जाएगा। तो यहां पढ़ाई में काफी सहूलियत मिलेगी। जिससे छात्र छात्राओं को अपने अंदर नया करने की ललक बढ़ेगी। आईएएस और सेना में अधिकारी है इस स्कूल के छात्र श्यामलाल जैन हाईस्कूल से पढ़नेवाले आज कई बड़े-बड़े ओहदे पर हैं। जिनमें आईएस अधिकारी नवल किशोर समेत कई लोगों ने देश के रक्षा मंत्रालय, स्वास्थ विभाग, शिक्षा विभाग और भारत सरकार के कई विभागों में आज भी काम कर रहे हैं। प्रधानाचार्य और शिक्षकों से सुशोभित रहा है विद्यालय श्यामलाल जैन हाई हाईस्कूल के स्थापना के बाद यहां कई प्रधानाध्यापक और शिक्षकों से अपने विद्वता से सुशोभित किया। जिसमें रामानन्द प्रसाद, गंगा प्रसाद, रामाश्रय प्रसाद, सुनील कुमार समेत अन्य शिक्षकों का नाम आज भी सम्मान के साथ लिया जाता है। शिक्षकों के मेहनत, अनुशासन, विद्वता, सज्जनता, मृदभाषी और उनके व्यवहार के लिए यह विद्यालय काफी चर्चा में रहा।
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