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बोले सीवन : किन्नरों को भी रोजगार और शिक्षा के समान अवसर मिले

किन्नर समुदाय आज भी समाज से अलग है। आर्थिक तंगी, शिक्षा की कमी और भेदभाव जैसी समस्याएं इन्हें परेशान करती हैं। किन्नरों को रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं में कमी का सामना करना पड़ता है। सरकार की योजनाएं...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीवानThu, 17 April 2025 11:14 PM
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बोले सीवन : किन्नरों को भी रोजगार और शिक्षा के समान अवसर मिले

किन्नर भी समाज का हिस्सा हैं और उन्हें भी पुरुषों और महिलाओं के जैसा ही सम्मान मिलना चाहिए। इनको भेदभाव, हिंसा शिक्षा और रोजगार के अवसरों की कमी शामिल है। किन्नरों की कई सामाजिक समस्याएं होती हैं। किन्नर समुदाय को भी सुविधा मिलनी चाहिए। समाज के नकारात्मक दृष्टिकोण और भेदभाव के कारण किन्नर मानसिक और सामाजिक रूप से आहत होते हैं । उनके सामने लैंगिक पहचान का मुद्दा अहम होता है। कुछ लोग किन्नरों को पुरुष या महिला के रूप में नहीं मानते, जिससे उन्हें अपनी लैंगिक पहचान स्थापित करने में कठिनाई होती है। उनके सामने आर्थिक समस्याएं भी होती है। बेरोजगारी और गरीबी भी इन्हें परेशान करती है। किन्नर समुदाय के सदस्यों को रोजगार के अवसर कम मिलते हैं। जिससे वे गरीबी और आर्थिक असुरक्षा का सामना करते हैं। धीरे-धीरे ये भीख मांगने और अनैतिक गतिविधियों में लिप्त हो जाते है। किन्नर समुदाय के पास आर्थिक भागीदारी और सामाजिक सुरक्षा के लिए कम अवसर होते हैं। किन्नर समुदाय को कानून के तहत भेदभाव और उत्पीड़न का भी सामना करना पड़ता है। पुलिस द्वारा किन्नरों के साथ उत्पीड़न की घटनाएं भी होती हैं। किन्नर समुदाय को नागरिक और मानव अधिकारों को प्राप्त करने में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। इनमें शिक्षा की कमी भी होती है। किन्नर समुदाय के सदस्यों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना व सार्वजनिक स्थानों पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है। बराबरी के अधिकार को लेकर किन्नर कहते हैं कि उन्हें समाज के साथ व्यवस्था से भी शिकवा है। उनके मुताबिक, आज भी थर्ड जेंडर के नाम पर सिर्फ दिखावा हो रहा है।

सीवान का किन्नर समुदाय आज भी समाज की मुख्यधारा से कोसों दूर है। आर्थिक तंगी, शिक्षा की कमी और सरकारी योजनाओं से दूरी जैसी कई समस्याएं इस समुदाय को घेरे हुए हैं। सबसे बड़ी समस्या आर्थिक भी है। रोजगार का अभाव भी एक गंभीर मुद्दा है। शिक्षा की कमी और सामाजिक भेदभाव के कारण इन्हें नौकरी नहीं मिलती। अधिकतर किन्नर भीख मांगने, शादी-बच्चे के अवसरों पर पारंपरिक नाच-गान और कभी-कभी अनैतिक कार्यों में लिप्त हो जाते हैं। स्वास्थ्य सेवाएं भी इनके लिए दूर की कौड़ी हैं। किन्नरों को सरकारी अस्पतालों में उचित व्यवहार नहीं मिलता। मानसिक स्वास्थ्य, यौन संक्रमण और हार्मोनल इम्बैलेंस जैसी समस्याओं का इलाज न मिल पाने से इनकी स्थिति और बिगड़ती जाती है। हालांकि, सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं, जैसे कि ट्रांसजेंडर पहचान पत्र, आवास योजना, पेंशन योजना आदि, लेकिन जानकारी के अभाव और उचित मार्गदर्शन की कमी से ये योजनाएं उन तक पहुंच नहीं पातीं। सीवान में कुछ संगठन अब इस दिशा में काम कर रहे हैं। वे किन्नरों को शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वरोजगार के लिए प्रेरित कर रहे हैं। कुछ किन्नरों ने सिलाई, ब्यूटी पार्लर, हस्तशिल्प आदि के क्षेत्र में कदम रखा है और आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़ रहे हैं। सरकार और समाज को मिलकर इस दिशा में गंभीरता से सोचना होगा। स्कूलों में जागरूकता अभियान चलाकर किन्नर बच्चों को सुरक्षित वातावरण देना जरूरी है। स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वह इन समुदायों तक सरकारी योजनाओं को पहुंचाने के लिए विशेष अभियान चलाए। स्वस्थ और समावेशी समाज की कल्पना तभी संभव है। जब हम हर वर्ग को बराबरी का दर्जा दें। सीवान के किन्नर समुदाय में भी प्रतिभा, संवेदना और आत्मबल की कोई कमी नहीं है, बस जरूरत है तो एक भरोसे और सहयोग की, जिससे वे भी सम्मानजनक जीवन जी सकें। सीवान जिले का किन्नर समुदाय आज एक कठिन संघर्ष से गुजर रहा है। जिन्हें आम बोलचाल की भाषा में किन्नर कहा जाता है। जेंडर्स के लिए कई तरह की सुविधाएं आज दी जा रही हैं। बावजूद, इसके आज भी किन्नर समुदाय अपने पारंपरिक काम में ही लगा हुआ है। समाज में बराबरी का दर्जा पाने संघर्ष कर रहे किन्नर। किन्नर समाज का पारंपरिक काम नाच गाकर लोगों को दुआए देकर बक्शीश लेना है। ऐसा माना जाता है कि यदि किन्नर ने किसी को दिल से दुआ दी तो वो खाली नहीं जाती। त्योहार, शादी ब्याह और घर में नन्हे मेहमानों के आने पर किन्नर अक्सर नाच गाकर नजराना मांगते हैं। लेकिन, दूसरों की खुशी में शामिल होकर उनकी बलाएं लेने वाला किन्नर समाज आज भी तकलीफ से गुजर रहा है।

