कोऑपरेटिव बैंक की चलंत एटीएम से नहीं मिल रहे रुपये
मधुबनी के दी रहिका सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक द्वारा नाबार्ड के अनुदान से खरीदा गया चलंत एटीएम लगभग 17 लाख रुपये की लागत से जर्जर स्थिति में है। इसका उद्देश्य ग्राहकों को बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराना था,...
मधुबनी, निज संवाददाता। दी रहिका सेंट्रल को ऑपरेटिव बैंक द्वारा नाबार्ड के अनुदान से खरीदी गयी चलंत एटीएम आज शोभा की वस्तु बनकर रह गयी है। लगभग 17 लाख रुपये की लागत से खरीदा गया यह वाहन आज कार्यालय परिसर में खड़ा-खड़ा जर्जर होता जा रहा है। जिन उद्देश्यों के लिए इसकी खरीदारी की गई थी, वह कभी धरातल पर उतर ही नहीं सका। चलंत एटीएम को जिले के विभिन्न भीड़भाड़ वाले स्थानों जैसे प्रमुख बाजार, मेलों और पंचायतों में ले जाकर लोगों को बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराने का उद्देश्य था। इससे बैंक की पहुंच बढ़ती और व्यवसाय को भी गति मिलती। इसके साथ ही ग्राहकों के बीच यह संदेश भी जाता कि कोऑपरेटिव बैंक उनकी सेवा के लिए हमेशा तत्पर है।
अधिकतर समय कार्यालय पर लगी रही वाहन: लेकिन वास्तविकता इसके ठीक उलट है। वाहन खरीद के बाद से ही यह अधिकतर समय बैंक कार्यालय में ही खड़ा रहा और कुछ ही बार इसे बाहर ले जाया गया। अब तो स्थिति यह है कि यह वाहन कार्यालय में भी बंद पड़ा है। इसकी बैटरी खराब हो चुकी है।
ग्राहकों को नहीं मिला लाभ, जांच की मांग
सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस वाहन के संचालन और देखभाल के लिए जिन दो कर्मियों की नियुक्ति की गई है, उनके नाम पर वेतन का भुगतान नियमित रूप से हो रहा है, लेकिन एटीएम ग्राहकों को कोई लाभ नहीं दे पा रहा है। सवाल यह भी उठता है कि यह वाहन कभी अपने उद्देश्य के अनुसार गांव-गांव, गली-गली क्यों नहीं पहुंच पाया। लोगों ने इसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। कहा बैंक की उदासीनता और योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही को उजागर करती है। जिला सहकारिता पदाधिकारी सह एमडी सुदर्शन कुमार ने बताया कि वर्तमान में एटीएम बैटरी की समस्या के कारण बंद है, लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इसे जल्द ठीक कराकर पुन: चालू किया जाएगा।
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