समाज में बराबरी के लिए संघर्ष कर रहा किन्नर समुदाय

लंबे समय से किन्नर समुदाय समाज में बराबरी का दर्जा पाने के लिए संघर्ष कर रहा है। किन्नर अखाड़ा का गठन किन्नर समुदाय के अधिकारों और उनके सम्मान की रक्षा के लिए किया गया था। किन्नर अखाड़ा न केवल किन्नरों के लिए एक धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान प्रदान करता है, बल्कि समाज में किन्नरों के प्रति नफरत और भेदभाव को भी खत्म करने का काम करता है। किन्नर भले ही समाज के बीच में रहते हैं। लेकिन लोगों इन्हें हिकारत की नजरों से देखते हैं। कई लोग अपने घर पर इनके कदम पड़ने को शुभ मानते हैं बावजूद इसके एक बड़ा वर्ग आज भी किन्नरों को समाज में स्वीकारने से डरता है। यही वजह है कि किन्नरों को वो सम्मान नहीं मिलता जितना उन्हें मिलना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि किन्नरों की बद्दुआ जीवन को कष्टों में डाल देती है। इसलिए कई बार नाराज होने पर भी किन्नर दूसरों के लिए बद्दुआ नहीं निकालते हैं।

मंगल गीत गाकर हुई कमाई से करते हैं जीवन यापन

किन्नर हमेशा समूह में रहते हैं और ये समूह एक साथ ही जीवन बसर करता है। किन्नर पूरे साल लोगों के घरों में खुशियों के समय जाते हैं और उन्हें दुआ देकर कुछ पैसे लेते है। इन्हीं पैसों से किन्नरों को गुजर बसर होता है। हर साल किन्नर समुदाय दीपावली के समय बाजार और गलियों में घूम-घूम कर लोगों को गाना सुनाते हैं।.इसके बाद नाच गाकर पैसे लेते हैं। किन्नर समुदाय का कहना है कि वह ऐसा कर लोगों से पैसे मांगते हैं, लेकिन उनकी बलाएं भी लेते हैं। वह सभी से इज्जत से पेश आते हैं और उनके लिए वह ऊपर वाले से दुआ करते हैं ताकि सभी का जीवन सुखमय गुजरे। लोगों के दुख में उनको दुआ देकर जाते हैं। किन्नर भी भारतीय समाज का अभिन्न हिस्सा हैं और उन्हें अपनी पहचान को लेकर गर्व होना चाहिए। बल्कि समाज के अन्य वर्गों को भी यह संदेश देना चाहिए कि सभी को समान अधिकार मिलने चाहिए।

प्रस्तुति- शैलैश कुमार सिंह, रितेश कुमार।

सुझावः----

1- किन्नरों के प्रति समाज में अधिक जागरूकता और सम्मान की आवश्यकता है।

2-शिक्षा और रोजगार के समान अवसर प्रदान किए जाने चाहिए। वे भी समाज के मुख्य धारा से जु़ड़ाव हो।

3- स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित की जानी चाहिए। ताकी उन्हे परेशान नही होना पड़े।

4-भेदभाव और हिंसा से बचाने के लिए कानूनी संरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए।

5-सामाजिक न्याय और समानता प्राप्त होनी चाहिए। अधिकारों की रक्षा के लिए समर्थन प्रदान होना चाहिए।

6- किन्नरों के अधिकारों और सामाजिक न्याय के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सामाजिक जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए।

शिकायंतेः-

1-समाज में भेदभाव और हिंसा की घटनाएं होती हैं।

2-सामाजिक रूप से अलग-थलग किया जाता है और समाज की मुख्यधारा में शामिल नहीं किया जाता है।

3-आर्थिक रूप से बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

4--स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच नहीं है और कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से पीड़ित होना पड़ता हैं।

5- कानूनी रूप से भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उनके अधिकारों का हनन किया जाता है।

हमारी भी सुनिए

1- किन्नर समाज को समाज में बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए। वे भी इस समाज के हिस्सा है। उन्हें व उपेक्षा के नजरों से नहीं देखा जाना चाहिए। समाज सभी को लेकर बना है।

- राज कुमारी

2-किन्नर समाज भुखमरी के कगार पर है। नाच गाकर जीने वाले इस समाज को सरकारी योजना से लाभ नहीं मिल रहा है। सरकार को इसपर करना करना चाहिए।

- रूचि कुमारी

3- किन्नरों को राशन कार्ड, वोटर कार्ड पहचान पत्र को भटकना पड़ता है। किन्नर समाज के उत्थान के लिए सरकार को सोचना चाहिए। इनको योजनाओं का लाभ आसानी से मिलना चाहिए।

- सलोनी

4- सामाजिक संरचना में किन्नर भी आते हैं उन्हें भी अपनी बातें रखने, रोजगार करने का अधिकार है। उन्हें भी समाज के मुख्य धारा से जोड़ा जाना चाहिए।

सोना

5- किन्नर सुरक्षा के लिए आज तक कोई ठोस कदम सरकार द्वारा नहीं उठाया गया है। इस कारण यह समाज अपने को असुरक्षित महसूस करता है। सरकार को इसके लिए विचार करना चाहिए।

रीया मालकिन

6- किन्नर समाज सभी के खुशियों में शामिल होते हैं वह हमेशा किसी को दुआ ही देते हैं फिर उनका अपेक्षा होना उन्हें काफी खलता है उन्हें भी सम्मान मिलना चाहिए।

हिना

7-समाज के अंतिम पायदान पर जीने वाले किन्नर समाज के आर्थिक उत्थान के लिए कोई योजना धरातल पर नहीं उतर रही है। सरकार को आर्थिक व समाजिक उतथान के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए।

रीया कुमारी

8- सरकारी किसी योजना का लाभ किन्नर समाज को नहीं मिल रहा है। इनके लिए योजना फाइलों में दब गई है। योजना के सही कार्यवयन होने से किन्नर समाज में खुशहाली आ सकती है।

संगीता कुमारी

9- किन्नरों के लिए कोई योजना नही है। इनके लिए बना कानून मजाक बनकर रह गया है। केवल सरकारी घोषणा से काम नही चलता सरकार को सोचना चाहिए।

- सीता

10-- किन्नरों को भी पहचान की आवश्यकता है। उनका भी आधार, मतदाता पहचान पत्र राशन कार्ड इत्यादि बनना चाहिए। अगर जिनका पहचान पत्र बन जाएगा तो उनको नई पहचान मिलेगी।

- मोहिनी

11- कोई समाज में कब तक पहचान छुपा कर जिये। किन्नरों को भी उनके नाम व पहचान से जाना जाना चाहिए। सरकारी पहल जरूरी है। इससे इनका कल्याण संभव हो पाएगा।

- जीया

12- समाज में किन्नरों के लिए जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। जब समाज इन्हे अपनाऐगा तभी किन्नर समाज का उत्थान संभव है।

गुड़िया कुमारी

13-नाच गाकर अपना गुजारा चलाने वाले किन्नर समाज की समस्याओं का आज तक निराकरण नहीं हो सका है। सरकारी योजना का लाभ किन्नर समाज लोगों को नहीं मिल रहा है।

काजल

14-सबके खुशी में सरिक होने वाले किन्नरो का हाल बुरा है। सरकारी योजना बेअसर साबित हो रहा है। इस कारण किन्नरो को रोजगार नहीं मिल रहा है। किन्नर दर-दर भटकने को मजबूर हैं।

- सोनिया

15-अब भी किन्नर समाज हासिए पर है। सरकारी योजना के धरातल पर नहीं उतरने के कारण उन्हें प्रताड़ना का शिकार भी होना पड़ रहा है। इसलिए सरकार को किन्नर विकास की योजना को धरातल पर लाने की जरूरत है।

ऐना

16- किन्नरों को भी आरक्षण का लाभ मिले। उन्हे भी सरकारी नौकरी के लिए जगह आरक्षित हो तभी समाज के लोगों की तरक्की होगी।

रिया 2

17- किन्नर समाज से जूड़े लोग को जीविका समूह से जोड़कर रोजगार के अवसर दिया जा सकता है। इनको भी बेरोजगारी भता मिलना चाहिए। तभी समाज के लोगों का भला हो सकता है।

निलाशा

18- ग्रामीण क्षेत्रो में किन्नरों राशन कार्ड, आवास योजना सहित अन्य सरकारी लाभ दिए जाना चाहिए ताकि स्थाई रूप से अपनी पहचान बना सके।

झरना

19- किन्नर समाज के उत्थान के लिए कदम उठाया जाना चाहिए। सभी की खुशी में शामिल होने वालो को भी खुशी मिलना चाहिए। जीविका समुह सें जोड़कर इसे सबल बनाने की जरूरत है।

रूही राय चौधरी

20- समाज के लोगों को अधिकारों को प्रशासनिक स्तर पर लाभ मिले। यह सुनिश्चित होना चाहिए तभी किन्नर समाज समाज का एक हिस्सा बन पाएंगे।

नेहा राय

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